उत्तर्काण्ड में 2025 के स्थानीय चुनावों के परिणाम
उत्तर्काण्ड में इस साल के सभी स्थानीय चुनावों के परिणाम घोषित हो चुके हैं। कोड ऑफ कॉन्डक्ट हटने के साथ ही, जनता ने कई स्तरों पर मतदान किया और परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि भाजपा ने प्रदेश में अपना दबदबा दुगुना कर लिया है।
जनवरी 23 को हुए म्युनिसिपल चुनाव में भाजपा ने 11 में से 10 नगर निगमों पर कब्जा जमाया। शेष एक निगम में कांग्रेस ने कुछ दावेदारी दिखाई, पर कुल मिलाकर उनका प्रदर्शन कमज़ोर रहा। नगर परिषदों और नोटिफ़ाइड एरिया काउंसिलों में भी भाजपा ने सबसे अधिक चेयरपर्सन पद जیتे।
कांग्रेस ने कुछ मतदाता आधार को बरकरार रख लिया, पर उन्होंने कोई नगर निगम नहीं जीता। दूसरी ओर, स्वतंत्र उम्मीदवारों ने वार्ड स्तर पर सबसे अधिक सीटें लीक कर लीं, जिससे कुल मिलाकर उनकी जीत का प्रतिशत काफी ऊँचा रहा।
पंचायत चुनाव: भाजपा की बूम और स्वतंत्र उम्मीदवारों का झुकाव
जुलाई 24 और 28 को दो चरणों में आयोजित पैनल चुनाव ने भाजपा की जीत को और पक्की कर दिया। कुल 358 ज़िला पंचायत सीटों में से भाजपा समर्थित उम्मीदवार 125 सीटें जीत पाए, जबकि कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार 83 जीत पाए। शेष 150 सीटें स्वतंत्र उम्मीदवारों ने हासिल कीं।
रोचक बात यह है कि इन स्वतंत्र जीतों में से अधिकांश ने स्पष्ट रूप से भाजपा को अपना समर्थन दीला। इससे भाजपा का प्रभावी कुल 260 सीटों तक पहुंच गया, जैसा कि पार्टी के राज्य अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने बताया। उन्होंने इसे 2019 के 200 सीटों से भी बड़े जीत के रूप में वर्णित किया।
पंचायत चुनाव में औपचारिक रूप से कोई पार्टियों का नाम नहीं लिया जाता, पर पार्टियों का बैकिंग स्पष्ट रहता है। इस बार भाजपा ने दावे किए कि उनके कार्यकर्ता ग्राम प्रधान, वार्ड सदस्य और एरिया पंचायत सदस्य पदों पर सबसे अधिक जीत हासिल कर चुके हैं।
उत्साह की बात यह भी है कि अब दो प्रमुख नगर परिषदों—किछा और नरेन्द्रनगर—के चुनाव स्थगित किए गये हैं, और उन्हें अगले चरण में बाकी चुनावों के साथ मिलाकर फिर से आयोजित किया जाएगा।
समग्र मतदाता turnout 69.16% रहा, जो दर्शाता है कि प्रदेश के लोग स्थानीय प्रशासन में काफी रूचि रखते हैं। 89 ब्लॉकों, 12 जिलों में 5,913 ग्राम पंचायत प्रधान, 95 जिला पंचायत सदस्य और 1,916 क्षेत्र पंचायत सदस्य पदों के लिए मतदान किया गया। इस व्यापक भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि ग्रामीण इलाकों में भी राजनीतिक जागरूकता बढ़ी है।
भाजपा के मीडिया इंचार्ज मनवीर चौहान ने "त्रिपुत्री इंजन गवर्नमेंट" का नारा लगाते हुए कहा कि ग्रामीण विकास के लिए यह जीत मुहिम का नया अध्याय होगी। उनका मानना है कि भाजपा की नीतियों से ग्रामीण जनता को सीधे लाभ मिलेगा और प्रदेश की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा।
इन परिणामों के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार को अब ग्रामीण स्तर पर अपनी नीतियों को आगे बढ़ाने का बड़ा अवसर मिला है। चाहे वह बुनियादी ढांचा हो, स्वास्थ्य सेवाएँ हों या शिक्षा, अब भाजपा के हाथ में इन सबके लिये निर्णय लेने की शक्ति है।
Nikita Gorbukhov
28 सितंबर 2025भाजपा की जीत? बस एक बड़ा धोखा है। सब कुछ फर्जी लोगों के नाम से हो रहा है। गाँव के लोग तो बस डर से मत दे रहे हैं। 😤
Shreyash Kaswa
29 सितंबर 2025यह जीत देश के लिए बहुत बड़ी बात है। ग्रामीण भारत अब विकास की राह पर चल रहा है। भाजपा की नीतियों ने लाखों जीवन बदल दिए हैं। 🇮🇳
Sweety Spicy
30 सितंबर 2025अरे भाई, स्वतंत्र उम्मीदवारों ने 150 सीटें जीतीं? ये सब भाजपा के बाहरी छलावे हैं। ग्रामीण लोगों को बस एक नाम दिया गया, और वो उसके नीचे भर गए। बेवकूफ़ी का नाम है ये। 🙄
Maj Pedersen
1 अक्तूबर 2025इस जीत का मतलब है कि लोग अब स्थानीय स्तर पर जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं। यह एक नया आयाम है जिसे हम सभी को सलाम करना चाहिए। भाजपा के नेतृत्व में ग्रामीण विकास की नई गति आएगी।
Ratanbir Kalra
3 अक्तूबर 2025जीत हुई तो जीत गई अब बात ये है कि असली बदलाव कब आएगा या फिर ये सब बस एक नारा रह जाएगा जैसे हमेशा होता है
Seemana Borkotoky
4 अक्तूबर 2025मैं उत्तराखंड का एक छोटा सा गाँव देख चुकी हूँ। वहाँ भी भाजपा के नाम से नए बर्तन आए हैं, नए ट्रैक्टर, नए पानी के नल। लोग खुश हैं। ये जीत सिर्फ चुनावी नहीं, जीवन की जीत है। 🌾
Sarvasv Arora
6 अक्तूबर 2025अरे भाई, ये सब बस बाजार में बिकने वाला चार्जर है। भाजपा ने ग्रामीणों को एक चमकीला टीवी दिया, लेकिन बिजली तो अभी भी नहीं आई। इन्हें फिल्म देखने का नाम देकर असली बीमारी छुपाई गई।
Jasdeep Singh
7 अक्तूबर 2025ये जीत एक रणनीतिक विजय है जिसका लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रण है। ग्रामीण भारत को अब एक विशाल बुनियादी ढांचे में शामिल किया जा रहा है - जिसमें सामाजिक नियंत्रण, आर्थिक एकीकरण और राजनीतिक अनुकूलन का समावेश है। ये एक नया राष्ट्रीय नियोजन अध्याय है।
Rakesh Joshi
7 अक्तूबर 2025ये जीत असली है। लोगों ने अपनी आवाज़ उठाई। अब बात है इसे बरकरार रखने की। हम सबको इस ऊर्जा को बढ़ावा देना होगा। चलो, अगला कदम उठाते हैं! 💪
HIMANSHU KANDPAL
8 अक्तूबर 2025तुम सब भूल रहे हो कि ये चुनाव बस एक नाटक है... जिसमें लोगों को बेवकूफ बनाकर चुनाव लड़े जाते हैं। असली शक्ति तो दिल्ली में है... और वहाँ कोई गाँव वाला नहीं है।
Arya Darmawan
8 अक्तूबर 2025ये जीत बहुत बड़ी है, लेकिन अब निर्माण शुरू होता है। ग्रामीण स्वास्थ्य, शिक्षा, डिजिटल एक्सेस - इन पर ध्यान देना होगा। भाजपा के पास अब निर्णय लेने की शक्ति है, और इसका उपयोग सही तरीके से करना होगा।
Raghav Khanna
10 अक्तूबर 2025प्रदेश स्तर पर इस विजय का विश्लेषण करना आवश्यक है। यह एक स्थानीय शासन के नवीनीकरण का संकेत है, जिसमें नागरिक सहभागिता, पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों का पालन हो रहा है। इस दिशा में आगे बढ़ना आवश्यक है।
Rohith Reddy
11 अक्तूबर 2025क्या आप जानते हैं कि ये सभी जीत असल में एक बड़े डेटा एनालिसिस के बाद हुई हैं? एआई ने हर गाँव के लोगों के फोन के डेटा से उनकी राय का अनुमान लगाया और फिर उन्हें फेक न्यूज़ से बदल दिया। ये चुनाव नहीं, एक डिजिटल ऑपरेशन है।
Vidhinesh Yadav
13 अक्तूबर 2025मैं एक गाँव में रहती हूँ। जब मैंने पहली बार नगर परिषद के चुनाव में वोट दिया, तो मुझे लगा कि ये सिर्फ एक फॉर्म है। लेकिन जब मैंने देखा कि नए बर्तन आए, नए ट्रैक्टर खरीदे गए - तो मुझे लगा कि असली बदलाव हो रहा है।
Puru Aadi
13 अक्तूबर 2025इस जीत के बाद अब गाँव के बच्चों को भी नए अवसर मिलेंगे। देखिए, जहाँ भी भाजपा ने जीत दर्ज की, वहाँ नए स्कूल बन रहे हैं। ये भविष्य की नींव है। 🙌
Nripen chandra Singh
14 अक्तूबर 2025जीत हुई तो जीत गई अब बात ये है कि जीत के बाद क्या होता है या फिर सब कुछ वैसे ही रहता है जैसे था बस नाम बदल गया
Rahul Tamboli
16 अक्तूबर 2025भाजपा की जीत? बस एक बड़ा ब्रांडिंग फेस्टिवल है। गाँव वाले को बस एक फोटो दिखाकर वोट दिला लिया। अब देखो कि ये फोटो कितनी देर चलेगी 😎
Jayasree Sinha
16 अक्तूबर 2025चुनाव परिणामों का विश्लेषण दर्शाता है कि स्थानीय स्तर पर नागरिक सहभागिता में वृद्धि हुई है। यह एक सकारात्मक विकास है जिसे राजनीतिक दलों को समर्थन देना चाहिए।