जब फ़ेडरल रिज़र्व, संयुक्त राज्य अमेरिका का केंद्रीय बैंक है, जो मुद्रा आपूर्ति, ब्याज दर और वित्तीय स्थिरता को नियंत्रित करता है. इसे अक्सर US Federal Reserve कहा जाता है, यह देश की आर्थिक दिशा तय करने में ख़ास भूमिका निभाता है। आप सोच सकते हैं, यह केवल एक बड़ी संस्था है, पर असल में इसका हर निर्णय आपके बैंकों के बचत खाते, घरों के माइग्रेशन और कंपनी के निवेश प्लान को सीधे‑सीधे छूता है।
फ़ेडरल रिज़र्व की सबसे महत्वपूर्ण मौद्रिक नीति, वित्तीय साधनों का वह सेट है जो अर्थव्यवस्था में धन की गति को नियंत्रित करता है है। अगर आप कभी सुना हों कि ‘ब्याज दर घटाई गई है’, तो वह निर्णय यहाँ से आता है। मौद्रिक नीति दो‑तीन मुख्य टूल्स पर भरोसा करती है – ओपन मार्केट ऑपरेशन्स, डिस्काउंट रेट और रिज़र्व रेशियो। इन टूल्स की मदद से फ़ेडरल रिज़र्व आर्थिक विकास को तेज़ या धीमा कर सकता है।
फ़ेडरल रिज़र्व के काम को चार बड़े भागों में बाँटा जा सकता है। पहला, ब्याज दर निर्धारण – यह वह दर है जिस पर बैंकों को फ़ेडरल रिज़र्व से उधार लेना पड़ता है। इस दर को बदलकर केंद्रीय बैंक महँगाई को काबू या आर्थिक बढ़त को प्रोत्साहन दे सकता है। दो‑सरा, FOMC, फ़ेडरल ओपन मार्केट कमेटी, फ़ेडरल रिज़र्व की नीति‑निर्धारण बैठकें आयोजित करती है के जरिए नीति बनाए जाते हैं। हर छह हफ्ते FOMC सदस्य मिल कर मौद्रिक नीति की दिशा तय करते हैं, जिससे बाजार को स्पष्ट संकेत मिलते हैं। तीसरा, बैंकों के लिए रिज़र्व रेशियो, वह न्यूनतम निक्षेप है जो बैकिंग संस्थाओं को अपनी जमा पूँजी के हिस्से के रूप में रखें रखना अनिवार्य है निर्धारित करना। यह बफर सिस्टम को संकट के समय स्थिर रखता है। चौथा, वित्तीय नियमन एवं सुपरविजन – फ़ेडरल रिज़र्व बैंकों की हेल्थ, ग्राहक सुरक्षा और धोखाधड़ी रोकथाम पर नज़र रखता है। इन चार स्तंभों से यह सुनिश्चित करता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे।
इन कार्यों में से सबसे बात लेने लायक ब्याज दर है, क्योंकि यह सीधे‑सीधे आपके लोन, क्रेडिट कार्ड और बचत पर असर डालती है। जब रिज़र्व ने 2023 में कई बार दरें बढ़ायीं, तो घर के ऋण और कार लोन महँगे हो गए। वहीं, 2024 के मध्य में दरें घटाने से बाजार में तरलता बढ़ी और स्टॉक मार्केट में बुल लग गया। इसलिए फ़ेडरल रिज़र्व के फैसलों को देख कर निवेशक, व्यापारी और आम नागरिक भी अपनी आर्थिक रणनीति बनाते हैं।
फ़ेडरल रिज़र्व का प्रभाव सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है। इसकी नीतियों का असर ग्लोबल मुद्रा बाजार, तेल की कीमतें और यहाँ तक कि भारतीय रुपए की कीमत पर भी पड़ता है। जब अमेरिकी डॉलर मजबूत होता है, तो भारतीय आयात महँगे हो सकते हैं, और भारत की एक्सपोर्ट किफायती बनती है। इस कारण भारतीय आर्थिक विश्लेषक फ़ेडरल रिज़र्व के ब्योरे को रोज़ाना ट्रैक करते हैं। इसलिए इस पेज पर हम आपको एक व्यापक नजरिया देंगे जिससे आप समझ सकें कि ये अंतरराष्ट्रीय लिंक कैसे बनते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि इस पेज पर आगे क्या मिलेगा। नीचे आपको फ़ेडरल रिज़र्व से जुड़े विभिन्न लेखों की सूची मिलेगी – उनमें मौद्रिक नीति के अपडेट, FOMC की बैठक के प्रमुख बिंदु, ब्याज दर के बदलाव के आर्थिक असर और कुछ विशेष केस स्टडीज भी शामिल हैं। चाहे आप निवेश करना चाहते हों, आर्थिक समाचार पढ़ते हों या बस जानना चाहते हों कि आपका लोन कब तक कम होगा, यह संग्रह आपके सवालों का जवाब देगा। आगे के लेखों में हम विश्लेषण करेंगे कि फ़ेडरल रिज़र्व के हालिया फैसले ने भारतीय शेयर बाजार को कैसे प्रभावित किया, और कौन से संकेतक अगली नीति‑परिवर्तन की संभावना दिखाते हैं। तो चलिए, इस व्यापक जानकारी के साथ अपने वित्तीय ज्ञान को और भी गहरा बनाते हैं।
अक्टूबर 2025 में AI निवेश बूम और फ़ेडरल रिज़र्व की पहली दर‑कटौती ने वैश्विक शेयर बाज़ार को रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँचाया, मुख्य सूचकांकों में तेज़ी और धातु कंपनियों में दोगुना लाभ देखा गया।
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