उत्तर प्रदेश के हाथरस में भगदड़ से 116 की मौत, 200 से अधिक घायल
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में हुए एक दर्दनाक हादसे में कम से कम 116 लोगों की जान चली गई और 200 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। यह भगदड़ फुलरई गांव में 'सत्संग' (प्रार्थना सभा) के दौरान मची, जिसका आयोजन स्वयंभू बाबा नारायण साकर हरी द्वारा किया गया था। माना जा रहा है कि इस घटना के दौरान सत्संग में एक लाख से अधिक लोग शामिल थे, जिनमें से अधिकांश महिलाएं थीं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दौरा और शोक संवेदनाएं
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज घटना स्थल का दौरा कर सकते हैं। राज्य सरकार ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को तुरन्त राहत कार्य शुरू करने और घायलों को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं की शोक संवेदनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर गहरा शोक जताते हुए कहा कि पीड़ितों की हर संभव मदद की जाएगी। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा कि यह घटना बहुत ही दुःखद है और वह प्रभावित परिवारों के साथ हैं।
तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि, मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, झारखंड के मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन, और राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन सहित अन्य नेताओं ने भी गहरी शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं। जर्मनी, चीन और फ्रांस के प्रतिनिधियों ने भी इस घटना पर शोक जताया और पीड़ित परिवारों को संवेदनाएं भेजी हैं।
घटना की जांच और प्रशासनिक कार्रवाई
इस हृदय विदारक घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है। कई नेताओं ने इसकी जांच करवाने की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। लोक सभा प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी सांसद अखिलेश यादव, और केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने भी इस घटना की जांच की मांग की है।
सत्संग में भीड़ की वजह से मची भगदड़
प्राप्त जानकारी के अनुसार, फुलरई गांव में आयोजित इस सत्संग में भारी संख्या में लोग पहुंचे थे। इतनी बड़ी भीड़ के लिए उचित व्यवस्थाओं की कमी थी, जिस कारण भगदड़ मच गई। स्थानीय प्रशासन और आयोजकों पर भीड़ के प्रबंध में बड़ी लापरवाही के आरोप लगे हैं।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों ने इस घटना पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाओं को टाला जा सकता था अगर प्रशासन और आयोजक ज्यादा सतर्क होते। उन्होंने सरकार और स्थानीय अधिकारियों से पीड़ितों के लिए उचित मुआवजे और मदद की मांग की है।
घायलों की चिकित्सा और सहायता
घायलों को तुरंत आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। चिकित्सा अधिकारियों ने घायलों की स्थिति पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए दिन रात काम किया। डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ अपनी पूरी क्षमता के साथ इस संकट की स्थिति को संभालने में लगे हुए हैं।
आयोजकों पर सवाल
इस घातक हादसे के पीछे आयोजकों की दोषीता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि बिना उचित तैयारी के इतने बड़े कार्यक्रम का आयोजन करना बेहद गैरजिम्मेदाराना था। आयोजकों को भीड़ की अपेक्षित संख्या का अनुमान था लेकिन उचित सुरक्षा व्यवस्था का अभाव था।
भविष्य की तैयारी
इस दुर्घटना के बाद सरकार ने बड़े आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था और प्रबंधन के दिशा निर्देश सख्त करने का निर्णय लिया है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पंचायत स्तर पर जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। स्थानीय प्रशासन को इस दिशा में अपेक्षाओं का निर्वहन करने के लिए तत्पर रहना होगा।
इस हृदय विदारक घटना ने बहुत सी जानें ली हैं और कई परिवारों को जीवनभर का दर्द दे दिया है। अब समय है कि हम सब मिलकर इन पीड़ितों की मदद के लिए आगे आएं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सतर्कता और तैयारी करें।
SIVA K P
4 जुलाई 2024ये सब सत्संग और बाबाजी की चालाकी है। लोगों को भगवान का नाम देकर भीड़ जमा कर देते हैं, फिर भगदड़ में लोग मर जाते हैं। अब योगी जी आएंगे तो फिर से बयान देंगे 'हम सबकी जिम्मेदारी है'। कोई नहीं जानता कि ये बाबा कौन है और उसके पास कितना पैसा है?
Neelam Khan
5 जुलाई 2024इस तरह के दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा पीड़ित महिलाएं होती हैं। अगर हम इन बड़े कार्यक्रमों के लिए सुरक्षा और व्यवस्था को गंभीरता से लें, तो ऐसी बातें दोबारा नहीं होंगी। हमें बस इतना करना है कि लोगों को बेहतर जागरूकता दें और उनकी जान बचाएं।
Jitender j Jitender
6 जुलाई 2024इस घटना के पीछे एक सिस्टमिक फेलियर है। लोकल अथॉरिटीज का रिस्क असेसमेंट नहीं हुआ, एमएसएमई के लिए लाइसेंसिंग प्रोसेस नहीं था, और इमरजेंसी रिस्पॉन्स मैकेनिज्म कमजोर था। अब जो भी इसका जिम्मेदार ठहराया जाए, उसके खिलाफ एक स्ट्रक्चरल रिफॉर्म जरूरी है। नहीं तो अगला घटना अगले महीने होगा।
Jitendra Singh
7 जुलाई 2024ये लोग अपनी अज्ञानता में बाबाजी के चरणों में जाकर अपनी जान गंवा देते हैं। विज्ञान और तर्क का अभाव है इनके दिमाग में। एक आदमी जो अपने घर में एक बर्तन भी नहीं बचा पाता, वो लाखों लोगों की जान का ख्याल कैसे करेगा? ये सब बाबा और उनके चेले धोखेबाज हैं। देश का भविष्य इन्हीं के कारण बर्बाद हो रहा है।
VENKATESAN.J VENKAT
7 जुलाई 2024हर बार जब कोई दुर्घटना होती है, तो सरकार नए नियम बनाती है। लेकिन नियम बनाने से नहीं, अपने दिमाग को बदलने से बचाव होगा। ये लोग अपनी अंधविश्वासी आदतों को छोड़ेंगे तभी ऐसी घटनाएं रुकेंगी। बाबा का नाम लेकर भीड़ जमा करना अपराध है। इन लोगों को जेल भेजना चाहिए, न कि सरकार के बयान जारी करना।
Amiya Ranjan
9 जुलाई 2024इतनी भीड़ में भगदड़ होना तो बहुत आम बात है, लेकिन इतनी ज्यादा मौतें? ये जिम्मेदारी किसकी है? बाबा की? नहीं। ये जिम्मेदारी हम सबकी है जो हम इतने आसानी से अंधविश्वास को अपना लेते हैं।