प्रोफेसर जी एन साईंबाबा का निधन: अधिक स्वास्थ्य समस्याएं बनीं मौत की वजह

प्रोफेसर जी एन साईंबाबा का निधन: अधिक स्वास्थ्य समस्याएं बनीं मौत की वजह

प्रोफेसर जी एन साईंबाबा का निधन: अधिक स्वास्थ्य समस्याएं बनीं मौत की वजह

अक्तूबर 13, 2024 इंच  समाचार विकास शर्मा

द्वारा विकास शर्मा

जी एन साईंबाबा का निधन: स्वास्थ्य जटिलताओं की कहानी

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईंबाबा का शनिवार की शाम एक सरकारी अस्पताल में निधन हो गया, जहाँ वे पिछले 20 दिनों से उपचाराधीन थे। साईंबाबा के निधन की खबर ने शिक्षा जगत में शोक की लहर दौड़ाई है। साईंबाबा का स्वास्थ्य लंबे समय से जटिलताओं से जूझ रहा था। दो सप्ताह पूर्व उनके गॉल ब्लैडर का ऑपरेशन हुआ था, जिसके बाद उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।

माओवादियों से जुड़े आरोप और बरी होने की कहानी

मार्च महीने में, बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच ने साईंबाबा और अन्य पांच लोगों को माओवादी लिंक केस में बरी कर दिया था। अदालत ने कहा था कि अभियोजन पक्ष का मामला सिद्ध नहीं हो सका है और साईंबाबा की आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया था। साईंबाबा को गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोपित किया गया था, लेकिन अदालत ने अभियोजन पक्ष के आरोपों को ‘शून्य एवं शून्य’ करार दिया।

बरी होने के बाद से ही जी एन साईंबाबा ने अपनी स्थिति और जेल में मिलने वाली चिकित्सा सुविधाओं के बारे में कई गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि नागपुर सेंट्रल जेल में नौ महीने तक उन्हें अस्पताल नहीं ले जाया गया और केवल दर्दनाशक दवाइयाँ दी गईं। इस दौरान उन्होंने जेल अधिकारियों पर उनकी आवाज को दबाने का प्रयास करने का आरोप भी लगाया था।

जीवन की कहानी: संघर्ष और शिक्षा

जी एन साईंबाबा आंध्र प्रदेश के निवासी थे और उनकी अकादमिक यात्रा विशेष रूप से प्रशंसनीय रही है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर के रूप में काम किया था। वे 2003 में कॉलेज से जुड़े थे लेकिन 2014 में माओवादी लिंक के आरोप में उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया।

साईंबाबा ने पुलिस पर गंभीर आरोप भी लगाए थे। उनका कहना था कि उन्हें दिल्ली से अपहृत कर महाराष्ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया। साथ ही, गिरफ्तारी के दौरान उनका व्हीलचेयर से उतार कर उन्हें शारीरिक चोटें पहुंचाई गईं। साईंबाबा का दावा था कि उनके हाथ में लगी चोट ने उनके नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित किया।

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया

साईंबाबा की मौत पर समाज में काफी प्रतिक्रिया देखने को मिली। सीपीआई विधायक के. सम्बासीवा राव ने उनकी मौत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। राव के अनुसार साईंबाबा एक प्रतिबद्ध शिक्षाविद् थे जिन्होंने शिक्षा की दुनिया में अपना विशेष योगदान दिया।

जी एन साईंबाबा: एक यादगार जीवन

जी एन साईंबाबा: एक यादगार जीवन

जी एन साईंबाबा का जीवन कई संघर्षों और विवादों से भरा रहा है, लेकिन उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। उनकी शिक्षा के प्रति लगन और अन्याय के खिलाफ लड़ने की इच्छा उन्हें समाज के लिए हमेशा स्मरणीय बनाएगी। साईंबाबा का निधन और उनसे जुड़ी कहानियाँ यह दर्शाती हैं कि शिक्षा और अन्याय के खिलाफ जूझ रहे व्यक्तियों का बलिदान समाज के लिए कितनी महत्वपूर्ण होती है।


साझा:
विकास शर्मा

विकास शर्मा

मैं एक प्रतिष्ठित पत्रकार और लेखक हूँ, जो दैनिक खबरों से जुड़े मुद्दों पर लिखना पसंद करता हूँ। मैंने कई प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों में कार्य किया है और मुझे जनता को सही और सटीक जानकारी प्रदान करने में खुशी मिलती है।

एक टिप्पणी करना