25 मई 2025 को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में अचानक बरसी ओलों ने एक दर्जन से ज्यादा फलों के बागों को तबाह कर दिया — ये बस शुरुआत है। भारतीय मौसम विभाग ने 25 से 27 मई तक पूरे प्रदेश के 12 जिलों में तेज हवाओं, मेघगर्जन और बिजली गिरने की चेतावनी जारी की है, जिसमें कुल्लू, लाहुल स्पीति, किन्नौर, चंबा, कांगड़ा, मंडी और शिमला जैसे सात जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। ये ओले केवल बारिश नहीं, बल्कि जीवन और जमीन के लिए एक आपदा हैं।
किसानों की चिंता बढ़ गई है
इस बार जो मौसम बरस रहा है, वो सामान्य बारिश नहीं। ये असामान्य रूप से जल्दी आई वर्षा है — मानसून के आने से लगभग एक महीने पहले। ऊना के एक आमले के किसान राम सिंह ने कहा, "हमने अप्रैल में आलू और ब्रोकली की फसल लगाई थी। अब ओलों ने इनका आधा हिस्सा तोड़ दिया है। बचा हुआ भी बारिश से फुल जा रहा है।" उनकी बात सुनकर लगता है कि ये सिर्फ एक किसान की परेशानी नहीं, बल्कि पूरे हिमाचल के खेती-बाड़ी के भविष्य की चिंता है।
मौसम विभाग के अनुसार, इन तीन दिनों में कुल्लू और लाहुल स्पीति में 20-30 मिमी तक की ओलावृष्टि हो सकती है — जो एक घंटे में एक बार बरसने वाली बारिश के बराबर है। ऐसी घटनाओं के कारण पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और बाढ़ का खतरा भी बढ़ जाता है।
पर्यटन उद्योग भी ठहर गया
मनाली और शिमला जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों पर ये तूफान एक बड़ा झटका है। जून में शुरू होने वाली छुट्टियों के लिए होटल और टूर ऑपरेटर्स तैयार हो रहे थे। अब लोग बुकिंग रद्द कर रहे हैं। "हमारे पास अगले 10 दिनों में 45 बुकिंग थीं। अब सिर्फ 7 बची हैं," बताते हैं मनाली के एक होटल मालिक।
ये न सिर्फ आय में कमी का कारण बन रहा है, बल्कि सड़कों पर ओलों के कारण बर्फ जैसा बर्फ जम जाता है — जिससे वाहनों को फिसलने का खतरा होता है। टूरिस्ट बसों को रोक दिया गया है, और एयरपोर्ट पर उड़ानें रद्द हो रही हैं।
मानसून जल्दी आएगा?
ये अचानक बरसात का एक बड़ा संकेत है — मानसून इस बार सामान्य समय से पहले हिमाचल में प्रवेश कर सकता है। भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तरी भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश के पैटर्न बदल रहे हैं। अब ओलावृष्टि अक्सर अप्रैल-मई में आ रही है, जबकि पहले ये जून के अंत तक रुकी रहती थी।
2023 में भी कुल्लू में एक क्लाउडबर्स्ट ने 15 लोगों की जान ले ली थी। अब फिर वही स्थिति दोहराई जा रही है। लेकिन इस बार चेतावनी जल्दी आ रही है — और यही अंतर है।
क्या करें आम नागरिक?
मौसम विभाग ने लोगों को निर्देश दिए हैं — घरों से बाहर न निकलें, खेतों में जाने से बचें, और अगर बाहर हैं तो पेड़ों, बिजली के खंभों और नदियों से दूर रहें। खासकर बच्चों और बुजुर्गों को घर में रखें।
प्रदेश सरकार ने अस्पतालों और आपातकालीन टीमों को अलर्ट पर रखा है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें कांगड़ा और शिमला में तैनात कर दी गई हैं।
अगले कदम क्या हैं?
29 मई से 1 जून तक अगली लहर आने की संभावना है। अगर मानसून जल्दी आ गया, तो ये बारिश लगातार चार-पांच हफ्ते तक जारी रह सकती है। यही कारण है कि किसानों को अब न सिर्फ ओलों से बचना है, बल्कि भारी बारिश के लिए भी तैयार होना है।
प्रदेश सरकार ने आज एक अतिरिक्त बैठक बुलाई है — जिसमें कृषि विभाग, पर्यटन विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग एक साथ बैठेंगे। उनका लक्ष्य: एक एक्शन प्लान बनाना, जिसमें किसानों को बीज और बीमा का समर्थन देना शामिल हो।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या ओलावृष्टि से किसानों को बीमा का नुकसान भरपाई मिलेगा?
हाँ, अगर किसान ने कृषि बीमा योजना (PMFBY) के तहत अपनी फसल का बीमा कराया है, तो ओलावृष्टि से हुए नुकसान के लिए भरपाई मिलेगी। लेकिन अधिकांश छोटे किसान अभी तक इस योजना में शामिल नहीं हैं। प्रदेश सरकार ने अब इनके लिए अतिरिक्त अनुदान जारी करने की योजना बनाई है।
क्यों इतनी जल्दी मानसून आ रहा है?
वैज्ञानिकों के अनुसार, हिमालय के ऊपरी भागों में तापमान में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है — जिससे हवाएँ जल्दी गर्म होकर उठती हैं और आर्द्रता को खींच लेती हैं। यही कारण है कि अब मानसून अप्रैल-मई में आने लगा है, जबकि 20 वर्ष पहले ये जून के अंत तक रुकता था।
क्या ओले केवल पहाड़ी इलाकों में ही बरसते हैं?
नहीं। ओले आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में ज्यादा होते हैं, लेकिन अब शिमला और कांगड़ा जैसे निचले क्षेत्रों में भी ओले बरस रहे हैं। इसका कारण है — गर्म हवाएँ अब ऊँचाई तक जा पाती हैं और ठंडी हवाओं से टकराकर ओले बना देती हैं।
क्या ये घटनाएँ भविष्य में और बढ़ेंगी?
हाँ। वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण भारत के पहाड़ी राज्यों में चरम मौसमी घटनाएँ 2030 तक 40% तक बढ़ सकती हैं। इसलिए अब तैयारी करना जरूरी है — न कि बाद में बचाव करना।
मौसम विभाग की चेतावनी कितनी भरोसेमंद है?
भारतीय मौसम विभाग की चेतावनी अब बहुत अधिक सटीक है। इस बार उन्होंने 72 घंटे पहले ही ओलावृष्टि की संभावना बता दी थी — जो पिछले 5 वर्षों में सबसे बेहतर भविष्यवाणी है। लेकिन अभी भी ओलों का स्थान और तीव्रता पूरी तरह नहीं बताई जा सकती।
क्या इस बार भी क्लाउडबर्स्ट हो सकता है?
हाँ। कुल्लू और लाहुल स्पीति जैसे क्षेत्रों में जल्दी बरसती बारिश और अचानक ठंडी हवाओं के कारण क्लाउडबर्स्ट का खतरा अभी भी बना हुआ है। ये ऐसी घटना है जिसमें 100 मिमी से अधिक बारिश 1-2 घंटे में हो जाती है — जिससे बाढ़ और भूस्खलन हो सकते हैं।
Aman kumar singh
15 दिसंबर 2025ये ओले तो बस शुरुआत है भाई, अगले साल तो बर्फ के गोले बरसेंगे। हिमाचल के किसान अब बीज बोने से पहले आकाश को देखते हैं, फिर भगवान को।
UMESH joshi
15 दिसंबर 2025इस तरह की घटनाएँ अब सामान्य हो रही हैं। हमने प्रकृति के साथ जीने का तरीका भूल दिया है। जब हम जमीन को बाजार की वस्तु समझने लगे, तो वो भी हमें जवाब देने लगी।
pradeep raj
15 दिसंबर 2025जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, उत्तरी हिमालयी त्रिकोण के वायुमंडलीय अस्थिरता सूचकांक (Atmospheric Instability Index) में लगातार 7.3% की वृद्धि दर्ज की गई है, जिसका कारण ट्रोपोपॉज की ऊंचाई में असमान वृद्धि और उष्णकटिबंधीय आर्द्रता प्रवाह के असंगत अभिसरण के बीच अंतर है। इसका परिणाम अक्सर अल्पकालिक लेकिन अत्यधिक तीव्र ओलावृष्टि घटनाओं में होता है, जो स्थानीय जलवायु प्रणाली के अंतर्निहित असंतुलन का संकेत है।