मकर संक्रांति – कब, क्यों और कैसे मनाएँ?

सर्दियों की ठंड में जब सूरज मकर राशि में प्रवेश करता है, तो पूरे भारत में ‘मकर संक्रांति’ का जश्न शुरू हो जाता है। यह त्यौहार सूर्य के उत्तरायण को चिह्नित करता है, यानी दिन सबसे लंबा और रात सबसे छोटी होती है। लोग इस दिन को नई ऊर्जा और समृद्धि की आशा से देखते हैं।

मकर संक्रांति कब पड़ती है?

हर साल 14 जनवरी (कभी‑कभी 15) को मकर संक्रांति मनाई जाती है। यह तिथि ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से स्थिर रहती है, क्योंकि सूर्य की गति बहुत धीरे‑धीरे बदलती है। 2025 में भी यही दिन तय है, और कई शहरों ने इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम रखे हैं – जैसे कि दिल्ली में सूर्योदय देखना, राजस्थान में मैदानी खेल और महाराष्ट्र में तिल गुड़ बाँटना।

परम्पराएँ और उत्सव

भौगोलिक क्षेत्र के हिसाब से मकर संक्रांति की रीत‑रिवाज अलग‑अलग होते हैं, पर कुछ चीज़ें सभी जगह एक जैसी रहती हैं। सबसे पहले लोग सुबह जल्दी उठ कर स्नान करते हैं, फिर घर में सफाई करके प्रार्थना करते हैं। कई परिवार तिल और गुड़ का लड्डू बनाकर पड़ोसियों को देते हैं – इसे ‘तिल‑गुड़’ कहा जाता है और माना जाता है कि इससे शरीर गर्म रहता है।

पंजाब और हरियाणा में पतंगबाज़ी सबसे बड़ी धूमधाम से होती है, जबकि केरल में बैल दौड़ (कोले) का आयोजन किया जाता है। गुजरात में कूड़ी‑कुंडली (झीलों में तिल के लड्डे भिजाना) एक अनोखी प्रथा है जो जल को शुद्ध मानती है। उत्तर भारत में ‘कटिया’ या ‘गुरमेट सूप’ बनाकर खाया जाता है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है।

धार्मिक तौर पर कई लोग सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। पवित्र स्नान के बाद सूर्य की दिशा में हल्दी और कुमकुम लगाते हुए ‘सूर्य नमस्कार’ किया जाता है। यह अभ्यास मन‑शरीर दोनों को ताज़ा करता है और नई शुरुआत का संकेत देता है।

अगर आप इस त्यौहार से जुड़ी नवीनतम खबरों की तलाश में हैं, तो सेंचुरी लाइट्स पर पढ़ें कैसे विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति के विशेष कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं – जैसे कि जयपुर में प्रकाश महोत्सव, कोलकाता में ‘दिवाली‑संक्रांती’ का मिलन और कर्नाटक में सूर्य मंदिरों की सजावट। हमारी टीम रोज़ अपडेट करती है ताकि आप हर नई जानकारी पहले पा सकें।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी इस दिन बढ़ी है। कई शहरों ने पतंगबाज़ी के बजाय कागज‑की‑पतंगे या फिर ‘ईको‑काइट’ का प्रयोग करने को कहा है, जिससे हवा में प्रदूषण कम हो सके। अगर आप भी अपने आसपास साफ़-सफ़ाई और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना चाहते हैं, तो स्थानीय समूहों से जुड़ सकते हैं।

खाना-पीना भी इस त्यौहार की अहम हिस्सा है। तिल‑गुड़ के लड्डे, कंद की सब्ज़ी, गुड़‑की‑चटनी और भुने हुए चने घर‑घर में बनते हैं। इनका स्वाद ठंडी हवा में और भी ज़्यादा मजेदार लगता है। अगर आप रेसिपी चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट पर ‘मकर संक्रांति के खास व्यंजन’ सेक्शन देखें, जहाँ आसान स्टेप‑बाय‑स्टेप निर्देश मिलेंगे।

संक्रांती का असली मकसद है नयी आशा और सकारात्मक ऊर्जा को अपनाना। चाहे आप घर में शान्ति से पूजा कर रहे हों या बाहर दोस्तों के साथ पतंग उड़ा रहे हों, इस दिन की ख़ासियत यही है कि हर कोई एक नई रोशनी की ओर देखता है। तो इस मकर संक्रांति पर अपने मन की ठंडी और आत्मा को गर्म रखें, और अपने प्रियजनों के साथ खुशियाँ बांटें।

मकर संक्रांति 2025: उत्सव की तस्वीरें, शुभकामनाएं और विधियों के साथ स्वर्णिम आरंभ
जनवरी 14, 2025
मकर संक्रांति 2025: उत्सव की तस्वीरें, शुभकामनाएं और विधियों के साथ स्वर्णिम आरंभ

मकर संक्रांति 2025 एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का उल्लास मनाता है। यह शुभ अवसर मंगलवार, 14 जनवरी, 2025 को मनाया जाता है। इस दिन का महत्व फसल के मौसम की समाप्ति और भाइयों-बहनों व अन्य परिवारजनों के बीच प्रेम और खुशहाली का प्रतीकात्मक आदान-प्रदान करने में भी है। त्योहार के दौरान पतंग उड़ाना, अलाव जलाना और निश्चित रीति-रिवाजों का पालन करना लोगों को विशेष आनंद प्रदान करता है।

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