RBI ने रेपो रेट को स्थिर रखा: गवर्नर शक्तिकांत दास ने विस्तार से समझाई जानकारी

RBI ने रेपो रेट को स्थिर रखा: गवर्नर शक्तिकांत दास ने विस्तार से समझाई जानकारी

RBI ने रेपो रेट को स्थिर रखा: गवर्नर शक्तिकांत दास ने विस्तार से समझाई जानकारी

जून 7, 2024 इंच  व्यापार subham mukherjee

द्वारा subham mukherjee

RBI ने रेपो रेट को स्थिर रखा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति बैठक में रेपो रेट को अपरिवर्तित रखते हुए इसे 6.5% पर बनाए रखने का फैसला किया है। इस बैठक की अध्यक्षता RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने की, और यह निर्णय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लिया गया। MPC की यह बैठक 5 जून से 7 जून के बीच आयोजित की गई थी। इस बैठक में समिति ने 4:2 के वोटिंग अनुपात से रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय लिया।

रेपो रेट का महत्व

रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को ऋण प्रदान करती है। इस दर का प्रभाव बाजार में धन की उपलब्धता और उसकी लागत पर पड़ता है। 2022 से अब तक, RBI ने रेपो रेट में 250 आधार अंकों की वृद्धि की है। रेपो रेट को स्थिर रखने का यह निर्णय बाजार में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

आरबीआई का अनुकूल रुख

आरबीआई ने 'अनुकूल रुख' को जारी रखने का संकल्प लिया है। इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक वित्तीय नीति को लचीला और सहायक बनाए रखेगा ताकि आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके। इसके तहत, जरूरत पड़ने पर बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के विभिन्न उपायों के जरिये वृद्धि को समर्थन दिया जाएगा।

GDP वृद्धि दर और मुद्रास्फीति का अनुमान

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए GDP वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर 7% से बढ़ाकर 7.2% कर दिया है। यह संशोधन आर्थिक गतिविधियों में सुधार को दर्शाता है। इसके अलावा, आरबीआई ने मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5% पर बरकरार रखा है, जो घरेलू अर्थव्यवस्था में मूल्य स्थिरता के प्रति बैंक की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इस विस्तृत समाचार में, हम मौद्रिक नीति के विभिन्न पहलुओं और उनके असर पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। आइये, देखते हैं कि यह निर्णय अर्थव्यवस्था के विभिन्न हिस्सों पर कैसे प्रभाव डालता है।

रेपो रेट का इतिहास और वर्तमान परिप्रेक्ष्य

रेपो रेट का इतिहास देखने पर पता चलता है कि यह दर समय-समय पर बदली जाती रही है। विभिन्न आर्थिक परिस्थितियों में, आरबीआई ने इस दर को संशोधित किया है ताकि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखा जा सके और विकास दर को बढ़ावा दिया जा सके। 2022 में, आरबीआई ने रेपो रेट में 250 आधार अंकों की वृद्धि की थी, जो आर्थिक गतिविधियों की गति को नियंत्रित करने के उद्देश्य से किया गया था।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में, रेपो रेट को स्थिर रखना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्णय आर्थिक धाराओं की स्थिरता और बाजार में विश्वास बनाए रखने के प्रयास का हिस्सा है। मुद्रास्फीति के नियंत्रण में रहने और आर्थिक गतिविधियों में सुधार को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

मौद्रिक नीति समिति का गठन और भूमिका

मौद्रिक नीति समिति का गठन और भूमिका

मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन 2016 में किया गया था और इसका उद्देश्य मौद्रिक नीति का निर्धारण करना है। समिति में 6 सदस्य होते हैं, जिनमें 3 सदस्य RBI के होते हैं और 3 स्वतंत्र सदस्य होते हैं। समिति की बैठक हर दो महीने में होती है, जिसमें मौद्रिक नीति संबंधी विभिन्न मुद्दों पर विचार किया जाता है और फैसला लिया जाता है।

इस बैठक में गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में समिति ने 4:2 के वोटिंग अनुपात से रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय लिया। समिति का यह फैसला दर्शाता है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में इस दर को स्थिर रखना आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए उचित है।

वित्तीय बाजार पर असर

रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय वित्तीय बाजारों पर व्यापक प्रभाव डालता है। बैंकिंग क्षेत्र में ऋण की उपलब्धता और उसकी लागत सीधे तौर पर इस निर्णय से जुड़ी होती है। जब रेपो रेट कम होती है, तो बैंकों के लिए केंद्रीय बैंक से ऋण लेना सस्ता होता है, जिससे बाजार में धन की उपलब्धता बढ़ जाती है। इससे विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होती है।

दूसरी ओर, जब रेपो रेट में वृद्धि होती है, तो बाजार में धन की उपलब्धता और उसकी लागत पर प्रभाव पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप, खर्च में कमी और बचत बढ़ जाती है, जिसे मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उद्देश्य से किया जाता है।

भविष्य की नीतियां और उनकी दिशा

रेपो रेट पर लिया गया यह निर्णय भविष्य की नीतियों की दिशा का संकेतक है। आरबीआई ने 'अनुकूल रुख' को जारी रखने की घोषणा की है, जो संकेत करता है कि भविष्य में भी नीतिगत उपायों के जरिये आर्थिक विकास को समर्थन दिया जाएगा। इसके तहत, विकास दर को बनाए रखने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने के उद्देश्य से विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं।

आरबीआई के इस निर्णय का असर और भी गहरे स्तर पर दिखेगा। बैंकिंग क्षेत्र में स्थिरता और वित्तीय बाजारों में विश्वास बनाए रखने के लिहाज से यह निर्णय महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, मुद्रास्फीति और विकास दर के अनुमान भी महत्वपूर्ण हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था की दिशा को निर्धारित करते हैं।

निवेशकों के लिए संदेश

रेपो रेट में किसी भी बदलाव का सीधा असर निवेशकों पर पड़ता है। विशेषत:, भारतीय वित्तीय बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों को इस बात का गहराई से विश्लेषण करना होता है कि रेपो रेट में स्थिरता उनके निवेशों के लिए क्या मायने रखती है। रेपो रेट में स्थिरता का मतलब होता है कि निवेशकों को ब्याज दर में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव का सामना नहीं करना पड़ेगा, जिससे निवेश के जोखिम में कमी आती है।

रेपो रेट को स्थिर रखने का यह निर्णय वित्तीय बाजार में स्थिरता को बढ़ाता है और निवेशकों को यह संकेत देता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता और विकास के लिए अनुकूल परिस्थिति है। यह निर्णय विश्वस्तरीय निवेशकों के लिए भारतीय आर्थिक नीतियों में विश्वास को भी मजबूत करता है।

समाप्ति के बजाय नई शुरुआत

समाप्ति के बजाय नई शुरुआत

रेपो रेट को स्थिर रखने का यह निर्णय वास्तव में एक नई शुरुआत का संकेत है। यह स्थिरता वित्तीय बाजारों और बैंकिंग क्षेत्र में विश्वास को बढ़ाने का एक कदम है। आरबीआई की यह नीति आर्थिक विकास दर को बनाए रखने और मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के प्रयास का हिस्सा है। इसके तहत, विभिन्न नीतिगत उपायों के जरिये आर्थिक गतिविधियों को समर्थन दिया जाएगा और बाजार में स्थिरता बनाए रखी जाएगी।

इस विस्तृत समाचार में हमने देखा कि कैसे RBI ने रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय लिया और इसका प्रभाव वित्तीय बाजार और अर्थव्यवस्था पर किस प्रकार पड़ सकता है।

subham mukherjee

subham mukherjee

मैं एक प्रतिष्ठित पत्रकार और लेखक हूँ, जो दैनिक खबरों से जुड़े मुद्दों पर लिखना पसंद करता हूँ। मैंने कई प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों में कार्य किया है और मुझे जनता को सही और सटीक जानकारी प्रदान करने में खुशी मिलती है।

20 टिप्पणि

  • Baldev Patwari

    Baldev Patwari

    8 जून 2024

    रेपो रेट स्थिर? बस एक और बड़ा नंबर बताया है। किसी को फर्क पड़ता है? बाजार तो अपने रास्ते चल रहा है।

  • harshita kumari

    harshita kumari

    9 जून 2024

    ये सब बातें बस एक बड़ा धोखा है जो हमें बताया जा रहा है कि सब ठीक है जबकि असल में जमीन पर लोग भूखे हैं और बैंक अपने लाभ के लिए लोगों को चूस रहे हैं और ये सब एक बड़ी साजिश है जिसे कोई नहीं देख रहा

  • SIVA K P

    SIVA K P

    9 जून 2024

    अरे भाई ये सब लोग रेपो रेट के चक्कर में फंसे हुए हैं जबकि असली समस्या तो ये है कि आम आदमी को कोई नहीं सुनता और ये सब बातें बस एक शो है जिसमें आपका टैक्स चल रहा है

  • Neelam Khan

    Neelam Khan

    10 जून 2024

    इस निर्णय को एक अच्छा संकेत माना जा सकता है कि हम धीरे-धीरे स्थिरता की ओर बढ़ रहे हैं। बाजार को थोड़ा समय दें, ये बदलाव असर जरूर दिखाएंगे।

  • Jitender j Jitender

    Jitender j Jitender

    11 जून 2024

    रेपो रेट स्थिर रखने से लिक्विडिटी मैनेजमेंट में लचीलापन आता है और फाइनेंशियल इंक्लूजन के लिए एक बेहतर फ्रेमवर्क बनता है। ये एक नियंत्रित ट्रांजिशन है जो लॉन्ग-टर्म स्टेबिलिटी की ओर जाता है।

  • Jitendra Singh

    Jitendra Singh

    12 जून 2024

    क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब नीतियां बस एक गुप्त वर्ग के लिए बनाई गई हैं जो अपनी संपत्ति बढ़ाते हैं और हम सब को बस बाकी बचा देते हैं? इतिहास दोहराता है।

  • VENKATESAN.J VENKAT

    VENKATESAN.J VENKAT

    14 जून 2024

    ये जो रेपो रेट स्थिर है वो बस एक बहाना है ताकि वो लोग जो अपने घरों में बैठकर फैसले लेते हैं वो अपनी नीतियों को बचा सकें। आम आदमी को तो बस दिखावा दिखाया जाता है।

  • Amiya Ranjan

    Amiya Ranjan

    15 जून 2024

    ये सब बहुत अच्छा लगता है लेकिन जब तक बैंकों के ब्याज दर में कोई कमी नहीं आती तब तक ये सब बस एक शो है।

  • vamsi Krishna

    vamsi Krishna

    17 जून 2024

    रेपो रेट 6.5%? अरे ये तो पिछले साल भी ऐसा ही था और क्या हुआ? बस एक बार फिर से बात दोहराई गई।

  • Narendra chourasia

    Narendra chourasia

    18 जून 2024

    ये जो स्थिरता की बात है... ये तो बस एक दिखावा है! आपके पास नहीं है तो आपको नहीं दिखता! लेकिन जब आप ब्याज दर के बारे में बात करते हैं तो आपको लगता है कि आप बहुत समझदार हैं! ये सब बस एक बड़ा धोखा है!

  • Mohit Parjapat

    Mohit Parjapat

    18 जून 2024

    भारत ने फिर से अपनी जीत का निशान बनाया! रेपो रेट स्थिर? ये तो बस एक जंगली आग को बुझाने का नाम है! हमारी अर्थव्यवस्था अब एक भारतीय जादूगर की तरह है - बिना चमक के भी चमक रही है!

  • Sumit singh

    Sumit singh

    19 जून 2024

    क्या आप जानते हैं कि रेपो रेट को स्थिर रखने का मतलब है कि आपके बच्चे का बैंक लोन अब भी महंगा रहेगा? ये सब बस एक बड़ा नंबर खेल है जिसमें आपकी आय नहीं बढ़ रही।

  • fathima muskan

    fathima muskan

    20 जून 2024

    क्या आपने कभी सोचा कि ये सब एक बड़ा धोखा है? जब तक बैंक नहीं बदलेंगे तब तक कोई भी नीति काम नहीं करेगी। ये सब बस एक फिल्म है जिसमें हम सब दर्शक हैं!

  • Devi Trias

    Devi Trias

    21 जून 2024

    रेपो रेट के स्थिर रहने के पीछे की आर्थिक तर्कशृंखला बहुत जटिल है और इसका अनुमान लगाने के लिए मैक्रोइकोनॉमिक्स के गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है। जिन लोगों ने इसे सरल बना दिया है, वे अक्सर अपने अनुमानों में त्रुटि करते हैं।

  • Kiran Meher

    Kiran Meher

    21 जून 2024

    ये निर्णय एक नई शुरुआत का संकेत है। बस थोड़ा धैर्य रखें, बाजार अपना रास्ता खोज रहा है। आपका निवेश भी जल्द ही रिवार्ड मिलेगा।

  • Tejas Bhosale

    Tejas Bhosale

    22 जून 2024

    स्थिरता एक अवधारणा है जो निर्माण की ओर जाती है न कि विनाश की। रेपो रेट का ये निर्णय एक नियंत्रित ट्रांजिशन का हिस्सा है जो भविष्य के लिए एक नए आर्थिक संस्कृति की नींव रखता है।

  • Asish Barman

    Asish Barman

    23 जून 2024

    रेपो रेट स्थिर? बस एक और बड़ा नंबर। क्या आपने कभी देखा कि बैंकों ने लोन दर में कमी की है? नहीं। तो ये सब बस एक धोखा है।

  • Abhishek Sarkar

    Abhishek Sarkar

    24 जून 2024

    ये सब एक बड़ी साजिश है जिसका उद्देश्य हमें यह बताना है कि सब ठीक है जबकि असल में हमारे बच्चे की शिक्षा के लिए भी पैसा नहीं है और बैंक लोन की ब्याज दर अभी भी अप्रत्याशित रूप से ऊंची है और ये सब एक बड़ी गुप्त योजना है जिसका नाम है आर्थिक नियंत्रण

  • Niharika Malhotra

    Niharika Malhotra

    25 जून 2024

    इस निर्णय के पीछे एक गहरी दृष्टि है। स्थिरता अभी के लिए नहीं, बल्कि भविष्य के लिए है। हमें इसे धैर्य से देखना चाहिए।

  • Suhas R

    Suhas R

    25 जून 2024

    ये सब बस एक बड़ा झूठ है! जब तक बैंकों के लोन दर में कमी नहीं आती तब तक ये सब बस एक धोखा है! आप जो बोल रहे हैं वो बस एक फिल्म की बात है!

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