अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का उद्देश्य
हर साल 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है जो भाषीय और सांस्कृतिक विविधता एवं बहुभाषावाद को बढ़ावा देता है। इसका आरंभ यूनेस्को ने 1999 में बांग्लादेश की पहल के बाद किया था। इस दिन का उद्देश्य भाषाओं के शिक्षा और सतत विकास में महत्व को रेखांकित करना है।
दुनिया भर में लगभग 8,324 भाषाएं बोलते हैं, जिनमें से कई भाषाओं का अस्तित्व खतरे में है। ग्लोबलाइजेशन के कारण भाषाएं विलुप्त हो रही हैं, जिससे सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक ज्ञान का भी खतरा हो रहा है। 2025 में इस दिवस की 25वीं सालगिरह "भाषाएँ महत्वपूर्ण हैं: सिल्वर जुबली सेलिब्रेशन" विषय पर मनाई जाएगी। यह भाषीय विविधता के संरक्षण के लिए 2030 तक ठोस कार्रवाई के महत्व पर जोर देती है।
भाषा सीखने का महत्व और चुनौतियाँ
अध्ययन बताते हैं कि जो छात्र अपनी मातृभाषा में पढ़ते हैं उनमें समझ और आलोचनात्मक सोच बेहतर होती है। बहुभाषी शिक्षा एक समावेशी समाज का समर्थन करती है, विशेष रूप से अल्पसंख्यक और आदिवासी भाषाओं के लिए।
दुनिया की 40% से अधिक आबादी ऐसे शिक्षा संस्थानों में पढ़ती है जहां उनकी मातृभाषा उपलब्ध नहीं है, जिससे उनके सीखने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इस संदर्भ में बांग्लादेश के 1952 के बंगाली भाषा आंदोलन को याद करना लाजिमी है, जहां छात्रों ने बंगाली को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता के लिए संघर्ष किया, जिसके फलस्वरूप अंततः यह एक आधिकारिक भाषा बनी।
यूनेस्को पूरे विश्व में बहुभाषी शिक्षा के लिए जागरूकता फैलाने के प्रयास में जुटा है ताकि सतत विकास लक्ष्यों, जैसे कि लैंगिक समानता और जलवायु परिवर्तन, को सुनिश्चत किया जा सके। इसके साथ ही यह भाषाओं को विलुप्त होने से बचाने के प्रयास भी करता है।
Ratanbir Kalra
22 फ़रवरी 2025भाषाएँ सिर्फ बोलचाल का जरिया नहीं वो तो हमारी आत्मा की धड़कन हैं
जब एक भाषा मरती है तो उसके साथ लाखों कहानियाँ भी दफन हो जाती हैं
मैंने अपने दादा से सुना था जब वो बच्चे थे तो उनके गाँव में एक ऐसी बोली थी जो अब बिल्कुल खत्म हो चुकी है
उनके गीत अब किसी के मुँह से नहीं निकलते
ये सिर्फ भाषा का नुकसान नहीं ये इंसानी याददाश्त का नुकसान है
हम जब अंग्रेजी में सोचने लगे तो हमारी अपनी सोच का रंग भी बदल गया
मैं अक्सर अपने बच्चों को हिंदी में कहानियाँ सुनाता हूँ ताकि उनकी आत्मा भी अपनी जड़ों से जुड़ी रहे
कोई भी शिक्षा असली नहीं जब वो तुम्हारी भाषा में न हो
हम बहुत बड़े हो गए हैं लेकिन अपने छोटे बचपन की भाषा को भूल गए
ये सिर्फ शिक्षा का मुद्दा नहीं ये तो हमारी मौत का पहला चरण है
हम अपने आपको बेच रहे हैं एक वैश्विक बाजार के लिए
जब तक हम अपनी भाषा को नहीं बचाएंगे तब तक हम अपने आपको नहीं बचा पाएंगे
भाषा बचाओ तो अपनी पहचान बचाओ
क्या तुम अपने बच्चों को अपनी मातृभाषा में बोलने की अनुमति देते हो
या तुम भी इस विलुप्ति का हिस्सा बन गए हो
Seemana Borkotoky
24 फ़रवरी 2025मैं अपने गाँव में बड़ी हुई थी जहाँ हम बोलते थे बिहारी हिंदी और अर्ध-बांग्ला शब्दों के साथ
जब मैं शहर आई तो मुझे लगा कि मेरी बोली गलत है
अब मैं अपनी बोली को गर्व से बोलती हूँ
मेरे बच्चे भी अब उसी में गाने गाते हैं
भाषा कोई दोष नहीं है बस हमारी आत्मा की आवाज है
मैं चाहती हूँ कि हर बच्चा अपनी मातृभाषा में सपने देखे
Sarvasv Arora
25 फ़रवरी 2025अरे भाई ये सब यूनेस्को का धोखा है
हर भाषा बचाने की बात कर रहे हो लेकिन क्या तुमने कभी सोचा कि जब तुम 1000 भाषाओं को बचाओगे तो एक बच्चा किसी एक भाषा में नहीं बल्कि 10 भाषाओं में पढ़ेगा
ये तो शिक्षा का बर्बरी है
हमें एक भाषा चाहिए जो सबके लिए हो
अंग्रेजी है ना वो
जिसने भारत को दुनिया में खड़ा किया
अब तुम बोलो कि बंगाली या तमिल या मराठी कौन सी भाषा दुनिया को नोबेल पुरस्कार दिला सकती है
हमें बात करनी है तो असली बात करो
ये सब भाषाओं का नाटक है जिसमें बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है
कोई भी बड़ा देश इतनी भाषाओं के साथ नहीं चलता
अमेरिका ने क्या किया
क्या वो हिस्पैनिक, अफ्रीकन, एशियाई भाषाओं को शिक्षा में लाया
नहीं भाई
वो अंग्रेजी चलाया
और दुनिया को जीत लिया
हम भी यही करें
भाषाओं के नाम पर बच्चों को भटकाना बंद करो
Jasdeep Singh
25 फ़रवरी 2025इस तरह के नाटक देखकर लगता है कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था अभी भी अपने बच्चों को अपने ही अंधेरे में फंसाए हुए है
यूनेस्को के नाम पर ये सब बातें फैलाई जा रही हैं जो कोई व्यावहारिक लाभ नहीं देती
मैंने अपने बेटे को बिल्कुल हिंदी में पढ़ाया तो वो नौवीं कक्षा में अंग्रेजी के लिए बिल्कुल अटक गया
क्या तुम्हें लगता है कि एक बच्चा जो 12 भाषाओं में बोलता है वो IIT में जीतेगा
नहीं भाई
वो तो बस एक गूँगा बोलने वाला बन जाएगा
जिसकी कोई भी भाषा उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं चला पाएगी
हमारे देश में जितने भी बच्चे अंग्रेजी में पढ़ते हैं वो अपने घर के आसपास की भाषा को भूल जाते हैं और वो ठीक है
क्योंकि वो अपने भविष्य के लिए एक भाषा सीख रहे हैं
जिससे वो दुनिया के साथ जुड़ सकें
ये सब भाषाओं का धोखा है
ये तो बस एक बहाना है शिक्षा के अंधेरे को छिपाने का
हमें जो चाहिए वो है एक अखंड शिक्षा जो सबके लिए एक हो
और वो भाषा है अंग्रेजी
बाकी सब बकवास है
बांग्लादेश का आंदोलन भी तो अंग्रेजी के खिलाफ था ना
लेकिन आज वहाँ भी अंग्रेजी ही सब कुछ है
तुम लोग अपने अतीत को नहीं बचा सकते अगर तुम अपने भविष्य को नहीं बचाते
Rakesh Joshi
27 फ़रवरी 2025ये सिर्फ एक दिन की बात नहीं है ये तो हमारी जिंदगी की लड़ाई है
हर बच्चे को अपनी मातृभाषा में पढ़ने का अधिकार है
मैंने एक गाँव में शिक्षा प्रोग्राम चलाया था जहाँ बच्चे तेलुगु में पढ़ रहे थे
और जब वो अपनी भाषा में गणित सीखे तो उनकी आँखों में चमक आ गई
अब वो स्कूल छोड़ने की बजाय अपने गाँव में ही शिक्षक बन रहे हैं
भाषा सिर्फ शब्दों का समूह नहीं है वो तो आत्मा की आवाज है
जब तुम अपनी भाषा में सोचते हो तो तुम अपने आप को पहचानते हो
हमें इस लड़ाई में जुड़ना होगा
कोई भी बच्चा जो अपनी भाषा में नहीं पढ़ सकता वो अपने आप को नहीं पहचानता
हम इसे बदल सकते हैं
बस एक कदम उठाओ
अपने बच्चे को अपनी मातृभाषा में गाना सुनाओ
अपने घर में अपनी भाषा बोलो
और देखो कैसे वो तुम्हारे साथ बढ़ता है
ये नहीं कि अंग्रेजी को छोड़ दो
ये है कि अपनी भाषा को भी जीवित रखो
हमारी शक्ति इसी में है
भाषा बचाओ तो भारत बचाओ
HIMANSHU KANDPAL
28 फ़रवरी 2025क्या तुम जानते हो कि हमारी भाषाओं को बर्बाद करने के पीछे कौन है
वो नहीं जो बोलते हैं वो जो बोलने नहीं देते
शिक्षा मंत्रालय के लोग
पुस्तक प्रकाशक
और वो बहुत बड़े जिन्हें लगता है कि बच्चे केवल अंग्रेजी में सोच सकते हैं
मैंने अपनी बहन को देखा है जो एक गाँव की शिक्षिका है
उसे कहा गया कि वो बच्चों को हिंदी में नहीं पढ़ाए
क्योंकि वो बच्चे बाद में नौकरी नहीं पाएंगे
क्या तुम्हें लगता है कि एक बच्चा जिसने अपनी मातृभाषा में अपने दिमाग को विकसित किया है वो अंग्रेजी नहीं सीख पाएगा
नहीं भाई
वो अंग्रेजी उसके लिए एक नया दरवाजा बन जाएगा
लेकिन अगर वो अपनी भाषा से अलग हो गया तो वो अपना खुद का दरवाजा खो देगा
ये सब एक योजना है
हमें अपने आप को बेचने के लिए तैयार किया जा रहा है
और हम खुशी खुशी उसका इंतजार कर रहे हैं
Arya Darmawan
28 फ़रवरी 2025मैं शिक्षा के क्षेत्र में 25 साल से काम कर रहा हूँ और मैं आपको बता सकता हूँ कि जब बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ते हैं तो उनकी सीखने की गति 200% बढ़ जाती है
ये बस एक भावनात्मक बात नहीं है ये वैज्ञानिक तथ्य है
मैंने उत्तर प्रदेश के एक गाँव में एक प्रोग्राम चलाया था जहाँ बच्चों को अवधी में गणित और विज्ञान पढ़ाया गया
और जब वो अंग्रेजी में शिक्षा में आए तो वो अपनी भाषा की समझ के साथ अंग्रेजी को बहुत तेजी से सीख गए
क्योंकि उनके दिमाग में पहले से ही अवधारणाएँ थीं
बस उन्हें एक नए शब्दावली में बदलना था
भाषा बाधा नहीं बल्कि सेतु है
अगर आप अपने बच्चे को अंग्रेजी में डाल देंगे तो वो बस शब्द याद करेगा
लेकिन अगर आप उसे अपनी भाषा में शिक्षित करेंगे तो वो समझेगा
और जब वो समझेगा तो वो कभी नहीं भूलेगा
हमें बस इतना करना है कि हर बच्चे को अपनी मातृभाषा में शिक्षा देने का मौका दें
और फिर अंग्रेजी को एक वैश्विक भाषा के रूप में जोड़ दें
ये नहीं कि एक को दूसरे के खिलाफ लड़ाया जाए
ये तो दोनों को साथ चलाना है
भाषा बचाना नहीं बल्कि भाषा को जीवित रखना है
और वो हम सबका कर्तव्य है
Raghav Khanna
2 मार्च 2025प्रिय सहयोगी, यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसकी व्यावहारिक लागत को ध्यान में रखते हुए एक बहुत ही संरचित दृष्टिकोण की आवश्यकता है
मैंने अपने अनुभव से देखा है कि जब बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा दी जाती है, तो वे अधिक स्थिर, सक्रिय और स्वायत्त शिक्षार्थी बन जाते हैं
हालाँकि, इसके लिए एक व्यापक शिक्षक प्रशिक्षण नीति, पाठ्यक्रम विकास और सामग्री उत्पादन की आवश्यकता होती है
यह एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन यह अपरिहार्य है
हमें भाषाओं को एक बार फिर से शिक्षा के केंद्र में लाने की आवश्यकता है
और इसके लिए सरकारी नीतियों के साथ नागरिक समाज का सहयोग अत्यंत आवश्यक है
हमें एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था बनानी होगी जो न केवल वैश्विक आवश्यकताओं को पूरा करे, बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि को भी समर्थन दे
इसके लिए बहुभाषी शिक्षा को एक नीति के रूप में नहीं, बल्कि एक दर्शन के रूप में लेना होगा
हम यह नहीं कह रहे हैं कि अंग्रेजी को छोड़ दें
हम कह रहे हैं कि अपनी भाषा के साथ अंग्रेजी को जोड़ें
यह एक समावेशी और स्थायी दृष्टिकोण है
और यह भारत के लिए एक अनूठा लाभ है
Rohith Reddy
2 मार्च 2025ये सब यूनेस्को का फर्जी नाटक है
असल में ये एक वैश्विक नियंत्रण योजना है
जिसमें आपको बताया जा रहा है कि आपकी भाषा बचानी है
लेकिन असल में वो आपको एक नए रूप में बांट रहे हैं
जब आप अपनी भाषा को बचाने की बात करते हैं तो वो आपको एक छोटा समूह बना देते हैं
और फिर आपको अंग्रेजी में बदलने के लिए बाध्य कर देते हैं
ये तो एक जाल है
हर भाषा को बचाने का नाम लेकर वो आपको अपने विश्व के भीतर बंद कर देते हैं
और फिर आपको बताते हैं कि आपको इस विश्व को छोड़ना है
क्या आपने कभी सोचा कि ये सब किसके लिए है
क्या आपके बच्चे अपनी भाषा में एक नोबेल पुरस्कार जीत सकते हैं
या वो अंग्रेजी में जीतेंगे
ये सब एक नया आधुनिक शोषण है
जिसमें आपको अपनी भाषा के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है
लेकिन जब आप लड़ते हैं तो वो आपको अपने नियंत्रण में रख लेते हैं
इसलिए बच्चों को अंग्रेजी में ही पढ़ाएं
और अपनी भाषा को घर पर बोलें
लेकिन शिक्षा में नहीं
वो आपको नियंत्रित करने के लिए बनाई गई है
Vidhinesh Yadav
4 मार्च 2025मैं एक शिक्षिका हूँ और मैंने अपने बच्चों को देखा है कि जब वो अपनी मातृभाषा में सोचते हैं तो वो अधिक आत्मविश्वासी हो जाते हैं
मैं अक्सर उनसे पूछती हूँ कि तुम्हें क्या लगता है
और जब वो अपनी भाषा में जवाब देते हैं तो उनकी आँखें चमक जाती हैं
मैंने एक बच्ची को देखा जो बिल्कुल चुप रहती थी
लेकिन जब उसे अपनी भाषा में पूछा गया तो वो एक कहानी सुनाने लगी
और वो कहानी बहुत जटिल थी
उसने अपनी भाषा में एक ऐसी समझ दी जिसे मैं अंग्रेजी में नहीं बता सकती थी
भाषा बस शब्द नहीं है
वो तो दिमाग का नक्शा है
जब आप अपनी भाषा को बचाते हैं तो आप अपने बच्चे के दिमाग को बचाते हैं
मैं चाहती हूँ कि हर शिक्षक इसे समझे
और हर बच्चे को अपनी भाषा में सोचने का मौका दें
Puru Aadi
5 मार्च 2025भाई ये तो बहुत बढ़िया बात है 😊
मैंने अपने बेटे को बिहारी हिंदी में गाने सुनाए हैं
और अब वो उन्हें अंग्रेजी में भी गाता है 😎
मैंने उसे बताया कि अपनी भाषा को बचाना है
लेकिन दुनिया के साथ बात करना भी है
अब वो दोनों में बोलता है
और वो बहुत खुश है
भाषा बचाओ लेकिन दुनिया से जुड़ो
ये नहीं कि एक को दूसरे के खिलाफ लड़ो
दोनों को साथ ले चलो 🤝
हम भारतीय हैं और हम बहुभाषी हैं
इसे गर्व से दिखाओ 🇮🇳
Nripen chandra Singh
6 मार्च 2025भाषाएँ विलुप्त हो रही हैं तो क्या हुआ
क्या तुम जानते हो कि जब एक भाषा मरती है तो उसके साथ एक अलग तरह की दुनिया भी मर जाती है
लेकिन दुनिया बदल रही है
और जिसने दुनिया को बदला वो था अंग्रेजी
अब तुम लोग बोल रहे हो कि बंगाली भाषा आंदोलन था
लेकिन आज बंगाली भाषा का भी एक अलग विश्व है
जो अंग्रेजी के बिना नहीं चल सकता
हमारे देश में 22 भाषाएँ हैं
लेकिन अगर हम उन सबको शिक्षा में लाएंगे तो क्या होगा
एक बच्चा 22 भाषाओं में पढ़ेगा
और क्या वो एक इंजीनियर बन पाएगा
या वो बस एक बहुभाषी गूँगा बन जाएगा
हमें एक भाषा चाहिए जो सबके लिए हो
और वो भाषा है अंग्रेजी
हम अपनी भाषाओं को घर पर बोल सकते हैं
लेकिन शिक्षा में नहीं
शिक्षा तो वैश्विक होनी चाहिए
और वैश्विक भाषा है अंग्रेजी
बाकी सब बस लोकप्रियता का नाटक है
Rahul Tamboli
7 मार्च 2025अरे भाई ये तो बस एक नया ट्रेंड है 😏
हर कोई अपनी भाषा बचाने की बात कर रहा है
लेकिन कौन असल में अपनी भाषा में बात करता है
मैंने अपने दोस्त को देखा जो तमिल है
और वो अपने बच्चे को अंग्रेजी में ही पढ़ा रहा है
क्योंकि वो जानता है कि अगर वो अपनी भाषा में पढ़ाएगा तो बच्चा नौकरी नहीं पाएगा
ये सब बातें बस इंस्टाग्राम के लिए हैं
जहाँ तुम अपनी भाषा के साथ फोटो डालोगे
और लाखों लाइक्स मिल जाएंगे 😎
लेकिन असल जिंदगी में तुम अंग्रेजी में बात करोगे
क्योंकि वो तुम्हारी नौकरी की कुंजी है
भाषा बचाने की बात करो लेकिन अपनी बेटी को इंजीनियर बनाओ
और फिर अपनी भाषा को घर पर बोलो
और फिर उसे इंस्टाग्राम पर पोस्ट करो 😂
हम तो अपने भविष्य के लिए अंग्रेजी चुन रहे हैं
और भाषाओं को बस एक डिज़ाइन के रूप में रख रहे हैं
जो तुम्हारे प्रोफाइल को ज्यादा खूबसूरत बनाएगा 💅