राम एकादशी की महत्ता
भगवान विष्णु को समर्पित राम एकादशी का विशेष महत्व है। यह एकादशी भगवन विष्णु के भक्तों के लिए एक पवित्र दिन है। यहां, हर महीने दो बार पड़ने वाली एकादशी तिथियों में यह दिन विशेष माने जाता है। भक्तजन मानते हैं कि इस दिन का उपवास रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवनभर के पापों और कष्टों को मिटा सकता है।
28 अक्टूबर 2024 को, भक्तजन राम एकादशी का उपवास करेंगे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, उपवास रखने से मनुष्यों को मोक्ष प्राप्त हो सकता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की आराधना और उपवास के लिए जाना जाता है। विशेष भक्ति और श्रद्धा के साथ उपवास करने से दोगुना फल मिलता है।
उपवास की विधि और नियम
राम एकादशी के उपवास में बहुत सख्ती बरती जाती है। कई भक्त निर्जला उपवास की भी प्रतिज्ञा लेते हैं, लेकिन यह आवश्यक नहीं है। फलों और फलों के रस का सेवन इस उपवास के दौरान मान्य है। एकादशी तिथि 27 अक्टूबर को प्रातः 5:23 बजे से शुरू होकर 28 अक्टूबर को सुबह 7:50 बजे समाप्त होगी, ऐसे में भक्तजन इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा का आयोजन करते हैं।
पारण की विधि
29 अक्टूबर को प्रातः पारण का समय है, जिसमें उपवास के नियम समाप्त होते हैं। इस पारण के लिए जरूरी है कि भक्त प्रातःकाल में जल्दी उठें और स्नानादि करके भगवान विष्णु की पूजा करें। पारण का समय सुबह 5:55 से 8:13 के बीच होता है, जिसमें भगवान की आराधना के बाद उपवास खोला जाता है। पूजा में तूलसी पत्र, फूल, मिठाई और पातालों का प्रयोग करना चाहिए।
पूजा और मंत्र
पारण के तुरंत बाद भगवान विष्णु की आराधना के लिए विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इनमें 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय', 'श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव' और 'राम राम रामेति' जैसे मंत्र शामिल हैं। इन मंत्रों के साथ तूलसी पत्ता और विशेष प्रकार का भोग प्रदान किया जाता है।
भक्ति का महत्व
इस दिन की पूजा का महत्व विशेष रूप से धार्मिक दृष्टिकोण से है। इस दिन की पूजा और उपवास पापकर्मों से मुक्ति और सौम्य जीवन जीने की प्रेरणा देता है। भक्तजन मानते हैं कि यह दिन जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने वाले होता है।
आध्यात्मिक लाभ
राम एकादशी केवल धार्मिक नहीं बल्कि अध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्व रखती है। यह दिन अपने आत्मा की शुद्धि और भगवान के प्रति समर्पण की गहरी अभिव्यक्ति है। उपवास के साथ-साथ धारणा, ध्यान और भगवान के नाम का जप इसे अधिक प्रभावशाली बनाता है।