आपने शायद दिल्ली की सड़कों पर घूमते हुए कई कुत्ते देखे हों। ये सिर्फ पालतू नहीं, बल्कि अक्सर बिना मालिक वाले (आवारा) कुत्ते होते हैं जो शहर में बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। इनकी मौजूदगी लोगों के लिए डर और असुविधा का कारण बन सकती है, पर साथ ही यह एक सामाजिक मुद्दा भी है। इस लेख में हम जानते हैं कि ये समस्या क्यों बढ़ी, इसका क्या असर है और आप घर से या समुदाय स्तर पर क्या कदम उठा सकते हैं.
दिल्ली में आवारा कुत्ते कई कारणों से पनपे हैं। सबसे बड़ा कारण अनियंत्रित प्रजनन है—बहुतेरे लोग बिना लाइसेंस या स्पे/नेचर कट करवाए कुत्ते पालते हैं और बाद में उन्हें छोड़ देते हैं। इसके अलावा, कुछ घरों में कुत्ते को फेंक दिया जाता है जब वे बुढ़ाते या बीमार होते हैं। शहर के खुले स्थान जैसे पार्क, सड़क किनारे और कूड़े की ढेरियां भी इन जानवरों को भोजन देती हैं, जिससे उनका जनसंख्या तेज़ी से बढ़ती है.
सरकारी पहलें कुछ हद तक मदद कर रही हैं, पर बजट सीमाओं और प्रशासनिक चुनौतियों के कारण हर समस्या का समाधान अभी दूर है। इसलिए नागरिक सहभागिता बहुत मायने रखती है।
सबसे आम डर बाइट या झुंझलाहट से जुड़ा होता है। जबकि सभी आवारा कुत्ते खतरनाक नहीं होते, लेकिन अचानक हमले के मामलों में चोटें गंभीर हो सकती हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को। इसके अलावा, कुछ कुत्ते पालतू जानवरों की बीमारी (जैसे रेबीज़) भी ले जा सकते हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम बढ़ता है.
इसी कारण कई इलाकों में ‘क्लीन अप’ कैंपेन और एंटीरेबिक वैक्सीनेशन चलाए जाते हैं। लेकिन वैक्सिनेशन के लिए सही समय पर कुत्ते तक पहुंचना कठिन होता है, इसलिए स्थानीय NGOs और सरकारी विभाग मिलकर ट्रैप-नेट-ट्रीट (TNT) मॉडल अपनाते हैं—कुत्तों को पकड़ना, इलाज देना और फिर स्पे/नेचर कट कर छोड़ना.
आपके लिए सबसे आसान कदम यह है कि आप कुत्ते के व्यवहार को समझें: अगर वह हिलते-डुलते हुए खुश दिख रहा हो तो सामान्य रूप से परेशान नहीं होगा। अगर वह गँभीर या आक्रमणात्मक लग रहा हो, तुरंत दूरी बनाएं और मदद बुलाएं.
यदि आपके इलाके में आवारा कुत्तों की समस्या ज्यादा है, तो आप स्थानीय नगर निगम के पशु कल्याण विभाग को कॉल करके रिपोर्ट कर सकते हैं. कई शहरों में 24×7 डॉगी हेल्पलाइन उपलब्ध होती है जहाँ आप तुरंत सहायता माँग सकते हैं.
आखिरकार, समाधान केवल सरकार का नहीं, बल्कि हम सभी का सहयोग चाहिए। कुत्ते के लिए उचित भोजन और आश्रय प्रदान करना, स्पे/नेचर कट कराना और जागरूकता फैलाना इस समस्या को घटा सकता है. छोटे-छोटे कदमों से बड़ा फर्क पड़ेगा—जैसे अपने पड़ोस में ‘डॉग फ्री ज़ोन’ बनाना या स्कूलों में बच्चों को कुत्तों की सुरक्षा के बारे में सिखाना.
दिल्ली का भविष्य साफ-सुथरा और सुरक्षित रहेगा जब हम सब मिलकर इन आवारा कुत्तों को उचित देखभाल देंगे, साथ ही अपने आप को भी सुरक्षित रखेंगे. याद रखें—समस्या जितनी बड़ी लगती है, समाधान उतना ही सरल हो सकता है, अगर हम एकजुट हों.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या को देखते हुए सभी आवारा कुत्तों को 8 हफ्ते में शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया है। कोर्ट ने 5000 कुत्तों की स्टरलाइजेशन और नए शेल्टर बनाने के निर्देश दिए हैं, मगर मौजूदा स्थिति में सुविधाएं बेहद खराब हैं। इस आदेश का जानवर प्रेमियों ने विरोध किया है।
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