जब हम बात करते हैं "बच्चे" की, तो उनका सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य पहले नंबर पर आता है। लेकिन इन मूलभूत चीज़ों को सुनिश्चित करने के लिए कानूनी तौर पर कुछ अधिकार तय हुए हैं—इन्हें ही कहते हैं बाल अधिकार। आजकल हर खबर में बच्चों से जुड़ी घटनाएं आती रहती हैं, इसलिए समझना जरूरी है कि हमें क्या‑क्या मिलते हैं और कैसे बचा सकते हैं अपने छोटे‑छोटे को.
भारत में बाल अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21A से लेकर कई विशेष कानूनों (जैसे बाल शोषण रोकथाम अधिनियम, शिक्षा का अधिकार) तक विस्तारित हैं। सरल शब्दों में:
इन अधिकारों के उल्लंघन पर तुरंत पुलिस या बाल कल्याण विभाग से संपर्क करना चाहिए. कई NGOs भी फ्री में सलाह और मदद देती हैं.
सेंचुरी लाइट्स ने इस टैग के तहत कुछ महत्वपूर्ण कहानियां एकत्र की हैं:
इन खबरों से पता चलता है कि बाल अधिकार सिर्फ कानून नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में लागू होने वाले फैसले और कार्रवाई भी हैं. अगर आप अपने बच्चे या किसी और के बच्चे को जोखिम में देखते हैं, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या बाल सहायता केन्द्र को रिपोर्ट करें.
सेंचुरी लाइट्स पर हर दिन नई कहानियां आती रहती हैं – चाहे वह स्कूल में बदली हुई नीति हो, स्वास्थ्य अभियान की सफलता या किसी दुष्ट केस का खुलासा. हमारे "बाल अधिकार" टैग को फॉलो करके आप हमेशा अपडेट रहेंगे और सही जानकारी के साथ अपने परिवार को सुरक्षित रख पाएँगे.
अंत में एक छोटा सा सुझाव: जब भी कोई खबर पढ़ें, उसके स्रोत की जाँच करें, तथ्य‑आधारित लेखों पर भरोसा रखें और बच्चों के अधिकारों को लेकर स्थानीय NGOs से जुड़ें. यही कदम आपके घर में सुरक्षित माहौल बनाने का सबसे असरदार तरीका है.
ECOSOC Youth Forum 2025 में दिल्ली की छात्रा अनन्या शर्मा ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए महिलाओं और बच्चों की शिक्षा में होने वाली बाधाओं और औपनिवेशिक सोच के असर पर गहरी बात की। उन्होंने समावेशी विकास और युवाओं की भूमिका को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की आवाज बुलंद की।
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