ECOSOC Youth Forum 2025: इंडिया की अनन्या शर्मा ने बालिका और महिला शिक्षा पर रखी दमदार बात

ECOSOC Youth Forum 2025: इंडिया की अनन्या शर्मा ने बालिका और महिला शिक्षा पर रखी दमदार बात

ECOSOC Youth Forum 2025: इंडिया की अनन्या शर्मा ने बालिका और महिला शिक्षा पर रखी दमदार बात

मई 6, 2025 इंच  Education विकास शर्मा

द्वारा विकास शर्मा

ECOSOC Youth Forum 2025: भारत की युवा आवाज़ अनन्या शर्मा

जब भी शिक्षा और उसका भविष्य चर्चा में आता है, तो अक्सर बड़े नेता या विशेषज्ञ अपनी बात रखते हैं। लेकिन इस बार, ECOSOC Youth Forum 2025 के मंच पर भारत की ओर से अनन्या शर्मा ने कुछ अलग ही रंग जमा दिया। दिल्ली यूनिवर्सिटी के शहीद भगत सिंह कॉलेज की तीसरे वर्ष की छात्रा अनन्या ने जिस तरह महिलाओं और बच्चों की शिक्षा पर अपना नजरिया रखा, उसने युवाओं की सोच को मंच पर सीधे-सीधे सामने ला दिया।

फोरम में अनन्या ने महिलाओं और वंचित समुदायों के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में आने वाली रुकावटों पर खुलकर बात की। उनके मुताबिक, अभी भी शिक्षा के सिस्टम में कई ऐसी जड़ें हैं जो किसी न किसी रूप में उपनिवेशवाद की सोच को आगे बढ़ाती हैं। यही वजह है कि गरीब तबके की लड़कियां और महिलाएं अक्सर शिक्षा से दूर रह जाती हैं।

शिक्षा को औपनिवेशिक सोच से मुक्त करने पर जोर

शिक्षा को औपनिवेशिक सोच से मुक्त करने पर जोर

अनन्या की रिसर्च का एक अहम हिस्सा औपनिवेशिक सोच से जुड़े ऐतिहासिक ढांचे को तोड़ने पर रहा है। उनका कहना है कि जब तक हम अपनी शिक्षा प्रणाली को पुराने, बाहर से थोपी गई सोच से आज़ाद नहीं करेंगे, तब तक हाशिए पर खड़े लोगों के लिए असल मायने में बराबरी वाली पढ़ाई संभव नहीं हो सकती।

फोरम में खासतौर से 'डिकोलोनाइजिंग एजुकेशन' यानी शिक्षा को उपनिवेशिक प्रभाव से आज़ाद करने की थीम ध्यान का केंद्र रही। इस मुद्दे पर अनन्या ने कई उदाहरण दिए—जैसे स्कूलों में अभी भी यूरोपीय विचारधाराओं का ज्यादा असर, स्थानीय भाषाओं और मुद्दों की अनदेखी। वह मानती हैं कि अगर शिक्षा में अपनी जड़ों, अपनी परंपराओं और स्थानीय वास्तविकताओं को शामिल किया जाए, तो बच्चों व महिलाओं के लिए पढ़ाई और ज्यादा आसान व फायदेमंद हो सकती है।

अनन्या का यह भी मानना है कि आज के वक्त में युवाओं की भूमिका सिर्फ पढ़ाई करने तक सीमित नहीं है। मंच पर चर्चा के दौरान यह बात भी सामने आई कि किस तरह से युवा महिलाएं अक्सर घरों में देखभाल (केयरगिविंग) का दायित्व भी संभालती हैं, जिससे उनके आगे बढ़ने के मौके भी सीमित हो जाते हैं। इन युवा देखभालकर्ताओं को सपोर्ट मिले, उनके लिए अलग से योजनाएं बनें, इसी को लेकर फोरम में स्पेशल सेशन भी हुआ।

  • बात सामने आई कि गांवों एवं गरीब इलाकों में लड़कियों को स्कूल छोड़ना पड़ता है ताकि वे घरेलू जिम्मेदारियां उठा सकें।
  • अनन्या ने बताया कि युवाओं की आवाज़, अब केवल सोशल मीडिया या छोटे कैंपस तक सीमित नहीं रही। इंटरनेशनल फोरम में भी उनकी बात को खास अहमियत दी जा रही है।
  • युवाओं की टीम ने फोरम को कुछ प्रैक्टिकल सुझाव भी दिए—जैसे स्कॉलरशिप योजनाओं में बदलाव, स्थानीय लैंग्वेज आधारित कोर्स, और हाशिए पर खड़े लोगों के लिए स्पेशल ऐड प्रोग्राम।

फोरम में अनन्या शर्मा की भागीदारी इसी बात का इशारा देती है कि आज वैश्विक नीति और बड़े मंचों पर भारतीय युवाओं की आवाज अब हाशिए पर नहीं, बल्कि मुख्यधारा में गूंज रही है। शिक्षा के ऐसे मुद्दों पर उनकी सोच नई दिशा देने के लिए तैयार है।


साझा:
विकास शर्मा

विकास शर्मा

मैं एक प्रतिष्ठित पत्रकार और लेखक हूँ, जो दैनिक खबरों से जुड़े मुद्दों पर लिखना पसंद करता हूँ। मैंने कई प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों में कार्य किया है और मुझे जनता को सही और सटीक जानकारी प्रदान करने में खुशी मिलती है।

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