हर दिन शेयर बाजार में नई चीज़ें होती हैं, और निवेशकों को अक्सर सवालों के बीच फँसा हुआ महसूस होता है। कब नया आईपीओ लेना सही रहेगा? कौन सी कंपनियों का स्टॉक बढ़ने वाला है? जोखिम से कैसे बचें? इस टैग पेज पर हम इन सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे, ताकि आप आसानी से आगे बढ़ सकें।
अभी-अभी Anthem Biosciences IPO ने 26% प्रीमियम पर शानदार एंट्री दिखाई। बायोटेक सेक्टर में इस तरह की तेज़ ग्रोथ देखकर कई छोटे निवेशकों को डर भी लगा और उत्साह भी। ऐसे मामलों में सबसे जरूरी है कि आप कंपनी के फंडामेंटल्स देखें – क्या उनका प्रोडक्ट पोर्टफोलियो ठोस है, फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स साफ हैं या नहीं। अगर बुनियादी चीज़ें ठीक लग रही हों तो प्रीमियम को थोड़ा नज़रअंदाज़ करके भी एंट्री लेना फायदेमंद हो सकता है।
दूसरी ओर कुछ आईपीओ ऐसे भी होते हैं जहाँ कीमत बहुत अधिक और डिमांड कम रहती है, जैसे कि कई मिड‑कैप रियल एस्टेट फ़ंड्स के हालिया इश्यूज़ में देखा गया। ऐसे मामलों में हड़बड़ी नहीं करनी चाहिए; पहले ट्रैक्स रिकॉर्ड देखिए, प्रॉस्पेक्टस पढ़िए और अगर संभव हो तो कुछ समय इंतजार करके कीमत घटने का फायदा उठाइए।
मार्केट की अस्थिरता को समझना हर निवेशक के लिए जरूरी है। उदाहरण के तौर पर, हालिया Supreme Court का कुत्ते हटाने का आदेश या कोई बड़ी राजनीतिक घटना स्टॉक्स को अचानक गिरा सकती है। ऐसे समय में पोर्टफोलियो डाइवर्सिफ़ाइ करना मददगार रहता है – अलग‑अलग सेक्टरों में निवेश करके आप एक ही इवेंट के प्रभाव से बच सकते हैं।
डायवर्सिफिकेशन के साथ-साथ लिक्विडिटी भी देखनी चाहिए। अगर आपके पास कुछ एसे स्टॉक्स हैं जिनके ट्रेडिंग वॉल्यूम कम हैं, तो अचानक बेचते समय कीमत बहुत गिर सकती है। ऐसे शेयरों को छोटी मात्रा में ही रखें या लंबे समय तक ह old रखिए।
एक और बात जो अक्सर अनदेखी रह जाती है वह है टैक्स इम्पैक्ट। कुछ स्टॉक्स के लम्बे‑समय की होल्डिंग पर कर कम लगता है, जबकि छोटे‑समय की ट्रेडिंग में कैपिटल गैन्स टॅक्स ज्यादा होता है। अपने निवेश को प्लान करते समय इस बात का ध्यान रखें, ताकि साल अंत में टैक्स बड़ नहीं जाए।
अंत में, अगर आप नई कंपनियों या हाई‑ग्रोथ सेक्टर्स में जाना चाहते हैं तो छोटे एंट्री पॉइंट्स चुनें – जैसे कि एक ही कंपनी के 5-10% शेयर खरीदना और बाद में ट्रेंड देख कर बढ़ाना। इस तरह आपका रिस्क कंट्रोल्ड रहता है और अगर स्टॉक ऊपर जाता है तो आप बड़ी रिटर्न पा सकते हैं।
सारांश में, निवेशकों को हमेशा फंडामेंटल्स पढ़ना चाहिए, मार्केट सिचुएशन का जायजा लेना चाहिए और अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस रखना चाहिए। इस टैग पेज पर हम लगातार नई खबरें जोड़ेंगे, तो जुड़े रहें और समझदारी से अपना पैसा बढ़ाएँ।
राष्ट्रपति चुनाव से पहले अमेरिकी बाजार में गिरावट देखी गई क्योंकि निवेशक चुनाव परिणाम और उसके बाजार पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। Dow Jones, S&P 500 और Nasdaq में गिरावट दर्ज की गई। फेडरल रिजर्व के ब्याज दर को स्थिर रखने के फैसले के बावजूद निवेशकों की नजर चुनाव के परिणाम और आर्थिक नीति पर है।
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