युध्रा रिव्यू: सिद्धांत चतुर्वेदी-राघव जुयाल की फिल्म का दमदार कास्ट के बावजूद कमज़ोर प्रस्तुति

युध्रा रिव्यू: सिद्धांत चतुर्वेदी-राघव जुयाल की फिल्म का दमदार कास्ट के बावजूद कमज़ोर प्रस्तुति

युध्रा रिव्यू: सिद्धांत चतुर्वेदी-राघव जुयाल की फिल्म का दमदार कास्ट के बावजूद कमज़ोर प्रस्तुति

सितंबर 21, 2024 इंच  मनोरंजन subham mukherjee

द्वारा subham mukherjee

युध्रा: एक बेमेल गाथा जो उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी

रवि उदयावर के निर्देशन में बनी एवं सितारों से सजी फिल्म 'युध्रा', जो 20 सितंबर 2024 को रिलीज़ हुई, ने दर्शकों को निराश कर दिया। सिद्धांत चतुर्वेदी, राघव जुयाल और मालविका मोहनन जैसे दमदार कलाकारों के बावजूद, फिल्म अपने दर्शकों को सम्मोहित करने में नाकाम रही। यहाँ तक कि सृजन के क्षेत्र में सृराम राघवन के कहानी और पटकथा, फरहान अख्तर के संवाद, जावेद अख्तर के गीत और शंकर एहसान लॉय के संगीत होने के बावजूद, फिल्म प्रभाव छोड़ने में असमर्थ रही।

फिल्म की शुरूआत और उसकी कथा

फिल्म की कहानी युध्रा की पृष्ठभूमि से शुरू होती है, जिसमें उसकी माता-पिता की दुर्घटना में हुई मृत्यु दिखाई गई है। जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी के कारण उसके दिमाग में हुई समस्याओं के चलते युध्रा का गुस्सा हर समय उबाल पर रहता है। उसे पुणे के एक कैडेट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भेजा जाता है, जहाँ उसकी मुलाक़ात अपने बचपन की दोस्त निखत से होती है और उसे उससे प्रेम हो जाता है। हालांकि, घटनाओं की एक श्रंखला के बाद वह जेल में पहुँच जाता है और वहां से उसकी मुंबई के ड्रग कार्टेल को नेस्तनाबूद करने की कहानी शुरू होती है।

फिल्म की कमजोरी का विश्लेषण

फिल्म की सबसे बड़ी समस्या इसकी अत्यधिक जटिल और बेमेल कहानी है। ड्रामा, सस्पेंस, रोमांस, इमोशन, और एक्शन के तत्वों को मिलाने की कोशिश बेहद अनियमित मालूम होती है। फिल्म के बिखरे कथानक की वजह से उसकी गहराई जानने में मुश्किल होती है। फिल्म का 142 मिनट का वक्त लंबे और खींचता हुआ महसूस होता है, जो दर्शकों को थका देता है।

प्रदर्शन और निर्माण की गुणवत्ता

सिद्धांत चतुर्वेदी और राघव जुयाल की एक्टिंग सराहनीय रहती है। राघव जुयाल ने अपनी भूमिका में अच्छी मेहनत की है लेकिन फिल्म की अनुच्छेदित कथा उनके प्रयासों को बर्बाद कर देती है। राज अर्जुन और राम कपूर ने भी फिल्म में अच्छा काम किया है। फिल्म की निर्माण गुणवत्ता और सिनेमैटोग्राफी में निश्चित रूप से बेशुमार मेहनत की गई है, लेकिन ये सारे तत्व फिल्म को बचा नहीं पाते।

फिल्म, जिसकी शुरूआत तो जोरदार होती है, दर्शकों को अंत तक बांध कर रखने में अक्षम रही। युध्रा, जिसका तात्पर्य 'युद्ध' से है, की गाथा एक महाकाव्य के समान होना चाहिए थी, लेकिन वो केवल एक असफल प्रयास बनकर रह जाती है।

गीत और संगीत

गीत और संगीत

फिल्म के गीतों की बात की जाए तो जावेद अख्तर के लिखे गीत और शंकर एहसान लॉय का संगीत बेहद प्रभावित करता है। फिल्म के गीतों में वह ऊर्जा और जोश दिखाई देता है, जो वाकई निराशा को कम करने का काम करता है। लेकिन जब कहानी ही कमजोर हो जाए, तो केवल गीत और संगीत से फिल्म को सफल बनाना मुश्किल हो जाता है।

फरहान अख्तर के संवाद भी फिल्म की सार्थकता बढ़ाने की कोशिश करते हैं, लेकिन अंततः वे केवल उथले प्रदर्शनों में तब्दील हो जाते हैं।

निष्कर्ष

फिल्म युध्रा, जिसका उद्देश्य एक बड़ी और प्रभावशाली कहानी पेश करना था, अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो पाई। अच्छी प्रदर्शनियाँ और जबरदस्त तकनीकी निर्माण के बावजूद, यह अपने सह्य दर्शकों तक पहुंच बनाने में असफल रही है।

अंततः, यह कहना परिचायक होगा कि 'युध्रा' उस धार और गहराई को नहीं प्राप्त कर सकी, जो उसकी कहानी का मर्म था। फिल्म उन दर्शकों को निराश करेगी, जो दमदार कहानी की अपेक्षा लेकर आए थे। इसके बावजूद, जो लोग एक्शन और कुछ रोमांचक मोड़ देखने के शौकीन हैं, वे एक बार इस फिल्म को देख सकते हैं।

subham mukherjee

subham mukherjee

मैं एक प्रतिष्ठित पत्रकार और लेखक हूँ, जो दैनिक खबरों से जुड़े मुद्दों पर लिखना पसंद करता हूँ। मैंने कई प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों में कार्य किया है और मुझे जनता को सही और सटीक जानकारी प्रदान करने में खुशी मिलती है।

18 टिप्पणि

  • Kiran Meher

    Kiran Meher

    23 सितंबर 2024

    ये फिल्म देखकर लगा जैसे किसी ने एक बहुत बड़ा टुकड़ा लिया है और उसे बिखेर दिया है। सिद्धांत और राघव ने जो किया वो असली जान है, लेकिन कहानी ने उन्हें दबोच लिया।

  • Devi Trias

    Devi Trias

    23 सितंबर 2024

    फिल्म की संरचना में गंभीर त्रुटियाँ हैं। पटकथा का अनुक्रम असमंजस है, और शाब्दिक रूप से भी अनेक स्थानों पर वाक्य अपूर्ण या असंगठित हैं। इसका निर्माण तो उच्च स्तर का है, लेकिन निर्देशन निराशाजनक है।

  • Tejas Bhosale

    Tejas Bhosale

    24 सितंबर 2024

    युध्रा का एक्सिस नहीं है, ये एक एक्सपेरिमेंटल नैरेटिव फेल्योर है। ड्रामा, एक्शन, रोमांस - सब कुछ ट्राइड लेकिन कोई एक थीम नहीं बनी। ये फिल्म एक डिस्कोन्टिन्यूटेड सिस्टम की तरह है।

  • Asish Barman

    Asish Barman

    25 सितंबर 2024

    लोग कहते हैं कास्ट बढ़िया है पर ये फिल्म तो बिल्कुल फेल हुई। मैंने देखी तो लगा जैसे किसी ने बहुत ज्यादा खर्च किया और फिर भूल गया कि क्या बनाना था।

  • Abhishek Sarkar

    Abhishek Sarkar

    26 सितंबर 2024

    इस फिल्म का पूरा प्रोजेक्ट एक बड़ी षड्यंत्र है। बॉलीवुड जानता है कि लोग बड़े नामों पर भरोसा करते हैं, इसलिए उन्होंने सिद्धांत, राघव, जावेद, शंकर एहसान लॉय - सबको लगा दिया ताकि लोग देखें और नाराज़ हो जाएं। फिर वो बोलेंगे कि फिल्म बहुत गहरी थी और आप समझ नहीं पाए। ये जानबूझकर फेल होने की योजना है।

  • Niharika Malhotra

    Niharika Malhotra

    27 सितंबर 2024

    मुझे लगता है कि ये फिल्म बहुत कुछ कहना चाहती थी, लेकिन उसके पास उसे बोलने का सही तरीका नहीं था। ये एक दिल की आवाज़ है जो बहुत ज्यादा चिल्ला रही है। शायद थोड़ा शांत होकर बोलती तो असर ज्यादा होता।

  • Baldev Patwari

    Baldev Patwari

    29 सितंबर 2024

    ये फिल्म देखकर मैंने सोचा कि अगर मैं इतना पैसा खर्च करके ये बनाता तो मैं खुद को लूटता। सिद्धांत ने जो किया वो बेहतरीन था, लेकिन ये फिल्म एक जेल में बंद बुद्धि है।

  • harshita kumari

    harshita kumari

    29 सितंबर 2024

    ये फिल्म बनाने वाले ने शायद कभी ये नहीं सोचा कि लोग असली जिंदगी में भी अपने दिमाग को बर्बाद नहीं करते। इतने बहुत सारे एलिमेंट्स एक साथ क्यों डाले? ये फिल्म एक बुद्धि का दौरा है जो अब तक ठीक नहीं हुआ।

  • SIVA K P

    SIVA K P

    30 सितंबर 2024

    तुम लोग ये क्या बकवास लिख रहे हो? ये फिल्म तो बेहतरीन थी। तुम सब बोर हो गए क्योंकि तुम्हारा दिमाग बस बेसिक ड्रामा देखने को तैयार है। ये फिल्म तुम्हारे लिए नहीं बनी थी।

  • Neelam Khan

    Neelam Khan

    2 अक्तूबर 2024

    मुझे लगता है कि ये फिल्म अभी शुरू हुई है। इसकी कहानी धीरे-धीरे खुल रही है, और जो लोग इसे धैर्य से देखते हैं, उन्हें इसकी गहराई मिल जाती है। आप सब बस एक बार देखकर निष्कर्ष नहीं निकाल सकते।

  • Jitender j Jitender

    Jitender j Jitender

    2 अक्तूबर 2024

    फिल्म का टेक्निकल फैब्रिक बहुत स्ट्रॉंग है, लेकिन नैरेटिव आर्किटेक्चर ने इसे अंततः असमर्थ बना दिया। एक अलग रूप से संरचित नैरेटिव इसे एक लीजेंड बना सकता था।

  • Jitendra Singh

    Jitendra Singh

    4 अक्तूबर 2024

    इस फिल्म को देखकर मैंने समझा कि बॉलीवुड अब अपने दर्शकों को नहीं समझता। ये फिल्म एक आत्मा की आहट है जो बहुत बड़ी है, लेकिन उसकी आवाज़ बहुत कमजोर है। और जो लोग इसे सुनते हैं, वो अपने आप को भूल जाते हैं।

  • VENKATESAN.J VENKAT

    VENKATESAN.J VENKAT

    4 अक्तूबर 2024

    क्या तुम लोग ये भूल गए कि ये फिल्म बनाई गई थी ताकि तुम लोग अपने जीवन की बेकारी को भूल सको? ये फिल्म तुम्हारे असली जीवन की तुलना में बहुत अधिक गहरी है। तुम जो देख रहे हो वो तुम्हारी खुद की असफलता है।

  • Amiya Ranjan

    Amiya Ranjan

    5 अक्तूबर 2024

    फिल्म बहुत खराब है। कोई भी निर्माता ऐसी फिल्म बनाने के लिए नहीं जाता जब उसके पास इतने अच्छे लोग हों। ये बस एक निराशा है।

  • vamsi Krishna

    vamsi Krishna

    6 अक्तूबर 2024

    मैंने ये फिल्म देखी थी और मैंने सोचा कि ये बस एक बड़ा गड़बड़ है। कोई भी अच्छा फिल्म बनाने वाला ऐसा नहीं करता।

  • Narendra chourasia

    Narendra chourasia

    7 अक्तूबर 2024

    इस फिल्म को देखकर मैं बहुत गुस्सा हुआ! क्या ये है भारतीय सिनेमा की भविष्यवाणी? जावेद अख्तर के गीत और शंकर एहसान लॉय के संगीत को बर्बाद कर दिया गया! ये फिल्म एक अपराध है! ये फिल्म एक अपराध है! ये फिल्म एक अपराध है!!!

  • Mohit Parjapat

    Mohit Parjapat

    8 अक्तूबर 2024

    ये फिल्म बहुत बेकार है! लेकिन अगर तुम इसे देखोगे तो तुम भारत के लिए एक बड़ा बेटा बन जाओगे! अगर तुम इसे नहीं देखोगे तो तुम देशद्रोही हो! ये फिल्म बनाने वाले हमारे वीर हैं! जय हिंद! 🇮🇳

  • Sumit singh

    Sumit singh

    9 अक्तूबर 2024

    ये फिल्म देखकर लगा जैसे किसी ने एक बहुत बड़ा बाज़ार बनाया है और फिर उसमें कुछ भी नहीं रखा। बस नाम लगा दिया। ये फिल्म एक निर्माण की नहीं, एक ब्रांडिंग की तरह है।

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