जम्मू-कश्मीर डोडा मुठभेड़ में सेना के जवानों की शहादत पर राष्ट्रीय कांफ्रेंस ने जताई गहरी संवेदना

जम्मू-कश्मीर डोडा मुठभेड़ में सेना के जवानों की शहादत पर राष्ट्रीय कांफ्रेंस ने जताई गहरी संवेदना

जम्मू-कश्मीर डोडा मुठभेड़ में सेना के जवानों की शहादत पर राष्ट्रीय कांफ्रेंस ने जताई गहरी संवेदना

जुलाई 17, 2024 इंच  राजनीति subham mukherjee

द्वारा subham mukherjee

जम्मू-कश्मीर के डोडा में मुठभेड़: राष्ट्रीय कांफ्रेंस की संवेदनाएं

जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में सोमवार शाम को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में चार भारतीय सेना के जवानों और एक पुलिस अधिकारी की शहादत पर राष्ट्रीय कांफ्रेंस ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। जवानों की बहादुरी और बलिदान के प्रति कृतज्ञता जताते हुए राष्ट्रीय कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अपने बयान में इस गंभीर घटना की कड़ी निंदा की है।

मुठभेड़ कैसे हुई

सोमवार शाम को डोडा जिले में आतंकवादियों की गतिविधियों की सूचना पर भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह ने एक संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया। इस ऑपरेशन के दौरान, आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई।

मुठभेड़ के शुरुआती दौर में ही आतंकवादियों ने भागने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने उनका पीछा किया। रात के करीब 9 बजे फिर से दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई। इस मुठभेड़ में पांच जवान गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें से चार ने बाद में अपने बहादुर प्राण त्याग दिए। इनमें एक मेजर और अन्य तीन जवान शामिल थे।

शहीदों का बलिदान

राष्ट्रीय कांफ्रेंस ने इस घटना को अत्यंत दुखद बताते हुए कहा कि जवानों और पुलिस अधिकारी का यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। पार्टी ने इस मौके पर शहीदों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना और सलामी व्यक्त की। फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आतंकवादियों के कृत्यों को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इस तरह की कायराना हरकतों का मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा।

सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया

घटना के तुरंत बाद सुरक्षाबलों ने इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान तेज कर दिया। अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई और आतंकवादियों को पकड़ने या समाप्त करने के लिए व्यापक अभियान चलाया गया। इस मुठभेड़ ने एक बार फिर से सुरक्षा बलों की तत्परता और जुनून को प्रदर्शित किया है।

मुठभेड़ के प्रभाव

इस मुठभेड़ से डोडा क्षेत्र में आतंकवादियों की उपस्थिति और उनके खतरों का स्पष्ट संकेत मिलता है। हालांकि, सुरक्षाबलों की तत्परता और संयुक्त अभियान ने यह साबित कर दिया है कि वे किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

राष्ट्रीय कांफ्रेंस का संदेश

राष्ट्रीय कांफ्रेंस ने सरकार से अपील की है कि वह देश के जवानों और पुलिस अधिकारियों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए और आतंकवादियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे। इस हादसे ने पूरे जम्मू-कश्मीर को हिलाकर रख दिया है और लोग शहीद जवानों को याद कर रहे हैं।

शहीदों की याद में कार्यक्रम

डोडा और आसपास के क्षेत्रों में शहीद जवानों की याद में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। स्थानीय लोग और अधिकारियों ने शहीदों के परिवारों को सांत्वना दी और उनके साथ खड़े होने का संकल्प लिया।

यह घटना एक बार फिर से यह दिखाती है कि देश की सुरक्षा बलें दिन-रात चौबीसों घंटे देश की सुरक्षा में तत्पर रहती हैं और किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए सक्षम हैं।

subham mukherjee

subham mukherjee

मैं एक प्रतिष्ठित पत्रकार और लेखक हूँ, जो दैनिक खबरों से जुड़े मुद्दों पर लिखना पसंद करता हूँ। मैंने कई प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों में कार्य किया है और मुझे जनता को सही और सटीक जानकारी प्रदान करने में खुशी मिलती है।

12 टिप्पणि

  • Abhishek Sarkar

    Abhishek Sarkar

    17 जुलाई 2024

    ये सब बस दिखावा है भाई। हर महीने कुछ न कुछ होता है, और हर बार सेना को शहीद बनाया जाता है। असली सवाल ये है कि इतने सालों से डोडा में आतंकवाद क्यों बना रहता है? क्या हमारे सुरक्षा बलों के पास बस गोली चलाने का ही तरीका है? जब तक हम जम्मू-कश्मीर के लोगों के दिलों को नहीं जीतेंगे, तब तक ये लड़ाइयां बस चलती रहेंगी। ये बलिदान तो बहुत बड़ा है, लेकिन इसका असली कारण क्या है? हम लोग अपनी नीतियों को तो बदलने की कोशिश करें।

  • Niharika Malhotra

    Niharika Malhotra

    17 जुलाई 2024

    हर शहीद का बलिदान अनमोल है। ये जवान अपने परिवारों को छोड़कर देश के लिए खड़े हो गए। हमें उनकी याद में सिर झुकाना चाहिए, और उनके परिवारों के लिए व्यावहारिक समर्थन देना चाहिए। ये लोग हमारे लिए देश की दीवार हैं। हमें उनके लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए - न सिर्फ शहीदों के नाम से बयान देना, बल्कि उनके परिवारों को रोज़मर्रा की ज़िंदगी में समर्थन देना। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, अगर हम इसे अपने दिलों में बसा लें।

  • Baldev Patwari

    Baldev Patwari

    18 जुलाई 2024

    अरे भाई, फिर से ये बकवास? सेना के जवान मर गए, तो राष्ट्रीय कांफ्रेंस ने बयान दिया। बस यही हो रहा है? इतने सालों से ये सब चल रहा है, और कुछ बदला नहीं। आतंकवाद के खिलाफ गोलीबारी करना तो आसान है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर निर्माण करना? नहीं भाई, वो तो कोई नहीं करता। ये सब बस प्रेस रिलीज के लिए है।

  • harshita kumari

    harshita kumari

    19 जुलाई 2024

    ये मुठभेड़ असल में एक गुप्त ऑपरेशन था जिसे लोगों के ध्यान से छिपाया गया था। आतंकवादियों को नहीं मारा गया, बल्कि उन्हें जानबूझकर बरकरार रखा गया ताकि लोगों के बीच डर फैले। ये सब एक बड़ा राजनीतिक खेल है। जब तक हम इसे समझेंगे, तब तक ये घटनाएं दोहराई जाएंगी। आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले हमारे अंदर ही हैं।

  • SIVA K P

    SIVA K P

    20 जुलाई 2024

    तुम लोग अभी तक ये नहीं समझ पाए कि ये सब बस एक बड़ा धोखा है? जवान मरे तो बयान देना आसान है, लेकिन अगर तुम्हारा बेटा या भाई वहां मर गया होता, तो तुम भी ऐसे ही बयान देते? तुम लोग बस एक शब्द लिखकर अपनी नीति ठीक बता लेते हो। लेकिन वो जवान तो असली थे। तुम बस एक फोटो देखकर रो रहे हो।

  • Neelam Khan

    Neelam Khan

    21 जुलाई 2024

    हर शहीद की याद में हमें उनके परिवारों के लिए एक छोटा सा कदम उठाना चाहिए। एक फोन कॉल, एक बार उनके घर जाना, एक बार उनके बच्चों को स्कूल में ले जाना। ये बहुत छोटी बातें हैं, लेकिन इनसे बहुत बड़ा असर होता है। हम लोग अक्सर बड़े बयान देते हैं, लेकिन असली समर्थन तो छोटे कामों में होता है। आइए, एक शहीद के परिवार के लिए आज ही कुछ करें।

  • Jitender j Jitender

    Jitender j Jitender

    21 जुलाई 2024

    ये घटना एक जटिल ज्यामिति है - सुरक्षा अभियान, जनसमर्थन, राजनीतिक लाभ और आतंकवाद का अस्तित्व। इन सबका एक साथ विश्लेषण करना जरूरी है। बस गोलीबारी करना या बयान देना काफी नहीं। हमें जम्मू-कश्मीर में शिक्षा, रोजगार और न्याय के लिए एक नई नीति बनानी होगी। बिना इनके, ये मुठभेड़ें बस एक चक्र का हिस्सा बनी रहेंगी। ये एक सामाजिक रचना का निर्माण है, जिसे हमें नए ढंग से डिज़ाइन करना होगा।

  • Jitendra Singh

    Jitendra Singh

    21 जुलाई 2024

    तुम लोग ये सब बयान देकर अपनी नैतिकता को साबित करने की कोशिश कर रहे हो। लेकिन असली नैतिकता तो वो है जो जवान के घर जाकर उसकी मां को गले लगाती है। जब तक तुम अपने बयानों को अपने दिल से नहीं बोलोगे, तब तक ये सब बस एक धोखा है। तुम बस एक शब्द लिखकर अपने आप को नेक बना लेते हो। लेकिन असली शहीद का बलिदान तो उसकी मां के आंखों में दिखता है।

  • VENKATESAN.J VENKAT

    VENKATESAN.J VENKAT

    23 जुलाई 2024

    हर बार ये बयान देने वाले लोग अपने घरों में बैठे होते हैं। जब तक वो अपने बेटे को सेना में नहीं भेजते, तब तक ये बयान बस धोखा है। ये जवान किसी गरीब परिवार के बेटे हैं, जिन्हें नौकरी के लिए सेना में भर्ती किया गया। और अब उनकी मां रो रही है। तुम लोग बस एक शब्द लिखकर अपनी नैतिकता का दावा कर रहे हो। असली श्रद्धांजलि तो उसकी मां के लिए एक रोटी भेजने में है।

  • Amiya Ranjan

    Amiya Ranjan

    23 जुलाई 2024

    क्या आप जानते हैं कि इन शहीदों के परिवारों को सरकार ने क्या दिया? एक नोटिस। और एक नाम। बाकी सब बस बातें। ये बयान देने वाले लोग अपने बेटे को सेना में नहीं भेजते। वो अपने बेटे को अमेरिका भेजते हैं। तो ये बयान तो बस एक फैक्ट चेक के लिए है।

  • vamsi Krishna

    vamsi Krishna

    24 जुलाई 2024

    सेना के जवान मरे? अच्छा तो फिर वो भी तो आतंकवादी हैं ना? ये सब तो बस एक बड़ा धोखा है। जो लोग इसे सच मानते हैं, वो बस बेवकूफ हैं।

  • Narendra chourasia

    Narendra chourasia

    26 जुलाई 2024

    हर बार ये बयान देने वाले लोग अपने बेटे को सेना में नहीं भेजते। वो अपने बेटे को अमेरिका भेजते हैं। तो ये बयान तो बस एक फैक्ट चेक के लिए है। जवानों के बलिदान को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। और तुम लोग इसे सच मानकर रो रहे हो। तुम्हारा रोना कुछ नहीं बदलेगा। तुम्हारी आंखों के आंसू तुम्हारे बेटे को वापस नहीं ला सकते।

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