क्रिस्टो टोमी के निर्देशन में बनी फिल्म 'उल्लोझुक्कु' दर्शकों के दिलों को छू रही है। इस फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में उर्वशी और पार्वती नजर आ रही हैं। ट्विटर पर दर्शकों ने फिल्म की कहानी, निर्देशन, और कलाकारों की अदाकारी की जमकर प्रशंसा की है। एक फिल्म समीक्षा में इसे दो महिलाओं की जटिल, स्तरित और गैर-न्यायिक भूमिका के चित्रण के लिए सराहा गया है। खासतौर पर इसका जोरदार असर उर्वशी और पार्वती के किरदारों पर दिखता है, जो अपनी पसंदों के परिणामों से बोझिल हैं।
फिल्म के बारे में बात करें तो इसका प्रदर्शन और कहानी दोनों ही इमोशनल और संवेदनशील हैं। खासकर, फिल्म में मदरहुड के पहलुओं को बड़ी ही मोहक तरीके से दिखाया गया है। निर्देशन की बारीकियों के लिए क्रिस्टो टोमी की तारीफ की जा रही है। शेहनाद जलाल द्वारा की गई सिनेमाटोग्राफी और सुषिन श्याम द्वारा तैयार किया गया संगीत भी फिल्म को भावनात्मक रूप से खास बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
ट्विटर पर लोग फिल्म की धीमी पटकथा और भारी भावनात्मक दृश्यों के बारे में भी बात कर रहे हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि फिल्म कमजोर है। एक समीक्षा में इसे 3 आउट ऑफ 5 रेटिंग मिली है, जो बताता है कि फिल्म की यह विशेषताएं हर किसी के साथ गूंज नहीं बना पाई हैं। लेकिन अधिकांश लोगों का मानना है कि फिल्म में दिखाए गए इमोशंस और उर्वशी-पार्वती की अदाकारी बेमिसाल है।
फिल्म की सफलता में कई महत्वपूर्ण पक्षों का योगदान है। पहला, उर्वशी और पार्वती का अदाकारी का जादू जिसे दर्शकों ने खास तौर से सराहा। दोनों अदाकाराओं ने अपनी भूमिकाओं में गहराई और संवेदनशीलता से दर्शकों का दिल जीत लिया। उनकी रसायनिक और भावनात्मक प्रदर्शन ने कहानी को और अधिक प्रभावशाली बना दिया।
क्रिस्टो टोमी के निर्देशन की बात करें तो उन्होंने फिल्म को बहुत ही सोच-समझ कर निर्देशित किया है। उन्होंने स्वयं की अनूठी शैली में दोनों अभिनेत्रियों के किरदार को जीवंत किया। फिल्म की कहानी में दर्शकों को अंत तक बांधे रखनी वाली बातें शामिल हैं। फिल्म को वास्तविकता के करीब लाने के लिए निर्देशक की तरफ से की गई मेहनत की तारीफ हो रही है।
फिल्म की सिनेमाटोग्राफी भी एक और प्रमुख पहलू है जिसे सराहा जा रहा है। शेहनाद जलाल की कैमरा वर्क फिल्म की हर दृश्य को जादुई और अविस्मरणीय बना देता है। जीतनी भी भावनात्मक और संवेदनशील दिखाया गया है, उसमें कैमरा वर्क का भी अहम योगदान है। इससे फिल्म की दिशा और दृश्यता में गहराई आ गई है।
संगीत की बात करें तो सुषिन श्याम का संगीत भी इस फिल्म की एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनके द्वारा रचित संगीत और बैकग्राउंड स्कोर ने देखते वक्त दर्शकों में भावनाओं का तूफान ला दिया। गानों और संगीत की टाइमिंग कहानियों के चरणों को और भी जोरदार बना देते हैं।
फिल्म के धीमे पटकथा और भारी भावनात्मक दृश्यों के बारे में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं रही हैं। कुछ लोगों को यह धीमा और उबाऊ लग सकता है तो कुछ लोग इसे उतने ही गहराई से इंजॉय कर सकते हैं। अंततः यह एक व्यक्तिगत नजरिया है। लेकिन फिल्म की स्थिरता और गहराई निश्चित तौर पर सराहनीय है।
फिल्म 'उल्लोझुक्कु' को जो चीज खास बनाती है वो है इसकी भावनात्मक गहराई और सशक्त अदाकारी। उर्वशी और पार्वती ने अपने किरदारों को जिंदादिली के साथ जिया है, और दर्शकों ने इसे खूब सराहा है। क्रिस्टो टोमी के निर्देशन ने इस फिल्म को एक नया आयाम दिया है, और यह फिल्म निश्चित रूप से उनकी करियर की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
harshita kumari
22 जून 2024ये फिल्म सिर्फ फिल्म नहीं है ये एक ऑपरेशन है जिसमें उर्वशी और पार्वती को किसी ने बेच दिया है और ट्विटर पर लोग इसे गहराई का नाम दे रहे हैं लेकिन असल में ये सब कुछ एक बड़े स्टूडियो की बुद्धिमानी है जो लोगों को भावनात्मक बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है और फिर उन्हें बताया जा रहा है कि ये आर्ट है जबकि ये सिर्फ एक ट्रेंड है जिसे लोग फॉलो कर रहे हैं क्योंकि उन्हें अपने दिमाग में कुछ गहरा होने का एहसास चाहिए और इसीलिए ये फिल्म ट्रेंड कर रही है न कि इसकी वजह से कोई असली सच्चाई है
SIVA K P
23 जून 2024अरे ये सब फिल्म का बहाना है बस दो बुजुर्ग अभिनेत्रियां आपस में झूल रही हैं और लोग इसे एमोशनल गहराई कह रहे हैं जबकि ये तो एक घंटे का धीमा ड्रामा है जिसमें कुछ नहीं हो रहा बस आंखें भर रही हैं और फिर लोग ट्विटर पर लिख रहे हैं कि ये बेमिसाल है बस एक चीज़ बताओ क्या इस फिल्म में एक भी असली क्लाइमैक्स है या सिर्फ लंबे लंबे शॉट्स और बैकग्राउंड म्यूजिक?
Neelam Khan
25 जून 2024अगर तुमने इस फिल्म को धीरे से देखा तो ये तुम्हारे दिल को छू जाएगी बस एक बार खाली वक्त में बैठकर इसे देखो बिना किसी बात के बिना किसी राय के बस देखो और देखो कि कैसे उर्वशी और पार्वती अपने चेहरों से बिना बोले ही कहानी सुना देती हैं ये फिल्म नहीं ये एक शांति है जिसे आजकल के तेज़ दुनिया में हम भूल गए हैं और ये फिल्म तुम्हें वापस ले आएगी
Jitender j Jitender
25 जून 2024इस फिल्म में एक निर्देशनात्मक फेनोमेनॉन देखने को मिल रहा है जहां नैरेटिव डायनामिक्स और इमोशनल लैंडस्केप का इंटीग्रेशन बहुत ही एलिगेंट है और इसके साथ सिनेमाटोग्राफी और साउंड डिज़ाइन का टेक्सचर इतना रिच है कि ये फिल्म एक इंटरेक्टिव एमोशनल एक्सपीरियंस बन जाती है जो आम ब्लॉकबस्टर्स से बिल्कुल अलग है और इस तरह की फिल्में ही आज के सिनेमा में असली वैल्यू जोड़ रही हैं
Jitendra Singh
25 जून 2024ये फिल्म एक निर्देशक की विफलता का नाम है जिसने अपनी कमजोरी को गहराई का नाम दे दिया और दर्शकों को भावनात्मक बनाने के लिए लंबे शॉट्स और धीमा संगीत इस्तेमाल किया जिससे वो खुद को आर्टिस्ट समझने लगे लेकिन असल में ये फिल्म कोई गहराई नहीं देती बस एक लंबा बोरिंग घंटा है जिसे लोग इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि वो खुद को गहरा समझते हैं और इसलिए इसे ट्रेंड कराते हैं
VENKATESAN.J VENKAT
25 जून 2024इस फिल्म में जो भी बात की जा रही है वो सिर्फ एक शहरी मध्यम वर्ग की भावनाओं का एक उपहार है जिसे लोग अपने जीवन की असफलता का बहाना बना रहे हैं और फिल्म को गहराई का नाम दे रहे हैं लेकिन असल में ये फिल्म किसी भी गरीब या ग्रामीण आदमी के लिए कोई मतलब नहीं रखती ये बस एक एलिटिस्ट बातचीत है जो अपने आप को ऊंचा समझती है और दूसरों को नीचा देखती है
Amiya Ranjan
26 जून 2024मैंने ये फिल्म देखी और सोचा कि ये बहुत धीमी है लेकिन अब लोग इसे गहराई कह रहे हैं जबकि इसमें कुछ नहीं है बस दो औरतें रो रही हैं और बैकग्राउंड में संगीत बज रहा है ये फिल्म नहीं ये एक लंबा बोरिंग वीडियो है जिसे लोग ट्विटर पर शेयर कर रहे हैं ताकि उन्हें अपने आप को आर्टिस्ट समझने का मौका मिले
vamsi Krishna
28 जून 2024ये फिल्म बहुत धीमी है और बोरिंग है लेकिन लोग इसे गहराई कह रहे हैं बस क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर वो इसे पसंद करेंगे तो वो ज्यादा स्मार्ट लगेंगे