जब Tata Capital और LG Electronics India ने एक ही दिन, 7 अक्टूबर 2025 को, अपने‑अपने आईपीओ के लिए बुकिंग शुरू की, तो निवेशकों के लिये हफ्ते भर का मनीशियन झटका आ गया। सात बड़े ऑफ़रिंग्स मिलकर 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का फंडरेज़िंग करने वाले हैं – इस पर सवाल उठता है कि कौन सी शेयरों की कीमतें तेजी से ऊपर जाएँगी और कौन‑सी बनेंगी स्थिर, दीर्घकालिक निवेश विकल्प।
IPO माह का परिचय – भारतीय पूँजी‑बाजार में तीव्र गति
जैसे ही इंस्टीट्यूशनल पब्लिक ऑफ़रिंग (IPO)मुंबई का दरवाज़ा खुला, निवेशकों ने जल्दी‑जलदी अपने पोर्टफ़ोलियो को तैयार किया। इस हफ़्ते की तेज़ी का कारण केवल दो प्रमुख कंपनियों की नहीं, बल्कि WeWork India Management और Anantam Highways Trust जैसे नामी संस्थाओं का भी हिस्सा होना है। पिछले सालों में भारत में IPO की कुल संख्या बढ़ी है, पर इस दुप्पट सत्र में सब्सक्रिप्शन की मात्रा अपने रिकॉर्ड‑पार है।
Tata Capital IPO की स्थिति – सततता की रेखा पर
पहले दो दिन में 57% सब्सक्रिप्शन हुआ, यानी 33.34 करोड़ शेयरों में से 18.85 करोड़ शेयरों के लिए बोली लगाई गई। इस दिलचस्प आँकड़े का मतलब सिर्फ़ एक मध्यम‑स्तर की मांग नहीं, बल्कि प्रॉफ़ाइल‑उन्मुख निवेशकों का भरोसा है। ग्रे मार्केट में Investorgain के अनुसार प्रीमियम आज 7 रुपये है, जिससे अनुमानित लिस्टिंग कीमत 333 रुपये होगी – यह 326 रुपये की ऊपरी बैंड से 2.15% अधिक है।
ऐसे आँकड़े अक्सर अनिश्चितता के बाद भी निवेशकों को ‘स्थिर लंबी अवधि’ का विकल्प दिखाते हैं। टिकट‑होल्डर्स को लगता है कि वित्तीय सेवाओं में Tata Capital की मौजूदा ग्राहक‑बेस और डिजिटल‑लेनदेन प्लेटफ़ॉर्म इसे एक मजबूत बुनियादी निर्माण बना रहे हैं।
LG Electronics India IPO की स्थिति – ग्रे मार्केट में जोरदार धक्का
LG Electronics का प्राइस बैंड 1,080 से 1,140 रुपये के बीच तय किया गया है, और ग्रे मार्केट में इसका प्रीमियम Tata Capital से अधिक है। यह अंतर दर्शाता है कि टेक‑सेक्टर्स में अभी भी उच्च अपेक्षाएँ हैं, विशेषकर जब वे घरेलू निर्माताओं के साथ मिलकर ‘इंटेलिजेंट होम’ समाधान पेश करने की योजना बनाते हैं।
सब्सक्रिप्शन की अवधि Tata Capital के समान, 7‑9 अक्टूबर तक, लेकिन पहले दो दिनों में मांग का % अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया। विश्लेषक कहते हैं, "LG के पास ब्रांड‑शक्ति और वैश्विक सप्लाई चेन है, इसलिए निवेशकों को इस पर प्रीमियम देने में कोई आश्चर्य नहीं है"।

अन्य IPOs और बाजार की प्रतिक्रिया – एक ही मंच पर कई विकल्प
WeWork India Management का फ़ोकस को‑वर्किंग स्पेसेज़ में है, जो कोविड‑पश्चात कई स्टार्ट‑अप्स के लिए आकर्षक बना है। वहीं, Anantam Highways Trust इंफ़्रास्ट्रक्चर सेक्टर में सड़कों के विकास के लिए फंड जुटा रहा है, जो सार्वजनिक‑निजी साझेदारी (PPP) मॉडल के तहत कई राज्य सरकारों को आकर्षित कर रहा है।
कुल मिलाकर, इस हफ़्ते के सात IPO मिलकर 30,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा करेंगे – यह भारतीय पूँजी‑बाजार में पहले के सबसे बड़े संचयी इश्यूंग सत्रों में से एक है। इस पैमाने पर, सेक्टर‑वाइस रुझान देखना आसान हो जाता है: वित्तीय सेवाएँ, टेक्नोलॉजी, रियल एस्टेट और सर्विस‑इंडस्ट्री – सब एक साथ बात कर रहे हैं।
निवेशकों के लिए क्या मायने रखता है? – ग्रे मार्केट से परे सोचें
ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) अक्सर ‘डिमांड सिग्नल’ माना जाता है, पर इसमें जोखिम भी छिपा है। हाई GMP का मतलब यह नहीं कि लिस्टिंग के बाद शेयरों के दाम बढ़ेंगे; कभी‑कभी यह केवल शुरुआती उत्साह का प्रतिबिंब होता है। इसलिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सब्सक्राइबर को केवल GMP पर भरोसा नहीं करना चाहिए, बल्कि कंपनी की फंडामेंटल्स, प्रॉफ़िट‑एंड‑लॉस स्टेटमेंट, करेज़ी प्रबंधन टीम और भविष्य की ग्रोथ स्ट्रैटेजी को भी देखना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर, यदि Tata Capital की डेब्ट‑टु‑इक्विटी रेशियो निम्न स्तर पर है और इसकी नेट‑इंडियन‑बैंक (NIB) लाइसेंसिंग में स्थिरता है, तो यह एक स्थायी निवेश बन सकता है। उसी तरह, LG Electronics को अगर अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति‑शृंखला में निरंतरता मिलती रहे और भारतीय बाजार में उसके स्मार्ट‑एप्लायंसेस की मांग बढ़ती रहे, तो इसका दीर्घकालिक मूल्यांकन सकारात्मक रहेगा।
अंततः, इस सप्ताह के दिग्गज IPOs को समझने के लिए निवेशकों को एक व्यापक ‘ड्यू डिलिजेंस’ चेक‑लिस्ट बनानी चाहिए: वित्तीय स्वास्थ्य, बाजार‑स्थिति, प्रबंधन की क्षमता, नियामक अनुपालन और अंततः, जोखिम‑प्रति‑रिटर्न प्रोफ़ाइल। ग्रे मार्केट सिर्फ़ एक शुरुआती संकेतक है, पर सच्ची जीत वही है जो सही बुनियादी विश्लेषण पर आधारित हो।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Tata Capital IPO का ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या दर्शाता है?
7 रुपये का प्रीमियम इस बात का सुझाव देता है कि निवेशकों को शेयर की लिस्टिंग कीमत 326 रुपये की ऊपरी सीमा से थोड़ा ऊपर, यानी लगभग 333 रुपये पर मिलने की उम्मीद है, पर यह हमेशा सटीक नहीं रहता।
LG Electronics India के IPO में उच्च प्रीमियम क्यों है?
टेक सेक्टर में ब्रांड‑शक्ति और वैश्विक सप्लाई‑चेन का भरोसा निवेशकों को अधिक भुगतान करने को प्रेरित करता है, जिससे ग्रे मार्केट में प्रीमियम Tata Capital से अधिक दर्ज होता है।
इन IPOs का भारतीय बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
30,000 करोड़ रुपये से अधिक की फंडरेज़िंग पूँजी‑बाजार की तरलता बढ़ाएगी, जिससे फंडिंग की लागत घटेगी और कंपनियों को विकास‑परियोजनाओं में तेजी लाने का अवसर मिलेगा।
निवेशकों को ग्रे मार्केट के अलावा और क्या देखना चाहिए?
फर्म की वित्तीय स्थिति, प्रबंधन की गुणवत्ता, इंडस्ट्री‑ट्रेंड और नियामक जोखिम जैसे पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण करना चाहिए ताकि लिस्टिंग के बाद का प्रदर्शन समझा जा सके।
WeWork India Management और Anantam Highways Trust के IPO कब बंद हो रहे हैं?
इन दो ऑफ़रिंग्स की सब्सक्रिप्शन अवधि भी 7 अक्टूबर से 9 अक्टूबर 2025 तक है, अर्थात् अगले दो दिनों में बंद हो जाएगी।
Jay Baksh
7 अक्तूबर 2025देश की वित्तीय स्वायत्तता को मजबूत करना चाहिए, बाहर के शेयरों में ढेर सारा पैसा मत लगाओ।
Ramesh Kumar V G
7 अक्तूबर 2025ग्रे मार्केट प्रीमियम सिर्फ शुरुआती उत्साह का संकेत है, लेकिन असली मूल्यांकन तो कंपनी के फंडामेंटल्स पर निर्भर करता है।
Gowthaman Ramasamy
7 अक्तूबर 2025✅ Tata Capital का डेब्ट‑टु‑इक्विटी रेशियो तुलनात्मक रूप से कम है, जिससे वित्तीय स्थिरता दर्शाती है।
🔎 LG Electronics के पास वैश्विक सप्लाई‑चेन है, पर भारतीय बाजार में उसकी मार्केट शेयर अभी विकसित चरण में है। यह दोनों कंपनियों की लिस्टिंग पर विविध जोखिम‑रिटर्न प्रोफ़ाइल को दर्शाता है।
Navendu Sinha
7 अक्तूबर 2025IPO की धूम में कई निवेशक अपना खजाना एक ही बास्केट में नहीं डालना चाहिए। Tata Capital का बिजनेस मॉडल वित्तीय सेवा क्षेत्र में डिजिटल ट्रांजैक्शन के साथ बढ़ रहा है, जो दीर्घकालिक स्थिरता का संकेत देता है। परंतु, कंपनी की प्रॉफिट मार्जिन हाल ही में थोड़ा दबाव में है, इसलिए जोखिम‑प्रोफाइल को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए। दूसरी ओर, LG Electronics की तकनीकी नवाचार क्षमता और वैश्विक ब्रांड वैल्यू फंडामेंटल रूप से मजबूत हैं। फिर भी, भारत में स्मार्ट‑एप्लायंसेस का प्रतिस्पर्धी परिदृश्य उभर रहा है, जहाँ कई स्थानीय ब्रांड सस्ती कीमतों पर आक्रमण कर रहे हैं। ग्रे मार्केट प्रीमियम का उच्च स्तर यह नहीं दर्शाता कि लिस्टिंग के बाद कीमतें लगातार ऊपर जाएँगी। यह केवल शुरुआती उत्साह का प्रतिबिंब हो सकता है, जो IPO के पहले दो दिनों में देखा गया है। इसलिए, निवेशकों को प्री‑IPO सब्सक्रिप्शन के बाद भी अपने पोर्टफ़ोलियो को नियमित रूप से रीबैलेंस करना चाहिए। डायवर्सिफ़िकेशन का मूल सिद्धांत यह है कि जोखिम को विभिन्न सेक्टरों में फैला कर कुल वोलैटिलिटी घटाई जाए। यदि आप दोनों कंपनियों में समान राशि लगाते हैं, तो आप सेक्टर‑वाइस रिटर्न का बेहतर बैलेंस प्राप्त करेंगे। पर ध्यान रखें कि Tata Capital की डेब्ट संरचना में अल्पकालिक ऋण का अनुपात अधिक है, जो ब्याज दरों में बदलाव के साथ संवेदनशील हो सकता है। LG Electronics को आयात टैरिफ़ और स्थानीय विनिर्माण नीतियों के बदलाव का भी सामना करना पड़ सकता है। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, एक विस्तृत ड्यू‑डिलिजेंस चेक‑लिस्ट तैयार करना आवश्यक है। जैसे कि फंडामेंटल एनालिसिस, प्रबंधन टीम की दक्षता, उद्योग की ग्रोथ ट्रेंड, और नियामक जोखिम। यदि ये सभी तत्व सकारात्मक दिखें, तो उच्च ग्रे मार्केट प्रीमियम को एक अवसर के रूप में देख सकते हैं, ना कि बाधा। अंत में, अपने निवेश लक्ष्य, जोखिम सहनशीलता, और समय सीमा को स्पष्ट करके ही इन दो दिग्गज IPOs में हिस्सा लेना समझदारी होगी।
reshveen10 raj
7 अक्तूबर 2025दोनों आईपीओ विविधता लाते हैं, इसलिए पोर्टफ़ोलियो में दोनों को थोड़ा‑थोड़ा रखें।
Navyanandana Singh
7 अक्तूबर 2025जब हम शेयरों को सिर्फ अंक मानते हैं, तो हम असली मूल्य को भूल जाते हैं-वो भावनात्मक जुड़ाव जो कंपनियों को जीवित रखता है। ग्रे मार्केट के आलोक में जो चमक दिखती है, वह अक्सर धुंधली भविष्य की छाया भी लाती है। इसलिए, अपने दिल की आवाज़ सुनो, लेकिन दिमाग की तर्कशक्ति को भी साथ रखो। निवेश एक यात्रा है, मंज़िल नहीं।
monisha.p Tiwari
7 अक्तूबर 2025सब्सक्रिप्शन की संख्या देखकर लगता है कि बाजार में उत्साह है, पर असली चुनौती तो आगे की स्थिरता में होगी।
Nathan Hosken
7 अक्तूबर 2025IPO ब्लॉक‑ऑफ़ के बाद एंट्रिप्राइस फॉर्मेशन को मॉनिटर करना आवश्यक है, विशेषकर जब ऑर्डर‑बुक में बिड‑टेबल में असमानता देखी जाती है। ग्रे मार्केट प्रीमियम एक लिक्विडिटी प्रीमियम का प्रतिनिधित्व कर सकता है, पर इसे अल्पकालिक ट्रेण्ड के रूप में नहीं देखना चाहिए। इस परफॉर्मेंस मीट्रिक को फॉर्मल वैल्यूएशन मॉडल जैसे DCF या RVI के साथ कрос‑वैलिडेट करना चाहिए।
Manali Saha
7 अक्तूबर 2025हमें देखना है-क्या प्रीमियम दीर्घकालिक रिटर्न देगा?; या सिर्फ़ हाइप है!; दोनों कंपनियों की बुनियादी ताकत को समझें।
jitha veera
7 अक्तूबर 2025विचार तो ठीक है, पर ग्रे मार्केट प्रीमियम को कभी‑कभी अंडरवैल्यूड भी माना जाता है-यह निवेशकों को शुरुआती लाभ देने का एक साधन हो सकता है, विशेषकर जब कंपनी की बैलेंस शीट मजबूत हो। इसलिए, इसे हमेशा नकारात्मक लेंस से नहीं देखना चाहिए।