जब कोई व्यक्ति पुलिस के हिरासत में रहता है तो उसका मुकदमा चलने तक या कोर्ट का फैसला आने तक उसे जमानत मिल सकती है। यही प्रक्रिया को हम "जमानत याचिका" कहते हैं। यानी आप या आपका वकील अदालत में लिखित अनुरोध भेजते हैं, जिससे जेल से बाहर आकर अपना काम‑जीवन जारी रख सके।
आमतौर पर दो तरह की जमानत होती है – अस्थायी (बेल) जमानत और स्थाई (जारी) जमानत. बेल जमानत जल्दी मिलती है, अक्सर अगले दिन कोर्ट में सुनवाई के साथ। जारी जमानत तब दी जाती है जब मुकदमे का पूरा होना तय हो गया हो या आरोपी को कम सजा की संभावना दिखे।
जमानत याचिका दाखिल करने से पहले कुछ बातें याद रखें:
याचिका लिखते समय मुख्य बिंदु होते हैं – क्यों आप जेल नहीं रहना चाहते (परिवार, नौकरी), केस की प्रकृति, और आपके पास कोई जोखिम नहीं है। अगर सब ठीक रहा तो जज अक्सर मान लेता है।
सेंचुरी लाइट्स ने हाल में कुछ बड़ी जमानत याचिकाओं को कवर किया है:
इन खबरों से पता चलता है कि जमानत सिर्फ कारागार की दीवारें तोड़ने के लिए नहीं, बल्कि न्याय प्रणाली को तेज़ और इंसाफ़ी बनाने में भी मदद करती है। अगर आप या आपके जानकार को जेल में रखा गया है, तो तुरंत कानूनी सलाह लें और याचिका तैयार करें। जल्दी कार्रवाई करने से कोर्ट का सकारात्मक फैसला मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
समझदारी यही होगी कि जमानत प्रक्रिया को समझें, सही समय पर कदम उठाएँ, और भरोसेमंद वकील की मदद लें। याद रखें, न्याय का लक्ष्य सिर्फ सजा देना नहीं, बल्कि सभी पक्षों को उचित अधिकार देना भी है। इस कारण जमानत याचिका एक महत्वपूर्ण कानूनी उपकरण बन गई है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा है। मामला दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल ने शराब लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे राजकोष को 2,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
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