भाइयों और बहनों, अगर आप हिंदू धर्म में सबसे बड़े संरक्षक की खोज में हैं तो भगवान विष्णु से बेहतर कोई नहीं। यहाँ हम उनकी कहानी, पूजा‑पद्धति और आज के समय में उनसे जुड़ी ख़बरों को सरल शब्दों में समझाते हैं। पढ़ते रहिए, हर पैराग्राफ़ में कुछ नया मिलेगा।
विष्णु ने धरती पर दस बार रूप धरे – इन्हें दशावतार कहते हैं। सबसे पहले माखन चोर मत्स्यरूप, फिर गरुड़‑सिंह‑वृक्ष आदि। प्रत्येक अवतार का अपना काम था: दुष्ट को खत्म करना या धर्म को बचाना। ये कहानियां हमें सिखाती हैं कि बुराई के सामने साहस और धैर्य कैसे रखेँ।
कछु लोग क्रीड़ा में भी इनको देखते हैं – जैसे नरेन्द्र मोदी का ‘विष्णु‑भक्ति’ वाला भाषण या फिल्में जहाँ विष्णु के रूप दिखते हैं। तो अगली बार जब आप टीवी पर कोई कथा देखें, तो अवतारों की मूल बात को याद रखें।
सेंचुरी लाइट्स पर हम हर दिन भगवान विष्णु से जुड़ी नई खबरें इकट्ठा करते हैं। हाल ही में जयपुर में एक बड़ा विष्णु मंदिर खोला गया, जहाँ शिल्पकार ने प्राचीन शैली को फिर से जीवित किया। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों का उत्साह बढ़ा और कई यात्रियों ने दर्शन करने आए।
दूसरी खबर यह है कि भारत सरकार ने वैष्णव धर्म की शिक्षा को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना बनायी है। इसका मतलब होगा कि बच्चों को छोटे‑छोटे कथा सत्रों के माध्यम से विष्णु के गुण सीखने का अवसर मिलेगा।
अगर आप किसी धार्मिक यात्रा की प्लानिंग कर रहे हैं, तो हम आपको बता दें – वार्षिक दशहरा में अयोध्या में विष्णु के बड़े समारोह होते हैं, जहाँ लाखों लोग भाग लेते हैं। इस मौके पर विशेष प्रसाद और पूजा का कार्यक्रम होता है जो देखने लायक है।
हमारी साइट पर आप विष्णु की कथा सुनने वाले ऑडियो, वीडियो और लेख भी पा सकते हैं। बस टॉप मेन्यू में ‘धर्म‑कथा’ टैब क्लिक करें, फिर ‘विष्णु’ चुनें – सभी सामग्री एक ही जगह उपलब्ध होगी।
भक्तों के लिए यह अच्छा रहेगा कि वे नियमित रूप से विष्णु की पूजा करें, चाहे घर पर छोटा पूजन हो या मंदिर में बड़े समारोह। रोज़ाना सुबह 6 बजे उठकर जल और फूल अर्पित करने से मन शांत रहता है और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
अंत में, याद रखें कि भगवान विष्णु का मुख्य काम ही संतुलन बनाये रखना है – ब्रह्माण्ड के सभी पहलुओं को सन्तुलित रखने की शक्ति उनका गुण है। इस विचार को अपनाकर हम भी अपने जीवन में सामंजस्य बना सकते हैं।
28 अक्टूबर, 2024 को राम एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिन है। श्रद्धालु इस दिन उपवास रखकर विष्णु जी की कृपा प्राप्त करते हैं। यह उपवास अतीत के पापों, दुखों और पीड़ाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। एकादशी तिथि 27 अक्टूबर को प्रातः 5:23 बजे से शुरू होकर 28 अक्टूबर को सुबह 7:50 बजे समाप्त होगी।
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