दिल्ली हाई कोर्ट में अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा है। यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दिल्ली की आबकारी नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। इस मामले में केजरीवाल के साथ ही उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और 13 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी अभियोग पत्र दाखिल किया गया है।
सीबीआई ने 18 जुलाई 2024 को आरोपियों को गिरफ्तार किया था और तब से वे न्यायिक हिरासत में हैं। सीबीआई का आरोप है कि केजरीवाल की सरकार ने शराब लाइसेंस धारकों को अवैध रूप से लाभ पहुंचाया, जिससे सरकार को 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
मामले की सुनवाई: दोनों पक्षों की दलीलें
सुनवाई के दौरान, केजरीवाल के वकील ने तर्क दिया कि मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं है और सीबीआई द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। वकील ने यह भी आरोप लगाया कि सीबीआई ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है और जांच राजनीतिक रूप से प्रेरित है।
दूसरी ओर, सीबीआई ने यह दावा किया कि केजरीवाल और अन्य आरोपियों ने शराब लाइसेंस धारकों को अनधिकृत लाभ प्रदान किया, जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ। सीबीआई के अनुसार, इस नीति के परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है जो कि बहुत गंभीर मामला है।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रखा है। अब न्यायालय द्वारा निर्णय लिए जाने का इंतजार है, जो केजरीवाल और उनकी सरकार के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
आबकारी नीति विवाद का विस्तार
यह मामला दिल्ली सरकार द्वारा शुरू की गई नई आबकारी नीति से संबंधित है, जिसे 2021-22 में लागू किया गया था। इस नीति का उद्देश्य राज्य में शराब बिक्री की प्रणालियों को सुधारना और इसे अधिक पारदर्शी बनाना था। हालांकि, विपक्षी दल और सिविल सोसाइटी ने इस नीति पर शुरू से ही सवाल उठाए थे।
आरोप है कि इस नीति के तहत कुछ शराब व्यापारियों को विशेष लाभ दिया गया और नियमों की अनदेखी की गई। खासकर कुछ बड़े शराब वितरकों को लाइसेंस देने में अनियमितता के आरोप लगे हैं। इससे संबंधित आरोपियों पर भ्रष्टाचार और आपराधिक षड्यंत्र से संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
दिल्ली की राजनीति में यह मामला और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) ने हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। यह मामला उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकता है और उनकी सरकार के राजनीतिक भविष्य पर असर डाल सकता है।
विपक्षी दल, विशेषकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस, इस मुद्दे को लेकर केजरीवाल और AAP सरकार की आलोचना कर रही हैं। उन्होंने सरकार की नीतियों और निर्णयों पर सवाल उठाए हैं और इस मामले को जनता के बीच में जोर-शोर से उठाया है।
न्यायालय का निर्णय और संभावित प्रभाव
न्यायालय का अंतिम निर्णय इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यदि जमानत याचिका मंजूर हो जाती है तो यह केजरीवाल और उनकी सरकार के लिए राहत की बात होगी। अन्यथा, इस मामले में कानूनी प्रक्रिया और भी जटिल हो सकती है और उनकी सरकार को कमजोर कर सकती है।
जमानत याचिका का निर्णय आने के बाद, इस केस की आगे की सुनवाई और संभावित निर्णय को लेकर सभी की नजरें इस पर टिकी होंगी।
Kiran Meher
1 अगस्त 2024ये सब राजनीति का खेल है भाई लेकिन अरविंद जी को जमानत मिल जाए तो बहुत अच्छा होगा। दिल्ली की जनता उनके साथ है और ये मामला भी एक बड़ा झूठ है। धैर्य रखो और जीतो।
हम सब तुम्हारे साथ हैं।
Tejas Bhosale
1 अगस्त 2024इस मामले में न्यायिक राजनीति का अलग एक लेयर है। CBI का फ्रेमवर्क अभी भी प्रोसीजरल लूप में फंसा हुआ है। डिस्क्रेपेंसी और डिस्क्रेपेंसी के बीच फर्क नहीं पड़ता जब तक डिस्क्रेपेंसी ऑफिशियल नोटिफिकेशन में नहीं आती। जमानत का मतलब नहीं कि गिल्टी नहीं है।
Asish Barman
3 अगस्त 2024kya ye sab sach hai ya phir koi fake news chal raha hai? kuch log toh bolte hai ki cbi ne sirf ek minister ko target kiya hai warna baki sab bhi same karte hain. koi proof dikhao na please.
Abhishek Sarkar
4 अगस्त 2024ये सब एक बड़ा साजिश है जिसे शक्ति के लिए बनाया गया है। CBI को किसने नियुक्त किया? जो लोग आज जमानत नहीं दे रहे वो कल अपने अधिकारियों के खिलाफ भी ऐसा ही करेंगे। ये नीति बनाने वाले लोग अपने भाई बंधुओं को लाइसेंस दे रहे थे और अब वो उन्हें फंसा रहे हैं। ये न्याय नहीं बल्कि राजनीतिक बदला है। जब तक ये न्यायालय अपने अधिकार का दुरुपयोग नहीं करता तब तक ये मामला नहीं खुलेगा।
Niharika Malhotra
6 अगस्त 2024इस तरह के मामलों में न्याय की प्रक्रिया को समय देना जरूरी है। अरविंद केजरीवाल ने जो आबकारी नीति बनाई वो शुरू में जनता के लिए अच्छी लगी, लेकिन जब अनियमितताएं आईं तो जांच की जानी चाहिए। लेकिन जमानत का फैसला भी न्याय के बिना नहीं होना चाहिए। आशा है कि न्यायालय संतुलित निर्णय लेगा।