जब आप ITR फ़ाइलिंग डेडलाइन, वर्ष के अंत में निर्धारित आखिरी तिथि है जिस दिन आपको अपना आयकर रिटर्न जमा करना होता है. इसे अक्सर आयकर रिटर्न जमा करने की आख़िरी तिथि कहा जाता है, और देर से जमा करने पर पेनल्टी लगती है।
ITR फ़ाइलिंग डेडलाइन को समझना सरल है अगर आप जानते हैं कि आयकर विभाग, भारत सरकार की संस्था जो टैक्स संग्रह और लागू नियमों की निगरानी करती है इस प्रक्रिया को कैसे चलाता है। विभाग हर वित्तीय साल (अप्रैल से मार्च) के बाद अगले साल के 31 मई तक फॉर्म जमा करने की अनुमति देता है, लेकिन अक्सर बजट या विशेष परिस्थितियों के कारण विस्तार भी हो सकता है।
डेडलाइन के करीब आते ही सबसे काम का टूल है ई-फ़ाइलिंग पोर्टल, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जहाँ आप अपना ITR सहजता से भर और भेज सकते हैं। पोर्टल पर लॉग‑इन करके आप फॉर्म 16, फ़ॉर्म 26AS, और बैंक स्टेटमेंट जैसे दस्तावेज़ अपलोड कर सकते हैं। एक बार सबकुछ जाँच लेने के बाद ‘सबमिट’ बटन दबाने से आपका रिटर्न आधिकारिक तौर पर दर्ज हो जाता है।
डेडलाइन को नज़र में रखना जरूरी इसलिए कि देर से जमा करने पर 1% प्रति माह पेनल्टी लगे और साथ ही इंटरेस्ट भी बढ़ सकता है। अगर आप पहली बार फाइल कर रहे हैं तो फॉर्म के प्रकार (I, II, III, IV) को समझना मददगार रहेगा; प्रत्येक फॉर्म अलग‑अलग आय स्रोतों और आयु वर्गों के लिये बनाया गया है।
वित्तीय वर्ष का अंत यानी 31 मार्च, ITR फ़ाइलिंग डेडलाइन की शुरुआती सीमा तय करता है। अधिकांश सेल्फ‑एसएस (Self-Submitted) टैक्सपेयर्स के लिये अगले साल की 31 मई तक का समय पर्याप्त माना जाता है, लेकिन अगर आप ऑडिटेड अकाउंट्स या बड़े कारोबार से जुड़े हैं तो 30 सितंबर तक का विस्तार मिल सकता है। इस विस्तार को देखकर कई लोग आख़िरी वीक में टाल‑मटोल करते हैं, पर असली जोखिम देर से पेनल्टी और भविष्य में एसेसमेंट नोटिस है।
काफी लोग यह सोचते हैं कि अगर रिफंड मिलने वाला है तो देर से फाइल करने से कोई दिक्कत नहीं होगी। वह सोच गलत है। रिफंड मिलने में देरी, या कभी‑कभी रिफंड नहीं मिल पाना भी हो सकता है अगर डेडलाइन पार हो गई हो। इसलिए ITR फ़ाइलिंग डेडलाइन का पालन करके आप अपने पैसे को समय पर वापस पा सकते हैं।
डेडलाइन से पहले कुछ आसान कदम मददगार होते हैं: 1) सभी आवश्यक दस्तावेज़ पहले से इकट्ठा कर लें, 2) पोर्टल पर अपना यूज़र‑आईडी और पासवर्ड चेक कर लें, 3) फॉर्म भरते समय वैलिडेशन टूल से एरर देखें, 4) अंतिम चरण में ‘समय‑स्टैम्प’ वाले स्क्रीनशॉट को सुरक्षित रखें। यह स्क्रीनशॉट आपके सबमिशन को प्रमाणित करता है और भविष्य में कोई डिस्प्यूट हो तो काम आता है।
अगर आप कभी नयी टैक्स योजना या धारा के बारे में भ्रमित होते हैं, तो आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर ‘ड्रॉ‑डाउन गाइड’ और ‘टैक्स पैलेट’ सेक्शन देखें। वहाँ से आप समझ सकते हैं कि कौन‑सी छूटें आप ले सकते हैं और कौन‑से डिडक्शन आपके फॉर्म में शामिल होते हैं। यह जानकारी न केवल डेडलाइन के तनाव को कम करती है, बल्कि सही टैक्स प्लानिंग में भी मदद करती है।
एक और महत्वपूर्ण बात है कि डेडलाइन के बाद भी अगर आप फाइल नहीं कर पाए तो तुरंत एक ‘असहाय’ गणना (defective return) के तौर पर फाइल करना बेहतर है। असहाय रिटर्न को फिर से सुधारने के लिये एक अतिरिक्त अस्सेसमेंट आदेश आ सकता है, पर पेनल्टी कम हो जाती है। इसलिए देर हो या न हो, कभी भी रिटर्न नहीं फाइल करना सबसे बड़ा जोखिम है।
आजकल कई मोबाइल एप्लिकेशन भी ई‑फ़ाइलिंग को आसान बनाते हैं। वे यूज़र‑फ्रेंडली इंटरफेस, रियल‑टाइम प्रीव्यू और नोटिफिकेशन के साथ आपको डेडलाइन रीमाइंडर भेजते हैं। यदि आप बार‑बार डेस्कटॉप पर लॉग‑इन नहीं करना चाहते तो इन ऐप्स का इस्तेमाल करके समय बचा सकते हैं।
समझ लीजिए कि ITR फ़ाइलिंग डेडलाइन सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक सिस्टम है जो आपके टैक्स दायित्व को व्यवस्थित करता है। जब आप आयकर विभाग, ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल और वित्तीय वर्ष के बीच का संबंध पकड़ लेते हैं, तो फाइलिंग प्रक्रिया बहुत सरल लगती है। नीचे आप विभिन्न लेखों की एक क्यूरेटेड लिस्ट पाएँगे—इनमें डेडलाइन की विस्तृत तारीखें, डिलेय पेनल्टी की गणना, और ऑनलाइन फाइलिंग के बेहतरीन टिप्स शामिल हैं।
तो चलिए, आगे के पोस्ट्स देखें और अपनी रिटर्न फाइलिंग को आसान बनाएं।
ITR फ़ाइलिंग डेडलाइन को तकनीकी गड़बड़ी के कारण 16 सितंबर 2025 तक बढ़ाया गया। CBDT ने सोशल मीडिया पर फैली झूठी खबरों को खारिज किया और मूल समय‑सीमा को ठीक रखा। विभिन्न करदाता वर्गों की अलग‑अलग अंतिम तिथि, दंड की संरचना और देर से फाइलिंग के लिए अतिरिक्त फीस के बारे में विस्तार से बताया गया।
व्यापार