हर महीने की अंतीम रविवार को राम एकादशी आती है। इस दिन भगवान राम की पूजा करके कई लोग अपने जीवन में शान्ति और स्वास्थ्य चाहते हैं। चलिए, बिना जटिलता के, इसे सही तरीके से मनाने के आसान उपाय देखते हैं।
कहानी के हिसाब से, जब रावण ने लंका में भगवान श्रीराम की पूजा नहीं की, तो वह कालीदा से गिर गया। इस घटना ने भगवान को एकादशी के दोराहे पर खड़ा किया, जहाँ उन्होंने अपने भक्तों को निरंतर व्रत बनाये रखने की सलाह दी। इसलिए इस दिन भोग्य वस्तुओं को छोड़कर केवल फल, सब्ज़ी और हलके प्रसाद को ही भोजन माना जाता है।
विश्वास है कि इस दिन सात बार जपा गया "राम नाम" मन की शुद्धि करता है और रोग‑दुर्भाग्य दूर रखता है। दरअसल, कई लोग इस दिन व्रत रख कर अपना वजन घटाते हैं या पाचन सुधरते देखते हैं।
व्रत रखना बहुत आसान है – सुबह उठते ही कप में थोड़ा जल लेकर "ॐ नमः श्रीरामाय" कहें, फिर पानी, नारियल पानी या लाना पीएँ। दोपहर और शाम का भोजन हल्का रखें। आमतौर पर उबले आलू, चना, कुटी हुआ सेज़, उबले शकरकंद और फल जैसे आम, सेव, अनार पसंद किए जाते हैं।
ब्रेड, अदरक, लहसुन, प्याज़, मांस, अंडा और तेल‑तले वाले व्यंजन व्रत में नहीं खाने चाहिए। अगर आप किसी कारण से व्रत नहीं रख पा रहे हैं, तो कम से कम हल्का फल‑साब्ज़ी का सेवन कर सकते हैं।
भोजन के बाद धूप में थोड़ा चलना या हल्की योग‑प्राणायाम करने से पाचन बेहतर होता है और मन भी ताजा रहता है। कई परिवार इस दिन को पूजा‑अर्चना के साथ समाप्त करते हैं।
पूजा में आप हरे चंदन, डाँडिया, अक्षरमूर्ति और लाल कलेरियों को रख सकते हैं। भगवान राम की छोटी मूर्ति या तस्वीर सामने रखें, फिर गुनगुने जल से स्नान कराएं और मिठाई के रूप में खीर या अंघोला चावल डालें।
अगर आप घर में नयी बात ट्राय करना चाहते हैं, तो कदली के आटे से बनाये हुए “बेसन‑लड्डू” भी बहुत लोग पसंद करते हैं। यह हल्का, पोषण‑पूरक और व्रत‑अनुकूल है।
राम एकादशी के दिन परिवार के साथ मिलकर कथा सुनना, मन में शांति लाना और साथ ही स्वस्थ भोजन का आनंद लेना एक बेहतरीन तरीका है। छोटे‑बड़े सबको इस विशेष दिन का अर्थ समझाने से घर में एकता बढ़ती है।
तो इस महीने की राम एकादशी को याद रखें, साधारण पूजा‑भोजन से अपने मन और शरीर को स्वच्छ बनाएं, और फिर अगले महीने के उत्सवों के लिए तैयार रहें।
28 अक्टूबर, 2024 को राम एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिन है। श्रद्धालु इस दिन उपवास रखकर विष्णु जी की कृपा प्राप्त करते हैं। यह उपवास अतीत के पापों, दुखों और पीड़ाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। एकादशी तिथि 27 अक्टूबर को प्रातः 5:23 बजे से शुरू होकर 28 अक्टूबर को सुबह 7:50 बजे समाप्त होगी।
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