SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच ने हिन्डेनबर्ग के आरोपों को किया खारिज, कहा - वित्तीय लेन-देन पूरी तरह पारदर्शी

SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच ने हिन्डेनबर्ग के आरोपों को किया खारिज, कहा - वित्तीय लेन-देन पूरी तरह पारदर्शी

SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच ने हिन्डेनबर्ग के आरोपों को किया खारिज, कहा - वित्तीय लेन-देन पूरी तरह पारदर्शी

अगस्त 11, 2024 इंच  व्यापार subham mukherjee

द्वारा subham mukherjee

SEBI प्रमुख ने लगाए हिन्डेनबर्ग आरोपों पर विचार

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने हाल ही में हिन्डेनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों का जोरदार खंडन किया है। हिन्डेनबर्ग रिसर्च एक शोध कंपनी है जो विभिन्न कंपनियों पर अपने तीखे और आलोचनात्मक रिपोर्टों के लिए जानी जाती है। इस बार उन्होंने SEBI के वित्तीय लेन-देन पर सवाल उठाते हुए अध्यक्ष बुच के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

आरोपों के पीछे की सच्चाई

हिन्डेनबर्ग रिसर्च ने यह दावा किया था कि SEBI अपने वित्तीय लेन-देन के कुछ हिस्से जो सार्वजनिक नहीं किए गए थे, वे व्यवस्थित रूप से छुपाए गए थे। इन आरोपों ने SEBI की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न लगा दिए। यहीं से शुरू हुआ यह विवाद, जो अब भारतीय वित्तीय क्षेत्र में चर्चाओं का केंद्र बन चुका है।

पारदर्शिता और जांच

माधबी पुरी बुच ने इस मामले में स्पष्ट शब्दों में कहा कि SEBI के सभी वित्तीय लेनदेन, उनके प्रकट करने और जांच के लिए पूरी तरह से पारदर्शी हैं। उन्होंने कहा कि SEBI के वित्तीय लेन-देन नियमित रूप से ऑडिट किए जाते हैं और सभी आवश्यक जानकारी समय पर सार्वजनिक की जाती है। बुच ने यह भी जोर दिया कि SEBI हमेशा उच्चतम मानकों और नैतिकता के साथ काम करती है और किसी भी प्रकार के आरोप बेबुनियाद और गलत हैं।

चरित्र हनन का आरोप

बुच ने इस पूरे प्रकरण को अपने और SEBI के चरित्र हनन का एक प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि यह आरोप न केवल उनके व्यक्तिगत महत्व और सम्मान को चोट पहुंचाते हैं, बल्कि एक प्रतिष्ठित संस्था की साख को भी धूमिल करने की कोशिश है। उन्होंने भारत के वित्तीय क्षेत्र और उसकी संरचनाओं की सुरक्षा और स्थायित्व को बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

वित्तीय क्षेत्र में पारदर्शिता की आवश्यकता

यह पूरा मामला भारतीय वित्तीय क्षेत्र में पारदर्शिता और नियामकीय निगरानी की आवश्यकता पर गहन चर्चा को जन्म देता है। बुच ने इस अवसर का उपयोग करते हुए इस बात को भी स्पष्ट किया कि SEBI केवल नियामकीय संस्था नहीं है बल्कि वह बाजार की स्थिरता और विश्वास बनाए रखने के लिए लगातार प्रयासरत है। SEBI की भूमिका केवल नियम और विनियम लागू करना ही नहीं है, बल्कि बाजार के प्रत्येक पहलु की गहराई से जांच करना और उसे पारदर्शी बनाए रखना भी है।

स्टेकधारकों को आश्वासन

बुच ने अपने बयान में सभी स्टेकधारकों को आश्वासन दिया कि SEBI हमेशा नैतिकता और पारदर्शिता के उच्चतम मानकों का पालन करता रहेगा। उन्होंने कहा कि कमिशन सभी वित्तीय गतिविधियों में सुप्राभाव प्रदर्शन को सुनिश्चित करेगा और किसी भी प्रकार की चूक को तुरंत सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस पूरे घटनाक्रम ने भारतीय वित्तीय क्षेत्र में रोजगार नियमों और पारदर्शिता पर एक नई बहस को जन्म दिया है। इसकी व्यापकता और गहनता को समझते हुए यह अनिवार्य हो जाता है कि हम हर नियामकीय संस्था और उसके संचालन पर सवाल उठाएं, ताकि भारतीय आर्थिक प्रणाली हमेशा मजबूत और विश्वसनीय बनी रहे।

subham mukherjee

subham mukherjee

मैं एक प्रतिष्ठित पत्रकार और लेखक हूँ, जो दैनिक खबरों से जुड़े मुद्दों पर लिखना पसंद करता हूँ। मैंने कई प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों में कार्य किया है और मुझे जनता को सही और सटीक जानकारी प्रदान करने में खुशी मिलती है।

10 टिप्पणि

  • vamsi Krishna

    vamsi Krishna

    12 अगस्त 2024

    sebi ka kya matlab hai yaar kuch bhi nahi hota sab kuch fake hai... ye log apne ghar ke paas hi khush rehte hain

  • Amiya Ranjan

    Amiya Ranjan

    13 अगस्त 2024

    Is type ki statements se koi bhi convince nahi hota. Transparency ka matlab hai documentation, not press releases.

  • fathima muskan

    fathima muskan

    15 अगस्त 2024

    Aur agar SEBI khud ke kharche chhupati hai toh phir kya hoga? Kya humein abhi bhi trust karna chahiye? Kya ye sab sirf 'public relations' ka khel hai? 😏

  • Devi Trias

    Devi Trias

    17 अगस्त 2024

    As per Section 11(4) of the SEBI Act, 1992, all financial disclosures are mandatory and subject to statutory audit. The assertion of opacity is factually incorrect. However, procedural transparency must be demonstrable, not merely declared.

  • Kiran Meher

    Kiran Meher

    18 अगस्त 2024

    Doston ye sab ek naya shuruaat hai! SEBI ne apne aap ko clear kiya, ab hum sabko support karna chahiye! Bina doubt ke bharat ke system pe bharosa karo! 💪

  • Tejas Bhosale

    Tejas Bhosale

    19 अगस्त 2024

    The epistemic rupture between institutional legitimacy and performative transparency is irreconcilable unless ontological audit protocols are decentralized. We're stuck in a hermeneutic loop of performative governance.

  • Mohit Parjapat

    Mohit Parjapat

    21 अगस्त 2024

    HINDENBERG? USA ka koi NGO jo India ki kisi bhi company ko destroy karne ke liye paid hai! SEBI ne sahi kiya! Bharat ki sazaa nahi, hum sab ko ek saath khade hone chahiye! 🇮🇳🔥

  • Abhishek Sarkar

    Abhishek Sarkar

    23 अगस्त 2024

    You think this is the first time? Think again. Every regulator in India has hidden something. SEBI? They’ve been doing this since 2008. The audit reports are manipulated, the whistleblower channels are blocked, and the people who speak up? Disappeared. This isn’t transparency-it’s theater. And you’re all just applauding the actors. Wake up.

  • Asish Barman

    Asish Barman

    23 अगस्त 2024

    ye sab bhai log kuch nahi karte bas bade bade batein karte hain. agar sach mein transparent hai toh sab kuch public domain mein daal do. bas ye nahi kehna ki hum sab ko bharosa karo

  • Sumit singh

    Sumit singh

    24 अगस्त 2024

    You call this transparency? A press release after months of silence? You’re not a regulator, you’re a PR firm with a government license. Real transparency means publishing every transaction, every email, every decision log. Not just saying ‘we’re clean.’ Show it. Prove it. Or shut up.

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