Google Gemini Nano Banana बनाम ChatGPT Ghibli: इमेज जेनरेशन की वायरल जंग किस ओर झुकी?

Google Gemini Nano Banana बनाम ChatGPT Ghibli: इमेज जेनरेशन की वायरल जंग किस ओर झुकी?

Google Gemini Nano Banana बनाम ChatGPT Ghibli: इमेज जेनरेशन की वायरल जंग किस ओर झुकी?

सितंबर 16, 2025 इंच  प्रौद्योगिकी subham mukherjee

द्वारा subham mukherjee

वायरल मुकाबला: भावनात्मक आर्ट बनाम कलेक्टिबल-स्टाइल रियलिज़्म

ऐप स्टोर चार्ट्स पलट गए, टाइमलाइन भर गई, और फोटो अपलोड करने की होड़ लग गई। 2025 में AI इमेज जेनरेशन की दौड़ में दो ट्रेंड सबसे आगे निकले—Google Gemini Nano Banana और ChatGPT का Ghibli-स्टाइल आर्ट। दोनों ने दुनिया भर में यूज़र का ध्यान खींचा, लेकिन रास्ते बिल्कुल अलग रहे: एक तरफ सपनों जैसा एनीमे-आर्ट, दूसरी तरफ हाइपर-डिटेल 3D फिगरिन जो खिलौना-डिस्प्ले जैसा दिखता है।

कहानी की शुरुआत मार्च 2025 से होती है। सिएटल के इंजीनियर ग्रांट स्लैटन ने सोशल मीडिया पर स्टूडियो Ghibli-स्टाइल में परिवार की AI पोर्ट्रेट्स पोस्ट कीं। एक पोस्ट 46 मिलियन व्यूज़ और 44 हजार लाइक्स तक पहुंच गई। असर तात्कालिक था—सिर्फ एक घंटे में ChatGPT पर 10 लाख नए यूज़र जुड़ गए। इस लहर की असली ताकत थी यादों का जादू: Ghibli की सौम्य, सपनीली एस्थेटिक्स लोगों के बचपन, कल्पना और भागने की चाह को छूती है। जो आर्ट सालों की ट्रेनिंग मांगता था, वह अब सेकंडों में बन रहा था।

उधर, गूगल का Gemini 2.5 Flash Image—जिसे यूज़र मज़ाकिया नाम से Nano Banana कहने लगे—ने बिल्कुल अलग स्वाद दिया। यह फीचर आपकी फोटो को अल्ट्रा-डिटेल 3D फिगरिन में बदल देता है: साफ़ ऐक्रेलिक बेस, शेल्फ-रेडी पोज़, बॉक्स-जैसी पैकेजिंग ग्राफिक्स, और बैकग्राउंड में असली-सा माहौल—जैसे कंप्यूटर डेस्क पर रखा कलेक्टिबल। यह लुक पॉप-कल्चर और मर्चेंडाइज़ फैंस को सीधे हिट करता है।

मुख्यधारा में इसकी घुसपैठ तेज़ थी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने X पर अपने 3D अवतार शेयर किए। एक्टर सोनम बाजवा और फिल्ममेकर राकेश रोशन भी ट्रेंड में दिखे। नतीजा—सोशल फीड्स में Nano Banana अवतारों की बाढ़ और कमेंट सेक्शंस में एक ही सवाल: “ये कैसे बनता है?”

कमर्शियल असर साफ़ दिखा। Apple App Store और Google Play—दोनों जगह टॉप ऐप्स की सूची में Google Gemini पहले स्थान पर पहुंचा, उसके बाद Threads, और ChatGPT तीसरे पर खिसक गया। कुछ महीने पहले तक Ghibli-स्टाइल इमेजिंग ने चार्ट्स पर ChatGPT को बढ़त दिलाई थी, अब पोज़िशन उलट गई। वायरल फीचर ने ऐप डिस्कवरी और इंस्टॉल्स का रुख पलट दिया।

दोनों ट्रेंड एक बड़ी बात साबित करते हैं: AI क्रिएटिविटी में “कैसा दिखता है” जितना मायने रखता है, “कितनी आसानी से बनता है” उतना ही। और जब शेयर करना सरल हो, तो नेटवर्क इफेक्ट खुद-ब-खुद काम करता है।

तकनीक, पहुंच और बाजार पर असर

तकनीक, पहुंच और बाजार पर असर

तकनीकी तौर पर दोनों के अपने-अपने निश हैं। Nano Banana की ताकत है स्पीड और फोटो-रियल रेंडरिंग। रौशनी, टेक्सचर और पॉलिश ऐसा कि ज्यादातर यूज़र्स को पोस्ट-एडिटिंग की जरूरत ही नहीं पड़ती। दूसरी तरफ, ChatGPT का नया मॉडल (GPT-5) जटिल निर्देशों को समझने में बेहतर दिखा—किरदार की पोज़िशन, मिनी-सीन की सेटिंग, और थीमैटिक स्टाइल जैसी चीज़ें यह बारीकी से पकड़ लेता है।

एक दिलचस्प खिलाड़ी और है—Qwen। यह बैकग्राउंड डिटेल और एनवायरनमेंटल रियलिज़्म में शार्प दिखता है; पेड़ों की बनावट, सतह की चमक, या कमरे के डैप्थ जैसे तत्व crisp आते हैं। कमज़ोरी? चेहरे कभी-कभी सख्त या मैनेकिन जैसे लग सकते हैं। यही वह बारीक संतुलन है जिसे आज के AI मॉडल हर रोज़ ट्यून कर रहे हैं—चेहरे का भाव, त्वचा के माइक्रो-डिटेल्स, और बैकग्राउंड की परतें, सब साथ-साथ।

पहुंच की बात करें तो Gemini ने बड़ा दांव खेला—Nano Banana फीचर सबके लिए मुफ़्त। कंपनी ने यूज़र्स को खुलकर शेयर करने को कहा और कम्युनिटी क्रिएशंस को फीचर करने का वादा भी किया। इससे एंट्री-बारियर खत्म हुआ: न सब्सक्रिप्शन, न लंबा ट्यूटोरियल। बस फोटो, एक प्रॉम्प्ट, और तैयार 3D फिगरिन।

प्रोसेस भी सीधा है। यूज़र Gemini ऐप (या Google AI Studio) खोलते हैं, एक सोलो फोटो अपलोड करते हैं, वायरल प्रॉम्प्ट पेस्ट करते हैं, और कुछ सेकंड में 3D अवतार मिल जाता है। कई यूज़र्स इसे डेस्क सेटअप, गेमिंग रिग, या किताबों की शेल्फ के बैकग्राउंड में दिखा रहे हैं ताकि लुक और “रीयल” लगे।

Ghibli-ट्रेंड सौंदर्य के स्तर पर अलग बैठता है। यह नॉस्टेल्जिया, गर्माहट और हाथ से बने जैसे स्ट्रोक्स पर टिका है—ड्रीमीलाइटिंग, सॉफ्ट शैडोज़, और फिल्म-जैसा फ्रेमिंग। लोग खुद को एक जादुई दुनिया में देखते हैं—स्कूल की यादों, बचपन के टीवी, और शांत शामों के बीच। यही भावनात्मक कनेक्शन इसे शेयर-वर्दी बनाता है।

किसे चुनें? यह आपके मकसद पर टिकता है।

  • अगर आप प्रोफ़ाइल पिक्चर या पोस्टर-जैसा आर्ट चाहते हैं जो “कहानी” सुनाए—Ghibli-स्टाइल सही लगेगा।
  • अगर आप चाहें कि आपका अवतार शेल्फ-रेडी कलेक्टिबल जैसा लगे—Nano Banana तेज़ और भरोसेमंद आउटपुट देता है।
  • अगर बैकग्राउंड, प्रॉप्स और माइक्रो-टेक्सचर अहम हैं—Qwen जैसे मॉडल बेहतर डिटेल दे सकते हैं, पर चेहरे के इमोशन पर ध्यान रखें।

सोशल शेयरेबिलिटी भी गेम-चेंजर है। Nano Banana की खिलौना-लुक वाली फोटो थंबनेल में तुरंत पहचान ली जाती है—कमेंट आते हैं, DMs में “टेम्पलेट भेजो” वाले मैसेज आते हैं, और चेन-रिएक्शन शुरू। Ghibli-आर्ट में “ओह, ये तो मैं हूं—लेकिन एक एनिमे दुनिया में” वाला आश्चर्य काम करता है। दोनों का ट्रिगर अलग, असर एक: FOMO।

मार्केटिंग फ्रंट पर ब्रांड्स इसे कैंपेन के लिए अपना रहे हैं—कन्टेस्ट, इन्फ्लुएंसर पोस्ट, और लिमिटेड-एडिशन थीम्ड विजुअल्स। ई-कॉमर्स में उत्पाद की “टॉय-एस्थेटिक” प्रीव्यू बनाना आसान हुआ; इवेंट प्रमोशन में Ghibli-स्टाइल पोस्टर शेयर-रेट बढ़ा रहे हैं। इसने क्रिएटर इकोनॉमी को एक नया टूलकिट दे दिया—तेज़, सस्ता और सोशल-फर्स्ट।

फिर भी, कुछ सावधानियां जरूरी हैं।

  • प्राइवेसी: आप अपनी या दूसरों की फोटो अपलोड कर रहे हैं। ऐप की परमिशन, डेटा रिटेंशन और डिलीशन पॉलिसी पढ़ लें।
  • कंसेंट: किसी और की तस्वीर से अवतार बनाने से पहले अनुमति लें—खासकर बच्चों की।
  • डीपफेक रिस्क: रियलिस्टिक आउटपुट के साथ गलत इस्तेमाल का खतरा रहता है। जिम्मेदारी से बनाएं और शेयर करें।
  • कॉपीराइट/स्टाइल-इमिटेशन: Ghibli-जैसी एस्थेटिक भावनात्मक रूप से असरदार है, पर “किस हद तक किसी स्टाइल की नकल ठीक है?”—यह बहस तेज़ होती जा रही है। ब्रांडिंग, वॉटरमार्किंग और डिस्क्लेमर का चलन बढ़ सकता है।

तकनीक के भीतर भी कई नट-बोल्ट खेल रहे हैं—डिफ्यूज़न से लेकर मल्टी-मॉडल एलाइनमेंट तक। स्पीड बनाम कंट्रोल की रस्साकशी जारी है। Nano Banana ने “वन-क्लिक, क्लीन आउटपुट” की उम्मीद बढ़ाई है। ChatGPT का फोकस “जटिल निर्देशों को ठीक से निभाओ” वाली प्रिसीजन पर है—जैसे “नीले नीयॉन में रिमलाइट, डेस्क पर बाएं किनारे मिनी-कैक्टस, और पैकेजिंग पर 90s-आर्केड स्टाइल” जैसी बातें।

लागत और स्केलेबिलिटी भी फैक्टर हैं। मुफ्त एंट्री-टियर का मतलब है बड़े पैमाने पर आदत बनाना। एक बार यूज़र हुक्ड हो जाए, तो प्रीमियम फ़ीचर्स—हाई-रेज एक्सपोर्ट, बैच प्रोसेसिंग, कस्टम पैकेजिंग—रेवेन्यू का रास्ता बनाते हैं। ऐप स्टोर रैंकिंग यहां सिर्फ नंबर नहीं, वितरण की ताकत हैं: ऊपर दिखे तो नए यूज़र आएंगे, और नया यूज़र ही नया कंटेंट बनाता है—लूप बनता है।

भारत में पब्लिक फिगर्स की एंट्री ने ट्रेंड को मेनस्ट्रीम बना दिया। नेताओं के 3D अवतार से लेकर एक्ट्रेसेज़ के कलेक्टिबल-लुक पोस्ट तक—यह संकेत है कि AI इमेजिंग अब सिर्फ “टेक फैंस” की चीज़ नहीं रही। छोटे शहरों के यूज़र भी “मेरे डेस्क पर मेरा मिनी-मी” वाली फोटो लगा रहे हैं, और यह सामाजिक बातचीत का हिस्सा बन रहा है।

यूज़र एक्सपीरियंस के लेवल पर अंतर साफ़ हैं:

  • Nano Banana: कम सेटिंग्स, तेज़ नतीजे, फोटो-रियल फिनिश—अटकलें कम, सरप्राइज़ कम, पर शेयर-रेडी आउटपुट ज्यादा।
  • Ghibli: स्टाइल-हेवी, भावनात्मक अपील, कभी-कभी आउटपुट में वैरिएशन ज्यादा—पर सही बैठ जाए तो फ्रेम-योग्य।

कंटेंट मॉडरेशन और सेफ्टी पर कंपनियां खुलकर बोल रही हैं—फेस-रिकग्निशन से बचाव, हेटफुल या गलत कंटेंट के फ़िल्टर, और सेंसिटिव रिक्वेस्ट्स पर ब्लॉक्स। लेकिन viral फीचर्स हमेशा एज-केस पैदा करते हैं: क्या किसी नेता का “ख़ास पोज़” वाला फिगरिन बन सकता है? क्या ब्रांडेड पैकेजिंग-स्टाइल से ट्रेडमार्क टकराएंगे? ये वो धागे हैं जो तेजी से खिंचते हैं और नीति टीमों को तुरंत जवाब ढूंढ़ना पड़ता है।

आने वाला दौर कैसा दिखता है? मिलाजुला। संभावना है कि दोनों स्ट्रैंड्स एक-दूसरे से सीखेंगे—Ghibli-स्टाइल में बेहतर हैंड-पोज़ या फेस-इमोशन, और Nano Banana में ज्यादा क्रिएटिव कंट्रोल, थीमैटिक पैक्स, या कस्टम-टेक्स्ट ऑन-पैकेजिंग जैसे फीचर्स। मोबाइल-फर्स्ट अनुभव और कम लेटेंसी की मांग बढ़ेगी। लोग चाहते हैं कि कैमरा खुले, प्रॉम्प्ट बोले, और आउटपुट तुरन्त मिल जाए।

अगर आप पहली बार ट्राय कर रहे हैं, तो एक छोटा-सा चीटशीट काम आएगा।

  • सेल्फी साफ़, सिंगल-सब्जेक्ट रखें। चेहरे पर समान रोशनी हो, चश्मे में कम रिफ्लेक्शन हो।
  • Nano Banana के लिए पर्सनालिटी दिखाने वाली 2–3 चीज़ें लिखें—“गिटार-होल्ड, डेस्क-सेटअप, ऐक्रेलिक-बेस पर नाम-टैग”।
  • Ghibli-स्टाइल में मूड लिखें—“गोल्डन-ऑवर, हल्की हवा, पहाड़ी शहर, गर्म पीला लैंप”।
  • पहला आउटपुट अच्छा न लगे तो री-रोल करें, छोटे-छोटे बदलाव करें—प्रॉम्प्ट की एक लाइन भी फर्क डालती है।

इस वक्त की तस्वीर साफ है: Nano Banana ने मेनस्ट्रीम में कमांडिंग बढ़त ली है—टॉप-रैंकिंग ऐप, पब्लिक फिगर्स की भागीदारी, और एक ऐसा आउटपुट जो शेल्फ पर रखे खिलौने जैसा लगे। Ghibli-ट्रेंड ने दिखाया कि AI सिर्फ “टेक” नहीं, कला और भावनाओं का माध्यम भी है—और वही इसे यादगार बनाता है। दोनों मिलकर बता रहे हैं कि AI-क्रिएटिविटी का भविष्य सिर्फ बेहतर एल्गोरिद्म नहीं, बेहतर अनुभव, सही एस्थेटिक्स और शेयर-लूप पर टिका है।

subham mukherjee

subham mukherjee

मैं एक प्रतिष्ठित पत्रकार और लेखक हूँ, जो दैनिक खबरों से जुड़े मुद्दों पर लिखना पसंद करता हूँ। मैंने कई प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों में कार्य किया है और मुझे जनता को सही और सटीक जानकारी प्रदान करने में खुशी मिलती है।

20 टिप्पणि

  • Sweety Spicy

    Sweety Spicy

    16 सितंबर 2025

    ये सब बकवास है। जिमनी नैनो बनाना तो बस एक टॉय फिगर की तरह है, जबकि Ghibli तो एक भावना है। तुम लोग अपने डेस्क पर रखे खिलौने को आर्ट कह रहे हो? ये AI नहीं, डिजिटल बच्चों की गुड़िया बनाने का खेल है।

  • Maj Pedersen

    Maj Pedersen

    18 सितंबर 2025

    इस विषय पर बहुत सोचा गया है। दोनों ट्रेंड्स अलग-अलग भावनाओं को छूते हैं, और यह अद्भुत है कि तकनीक इतनी विविधता को समर्थन दे रही है। हमें इन दोनों दृष्टिकोणों को जानने और समझने की जरूरत है, न कि उनकी तुलना करने की।

  • Ratanbir Kalra

    Ratanbir Kalra

    18 सितंबर 2025

    कला और तकनीक एक ही चीज है अगर आप देखें तो लेकिन जब आप एक फोटो को 3D बना देते हैं तो ये बच्चों का खिलौना बन जाता है और जब आप एक बचपन की याद को बनाते हैं तो ये आत्मा का दर्पण हो जाता है

  • Seemana Borkotoky

    Seemana Borkotoky

    19 सितंबर 2025

    मैंने अपनी दादी की तस्वीर Ghibli स्टाइल में बनवाई थी... उन्होंने आँखें भर लीं। जब मैंने अपना Nano Banana वर्जन दिखाया, तो बस हंस पड़ीं - ‘ये तो तुम्हारा बाबू जी का चित्र है जो दुकान पर लगा था!’ दोनों का अपना जादू है।

  • Sarvasv Arora

    Sarvasv Arora

    19 सितंबर 2025

    ये सब जिमनी बनाने वाले लोग अपने फोटो को एक शेल्फ पर रखने के लिए तैयार हैं जैसे वो कोई लिमिटेड एडिशन ब्लू-रे डिस्क हो। असली कला तो वो है जो तुम्हारे दिल में बैठ जाए, न कि तुम्हारे डेस्क पर धूल जमा करे।

  • Jasdeep Singh

    Jasdeep Singh

    21 सितंबर 2025

    ये सब अमेरिकी टेक कंपनियों का भारतीय यूज़र्स को एक्सप्लॉइट करने का नया तरीका है। Ghibli तो जापानी संस्कृति की देन है, और जिमनी नैनो बनाने वाले लोग अपने घर के बाहर खड़े होकर अपनी तस्वीर को टॉय की तरह बनवाते हैं - ये अपने आप को किसी चीज़ का हिस्सा बनाने की बजाय बेचने की कोशिश कर रहे हैं। ये सब डिजिटल अपराध है।

  • Rakesh Joshi

    Rakesh Joshi

    22 सितंबर 2025

    भाई ये बातें सुनकर बहुत खुशी हुई! जब भी कोई नया टूल आता है, तो लोग डर जाते हैं, लेकिन देखो - अब हर कोई अपनी यादों को बरकरार रख सकता है। अगर एक फोटो से तुम्हारा बचपन जीवित हो जाए, तो ये तो जादू है! जिमनी या Ghibli - दोनों बहुत बढ़िया हैं।

  • HIMANSHU KANDPAL

    HIMANSHU KANDPAL

    24 सितंबर 2025

    मैंने अपनी बहन की तस्वीर Ghibli स्टाइल में बनवाई थी... और फिर उसने उसे इंस्टाग्राम पर डाल दिया। लोगों ने कहा - ‘ये तो तुम्हारी बहन नहीं, एक एनिमे किरदार है!’ मैंने उसे फिर से Nano Banana में बनवाया... अब लोग कहते हैं - ‘ये तो तुम्हारी बहन है, लेकिन जैसे एक खिलौना बच्चा!’ अब मैं नहीं जानता कि वो मेरी बहन है या कोई डिजिटल फेक।

  • Arya Darmawan

    Arya Darmawan

    24 सितंबर 2025

    अगर आप अभी शुरू कर रहे हैं, तो ये टिप्स जरूर फॉलो करें! फोटो को साफ रखें, रोशनी अच्छी हो, और प्रॉम्प्ट में थोड़ा डिटेल डालें - ये बहुत फर्क डालता है। Ghibli के लिए ‘मूड’ लिखें, न कि ‘स्टाइल’। और जिमनी के लिए बैकग्राउंड और ऑब्जेक्ट्स का जिक्र करें - ये आउटपुट को बिल्कुल अलग बना देता है। बस एक बार ट्राई करें, और देखिए कैसे आपकी तस्वीर जीवित हो उठती है!

  • Raghav Khanna

    Raghav Khanna

    26 सितंबर 2025

    मैंने अपने दोनों बच्चों की तस्वीरें दोनों ट्रेंड्स में बनवाईं। एक बेटा Ghibli को देखकर बोला - ‘मैं तो एक जादुई दुनिया में हूँ!’ और दूसरा बेटा Nano Banana देखकर बोला - ‘मेरा टॉय बन गया!’ दोनों जवाब अलग, लेकिन दोनों सच। ये तकनीक हमें अपने बच्चों की दुनिया को देखने का नया तरीका दे रही है।

  • Rohith Reddy

    Rohith Reddy

    27 सितंबर 2025

    ये सब एक बड़ा नियोन-प्रोपेगेंडा है। Google ने ये फीचर बनाया क्योंकि वो चाहता है कि आप अपनी तस्वीरें उनके सर्वर पर अपलोड करें। Ghibli तो एक असली कला है, लेकिन ये नैनो बनाना आपके डेटा को चोरी करने का नया तरीका है। आपकी तस्वीरें अब उनके AI के लिए ट्रेनिंग डेटा बन चुकी हैं। आप अपने बच्चों की तस्वीरें अपलोड कर रहे हैं - और वो आपको बेच रहे हैं।

  • Vidhinesh Yadav

    Vidhinesh Yadav

    27 सितंबर 2025

    मैंने अपने नाना की तस्वीर Ghibli स्टाइल में बनवाई थी - उनका चेहरा बहुत सॉफ्ट और गर्म लगा। फिर मैंने एक दोस्त को जिमनी वर्जन दिखाया - वो बोला - ‘ये तो मेरे नाना जी का रिमोट कंट्रोल लग रहा है!’ दोनों अलग अलग हैं, लेकिन दोनों की एक जगह जरूरत है - आपकी यादें जीवित रहें।

  • Puru Aadi

    Puru Aadi

    27 सितंबर 2025

    मैंने अपनी तस्वीर Ghibli में बनवाई और इंस्टा पर डाली 😍 लोगों ने कहा - ‘ये तो तुम नहीं, एक एनिमे नायक है!’ फिर नैनो बनाने वाला वर्जन डाला 🤖 लोग बोले - ‘अरे ये तो तुम्हारा टॉय है!’ मैंने दोनों एक साथ डाल दिए - अब मेरा प्रोफाइल एक जादुई दुनिया और एक खिलौना दुकान का मिश्रण है 😄

  • Nripen chandra Singh

    Nripen chandra Singh

    29 सितंबर 2025

    अगर तुम एक फोटो को एक शेल्फ पर रखने के लिए बनाते हो तो ये कला नहीं है अगर तुम एक याद को बरकरार रखने के लिए बनाते हो तो ये जीवन है और अगर तुम इसे शेयर करते हो तो ये तुम्हारा आत्मा का दर्पण है और अगर तुम इसे बेचते हो तो ये एक बाजार है और अगर तुम इसे देखते हो तो ये एक ख्वाब है

  • Rahul Tamboli

    Rahul Tamboli

    1 अक्तूबर 2025

    Ghibli? बस एक जापानी बच्चों की कहानी है जिसे अमेरिकी कंपनियां अपनाकर बेच रही हैं। नैनो बनाना? वाह! अब तुम अपनी तस्वीर को एक खिलौने की तरह बना रहे हो - ये तो बच्चों का खेल है! असली कला तो वो है जो दिल को छूती है, न कि शेल्फ को गहरा करती है 😎

  • Jayasree Sinha

    Jayasree Sinha

    2 अक्तूबर 2025

    मैंने अपने परिवार की तस्वीरें दोनों स्टाइल्स में बनवाईं। Ghibli वाली तस्वीर में चेहरे की भावनाएं बहुत सुंदर थीं। नैनो बनाने वाली तस्वीर में डिटेल्स बहुत अच्छी थीं, लेकिन चेहरे थोड़े अजीब लगे। ये तकनीक अभी भी विकसित हो रही है - इसलिए हमें धैर्य रखना चाहिए।

  • Vaibhav Patle

    Vaibhav Patle

    3 अक्तूबर 2025

    ये बातें सुनकर मैं बहुत उत्साहित हो गया! 🤩 अगर आप अपनी तस्वीर Ghibli स्टाइल में बनवाते हैं, तो आपको लगता है जैसे आप एक फिल्म के हीरो बन गए हैं। और अगर आप नैनो बनाने वाला वर्जन बनवाते हैं, तो आपको लगता है जैसे आपका टॉय जीवित हो गया है! दोनों बहुत अच्छे हैं - बस आपके मूड पर निर्भर करता है! 😊

  • Garima Choudhury

    Garima Choudhury

    4 अक्तूबर 2025

    ये सब एक बड़ा नियोन-प्रोपेगेंडा है। Google ने ये फीचर बनाया क्योंकि वो चाहता है कि आप अपनी तस्वीरें उनके सर्वर पर अपलोड करें। Ghibli तो एक असली कला है, लेकिन ये नैनो बनाना आपके डेटा को चोरी करने का नया तरीका है। आपकी तस्वीरें अब उनके AI के लिए ट्रेनिंग डेटा बन चुकी हैं। आप अपने बच्चों की तस्वीरें अपलोड कर रहे हैं - और वो आपको बेच रहे हैं।

  • Hira Singh

    Hira Singh

    6 अक्तूबर 2025

    मैंने अपनी बहन की तस्वीर Ghibli स्टाइल में बनवाई और उसे उसके बच्चे को गिफ्ट किया। उसने रोते हुए कहा - ‘मम्मी ऐसे दिखती थीं जब मैं छोटा था!’ फिर मैंने अपना नैनो बनाने वाला वर्जन बनवाया - और उसने हंसकर कहा - ‘अरे ये तो तुम्हारा नाना जी का टॉय है!’ दोनों अलग, लेकिन दोनों प्यारे।

  • Ratanbir Kalra

    Ratanbir Kalra

    8 अक्तूबर 2025

    कला और तकनीक एक ही चीज है अगर आप देखें तो लेकिन जब आप एक फोटो को 3D बना देते हैं तो ये बच्चों का खिलौना बन जाता है और जब आप एक बचपन की याद को बनाते हैं तो ये आत्मा का दर्पण हो जाता है

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