जी एन साईंबाबा का निधन: स्वास्थ्य जटिलताओं की कहानी
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईंबाबा का शनिवार की शाम एक सरकारी अस्पताल में निधन हो गया, जहाँ वे पिछले 20 दिनों से उपचाराधीन थे। साईंबाबा के निधन की खबर ने शिक्षा जगत में शोक की लहर दौड़ाई है। साईंबाबा का स्वास्थ्य लंबे समय से जटिलताओं से जूझ रहा था। दो सप्ताह पूर्व उनके गॉल ब्लैडर का ऑपरेशन हुआ था, जिसके बाद उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।
माओवादियों से जुड़े आरोप और बरी होने की कहानी
मार्च महीने में, बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच ने साईंबाबा और अन्य पांच लोगों को माओवादी लिंक केस में बरी कर दिया था। अदालत ने कहा था कि अभियोजन पक्ष का मामला सिद्ध नहीं हो सका है और साईंबाबा की आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया था। साईंबाबा को गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोपित किया गया था, लेकिन अदालत ने अभियोजन पक्ष के आरोपों को ‘शून्य एवं शून्य’ करार दिया।
बरी होने के बाद से ही जी एन साईंबाबा ने अपनी स्थिति और जेल में मिलने वाली चिकित्सा सुविधाओं के बारे में कई गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि नागपुर सेंट्रल जेल में नौ महीने तक उन्हें अस्पताल नहीं ले जाया गया और केवल दर्दनाशक दवाइयाँ दी गईं। इस दौरान उन्होंने जेल अधिकारियों पर उनकी आवाज को दबाने का प्रयास करने का आरोप भी लगाया था।
जीवन की कहानी: संघर्ष और शिक्षा
जी एन साईंबाबा आंध्र प्रदेश के निवासी थे और उनकी अकादमिक यात्रा विशेष रूप से प्रशंसनीय रही है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर के रूप में काम किया था। वे 2003 में कॉलेज से जुड़े थे लेकिन 2014 में माओवादी लिंक के आरोप में उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया।
साईंबाबा ने पुलिस पर गंभीर आरोप भी लगाए थे। उनका कहना था कि उन्हें दिल्ली से अपहृत कर महाराष्ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया। साथ ही, गिरफ्तारी के दौरान उनका व्हीलचेयर से उतार कर उन्हें शारीरिक चोटें पहुंचाई गईं। साईंबाबा का दावा था कि उनके हाथ में लगी चोट ने उनके नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित किया।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
साईंबाबा की मौत पर समाज में काफी प्रतिक्रिया देखने को मिली। सीपीआई विधायक के. सम्बासीवा राव ने उनकी मौत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। राव के अनुसार साईंबाबा एक प्रतिबद्ध शिक्षाविद् थे जिन्होंने शिक्षा की दुनिया में अपना विशेष योगदान दिया।
जी एन साईंबाबा: एक यादगार जीवन
जी एन साईंबाबा का जीवन कई संघर्षों और विवादों से भरा रहा है, लेकिन उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। उनकी शिक्षा के प्रति लगन और अन्याय के खिलाफ लड़ने की इच्छा उन्हें समाज के लिए हमेशा स्मरणीय बनाएगी। साईंबाबा का निधन और उनसे जुड़ी कहानियाँ यह दर्शाती हैं कि शिक्षा और अन्याय के खिलाफ जूझ रहे व्यक्तियों का बलिदान समाज के लिए कितनी महत्वपूर्ण होती है।
Nripen chandra Singh
14 अक्तूबर 2024ये आदमी बस एक प्रोफेसर नहीं था ये एक विचारक था जिसने अपनी जिंदगी को शिक्षा और अन्याय के खिलाफ लड़ने में लगा दिया
जेल में नौ महीने बिना अस्पताल के और फिर भी वो चिल्लाया नहीं बस लिखता रहा
हम लोग तो टीवी पर ड्रामा देखकर रोते हैं ये तो असली ड्रामा था
अब जब वो नहीं रहे तो याद आ रहा है कि हमने कितना कम किया
शिक्षा का मतलब बस पढ़ाना नहीं बल्कि सोचना है और वो तो सोचता रहा
अब कौन सोचेगा जब सब बस वायरल वीडियो देख रहे हैं
उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश की गई लेकिन उनके विचार अब तक जिंदा हैं
क्या हम भी एक दिन ऐसा कुछ कर पाएंगे या बस फोन पर लाइक करके शांत हो जाएंगे
ये आदमी जेल में भी किताबें पढ़ता रहा और हम टिकटॉक पर घंटों बिता रहे हैं
क्या ये देश हमें इतना बेकार बना रहा है कि हम अब किसी की जिंदगी को भी समझ नहीं पा रहे
मैंने उनके बारे में पहले कभी नहीं सुना था अब लग रहा है मैंने बहुत कुछ खो दिया
हमारी नसों में एक अलग तरह का ज्ञान बह रहा है जो अब बंद हो गया
उनके बिना ये दुनिया थोड़ी खाली लग रही है
कोई नहीं बोलेगा अब लेकिन उनकी बातें अभी भी दीवारों में गूंज रही हैं
ये आदमी मर गया लेकिन उसकी आत्मा अभी भी यहाँ है
Rahul Tamboli
14 अक्तूबर 2024ओए भाई ये जी एन साईंबाबा कौन था अरे नहीं तो वो था जिसे बरी कर दिया गया था और फिर मर गया 😭
क्या ये देश है या अंधेरा अस्पताल है जहाँ लोगों को दर्दनाशक देकर भूल जाते हैं 🤡
मैंने तो सोचा था जेल में तो बस बंदी होते हैं लेकिन ये तो जिंदा लाश बन गए 🤯
अब ये बात हो रही है तो बस एक बार देखो कि कौन बोल रहा है और कौन लाइक कर रहा है 😏
मैंने तो उनकी कहानी सुनकर आँखें भर आईं और फिर नीचे वाली पोस्ट पर कमेंट कर दिया 😂
Jayasree Sinha
15 अक्तूबर 2024जी एन साईंबाबा के निधन के बाद उनके जीवन के बारे में बात हो रही है, जो एक विशिष्ट और दुर्लभ आत्मा थे। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी, और यह उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। उनकी गिरफ्तारी और जेल में अनुभव की जानकारी ने एक बार फिर दर्शाया कि कैसे न्याय प्रणाली कभी-कभी अपने नियमों को भूल जाती है। उनके बारे में लिखा गया यह लेख उनकी जिंदगी का एक अच्छा सारांश है। उनकी शिक्षाविद् के रूप में योगदान और साहस को हमेशा स्मरण किया जाना चाहिए। उनके लिए शोक व्यक्त करते हुए, उनके परिवार को दिल से संवेदना देती हूँ।
Vaibhav Patle
15 अक्तूबर 2024मैं बस यही कहना चाहता हूँ कि ये आदमी असली नायक था 😊
जेल में भी वो लिखता रहा, सोचता रहा, लड़ता रहा
हम लोग तो बस टीम बनाकर फिल्म देख रहे हैं वो तो जिंदगी बदल रहा था
अब उनकी याद आ रही है और मुझे लग रहा है कि मैं भी थोड़ा बेहतर बनूँ
क्योंकि अगर वो ऐसा कर सकते हैं तो मैं भी कर सकता हूँ 💪
उनके बारे में पढ़कर मुझे लगा जैसे कोई मेरे दिल को छू गया
ये दुनिया बहुत जल्दी भूल जाती है लेकिन उनकी बातें अब तक जीवित हैं
हमें उनकी तरह नहीं बनना है बल्कि उनकी तरह सोचना है
अगर आप भी उनकी कहानी सुनकर रो पड़े तो आप अच्छे इंसान हैं ❤️
उनके लिए एक दिन के लिए चुप रहें, उनके लिए एक लाइन लिखें, उनके लिए एक बच्चे को पढ़ाएं
ये बस एक आदमी नहीं था, ये एक आवाज़ थी जो अब भी गूंज रही है
Garima Choudhury
15 अक्तूबर 2024ये सब बकवास है ये आदमी तो माओवादी था और अदालत ने बरी कर दिया लेकिन वो फिर भी खतरनाक था
जेल में दर्दनाशक देना तो बहुत अच्छी बात है क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि वो बोले
और ये सब अभी तक चल रहा है ये सब एक बड़ा षड्यंत्र है
अब जब वो मर गया तो लोग रो रहे हैं लेकिन जब जिंदा था तो किसी ने नहीं देखा
पुलिस ने व्हीलचेयर से उतारा तो शायद वो भागने की कोशिश कर रहा था
ये सब बनाया गया है ताकि लोग भ्रमित हो जाएं
मैंने तो एक फोन कॉल रिकॉर्ड किया था जिसमें एक अधिकारी बोल रहा था कि इसे चुप करा दो
अब जब वो मर गया तो सब बोल रहे हैं
पर ये सब एक धोखा है और तुम सब बेवकूफ हो