प्रधानमंत्री मोदी ने नवीन पटनायक की स्वास्थ्य स्थिति पर संशय जताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। मयूरभंज में आयोजित एक रैली के दौरान, मोदी ने पटनायक की अचानक बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए इसे साजिश का हिस्सा बताया है। उन्होंने बताया कि पटनायक के करीबी साथी उनके स्वास्थ्य को लेकर बेहद चिंतित हैं और उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। मोदी ने इशारा दिया कि कुछ लोग पटनायक को नियंत्रित कर रहे हैं और इस मामले की जांच आवश्यक है।
विशेष समिति से जांच का वादा
रैली के दौरान प्रधानमंत्री ने जनता को भरोसा दिलाया कि यदि बीजेपी 10 जून को सरकार बनाती है, तो इस मामले की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नवीन पटनायक की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति का कारण जानना बेहद जरूरी है ताकि साजिश का पर्दाफाश हो सके। मोदी ने जनता से अपील की कि वे इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें और सही फैसला लें।
यह बयान उस समय आया है जब एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें पटनायक के हाथ कांपते हुए दिख रहे हैं और उनके एक नजदीकी सहयोगी, ए के पंडियन, इसे छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। इस वीडियो ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। बीजेपी ने पटनायक की स्थिति को लेकर सवाल दागे हैं और पूछा है कि उन्हें कौन नियंत्रित कर रहा है।
पटनायक के स्वास्थ्य पर उठे सवाल
एक अन्य वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आया है जिसमें ए के पंडियन को पटनायक के पैरों को छूते हुए देखा जा सकता है। इन घटनाओं ने नवीन पटनायक के स्वास्थ्य पर सवाल उठाए हैं और उनकी स्थिति के पीछे की वास्तविकता की जांच की मांग जोर पकड़ रही है। बीजेपी ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है और जनता से अपील की है कि वे इस मामले को हल्के में न लें।
नरेंद्र मोदी के इस बयान ने ओडिशा की राजनीति में हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी है और सरकार से इस मामले की शीघ्र जांच की मांग की है। कई लोग मानते हैं कि यदि पटनायक की स्थिति वास्तव में एक साजिश का हिस्सा है, तो इसका पर्दाफाश करना बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो सकें।
इस बीच, नवीन पटनायक के स्वास्थ्य को लेकर उनके कार्यालय ने कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस मामले में क्या नए तथ्य सामने आते हैं और जांच कितनी प्रभावी होती है। जनता अब बीजेपी के वादों की प्रतीक्षा कर रही है और देखना चाहती है कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो इस मामले की जांच किस तरह से की जाएगी।
इस घटनाचक्र ने स्पष्ट कर दिया है कि ओडिशा की राजनीति में आने वाले समय में और भी बड़ी घटनाएं देखने को मिल सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला केवल नवीन पटनायक के स्वास्थ्य का ही नहीं, बल्कि ओडिशा की पूरी राजनीति के दिशा-निर्देशन का है।
Rajveer Singh
29 मई 2024ये सब बकवास है! बीजेपी के लोग हर चीज में साजिश ढूंढते हैं। नवीन पटनायक को बुढ़ापे की शिकायत है, न कि कोई षड्यंत्र। आप लोग इतना बड़ा मुद्दा क्यों बना रहे हो? एक बूढ़े आदमी के हाथ कांपने पर भी साजिश का आरोप? ये राजनीति का अंधाधुंध खेल है।
Ankit Meshram
31 मई 2024सच्चाई ये है।
Shaik Rafi
2 जून 2024क्या हमने कभी सोचा है कि एक व्यक्ति का शरीर, जो दशकों तक राज्य की भारी जिम्मेदारियों को उठाता रहा, उसकी थकान को हम कैसे समझ सकते हैं? नवीन पटनायक के हाथ कांपना कोई षड्यंत्र नहीं, बल्कि एक जीवन की गहरी थकान है। हम इसे राजनीति के टुकड़ों में तोड़ रहे हैं, जबकि यह एक मानवीय अनुभव है। क्या हम इतने निर्दयी हो गए हैं कि किसी की आत्मा की चीख को भी राजनीतिक टूल बना लें?
Ashmeet Kaur
3 जून 2024मैं ओडिशा से हूँ। मैंने नवीन पटनायक को देखा है - वो बहुत अच्छे इंसान हैं। उनकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, तो ये सब सिर्फ अफवाहें हैं। वीडियो तो बहुत से लोग बना लेते हैं, फिर उन्हें बदलकर नया अर्थ दे देते हैं। हमें जांच की बजाय शांति चाहिए।
Sharmila Majumdar
4 जून 2024यहाँ कई गलतियाँ हैं। प्रधानमंत्री के बयान में 'साजिश' शब्द का प्रयोग वास्तविक रूप से नहीं हुआ है - उन्होंने कहा कि 'कुछ लोग नियंत्रित कर रहे हैं', जो एक संभावना है, न कि एक दावा। वीडियो के बारे में भी, ए के पंडियन के हाथ कांपने का कारण अन्य हो सकता है - जैसे बारिश में ठंड लगना या शारीरिक थकान। आधिकारिक स्रोतों का अभाव होने पर अफवाहों पर विश्वास करना बुद्धिमानी का नहीं, बल्कि भावनात्मक अंधविश्वास है। यह एक बहुत ही खतरनाक राजनीतिक रणनीति है - जिसमें नागरिकों को डर के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।
amrit arora
5 जून 2024मैं इस मामले को एक बहुआयामी सामाजिक घटना के रूप में देखता हूँ। एक ओर हमारी राजनीति में व्यक्तिगत स्वास्थ्य को राजनीतिक हथियार बनाने की आदत है, दूसरी ओर सोशल मीडिया ने हमें ऐसे वीडियो के जरिए अपने भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को वैधता देने का अवसर दे दिया है। लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि नवीन पटनायक के लिए यह सब कितना दर्दनाक होगा? उनके परिवार को कैसा लग रहा होगा? हम एक इंसान की असुरक्षा को एक ट्रेंड में बदल रहे हैं। अगर हम वाकई न्याय चाहते हैं, तो हमें जांच के बजाय इंसानियत की ओर लौटना चाहिए। ये सब राजनीति के नाम पर चल रहा है, लेकिन इसकी असली कीमत किसी बूढ़े आदमी की इज्जत है। ये सब तब तक बना रहेगा जब तक हम एक दूसरे के इंसानियत को नहीं समझेंगे।